राजा केसरी सिंह खंडेला : Raja Kesari Singh Shekhawat of Khandela
राजा केसरी सिंह खंडेला (चित्र प्रतीकात्मक है) Raja Kesari Singh Shekhawat of Khandela, History of Khandela खंडेला के रा…
राजा केसरी सिंह खंडेला (चित्र प्रतीकात्मक है) Raja Kesari Singh Shekhawat of Khandela, History of Khandela खंडेला के रा…
“महाप्रतापी राव शेखा के वंशज शूराग्रणी केसरीसिंह खण्डेला अजमेर के शाही सूबेदार से लड़ते हुए अगणित घावों से घायल हो, रणक…
वीडियो में जो ये दृश्य देख रहे हैं यह राजस्थान के एक गांव का दृश्य है, | आज इस गांव में हर घर में पक्के मकान बने है, पी…
नाग राजवंश का इतिहास बहुत प्राचीन है | इतिहासकार गौरीशंकर हीराचंद जी ओझा ने अपनी पुस्तक “राजपूताने का इतिहास” में लिखा …
नाग राजवंश का इतिहास : नाग क्षत्रिय (तक्षक) यह ऋषि वंश की प्रसिद्ध शाखा है। इस कुल के क्षत्रिय भारत के कोने-कोने में रह…
भारत के माथै का चन्दन : भैरोसिंह शेखावत - पुस्तक समीक्षा भारत के उपराष्ट्रपति और राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रह…
मावंडा मंडोली युद्ध 14 दिसंबर 1767 महत्त्वपूर्ण बिंदु यह युद्ध जयपुर के राजा माधोसिंह जी और भरतपुर के राजा जवाहर स…
Hammir Dev Chauhan of Ranthambhore History in Hindi सम्राट पृथ्वीराज के बाद हम्मीर ने अपने दिग्विजय अभियान से एक फिर …
History of Hammir Dev Chauhan of Ranthambhore राजस्थान की वीर प्रसूता भूमि में जन्म लेने वाले वीरों की श्रंखला में भार…
मांवडा युद्ध (वि. 1824 ई. 1767) जयपुर के राजा सवाई जयसिंह द्वारा बादशाह मुहम्मदशाह के समय जाट बदनसिंह को अपने अधीन कर …
(वि. 1788 ई. 1732) : शेखावाटी के फतहपुर परगने पर क्यामखानी नवाबों का राज्य था। कुछ समय पूर्व ही सीकर के शिवसिंह ने क्…
खाटू का युद्ध (वि. 1837 ई. 1780) महाराजा जयपुर ने समझौते के अनुसार दिल्ली बादशाह को खिराज अदा नहीं की तो हिम्मतबहादुर …
नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका ज्ञान दर्पण डॉट कॉम पर , जहां हम आपको भारत के प्राचीन ऐतिहासिक और पवित्र स्थलों की जानक…
History of Pachar Thikana of Shekhawat. Sanwalda ji ka Shekhawat History. शेखावाटी और शेखावत वंश के प्रवर्तक और अमरसर न…
पीसांगन फोर्ट में एक देवी का मंदिर बना है, इसी देवी मंदिर में एक खिड़की नुमा छोटा सा किवाड़ देखकर दिखाई देता जो देखने मे…
आमेर नरेश किल्हण जी के बड़े पुत्र कुंतल जी तथा दूसरे खींवराज जी थे. किल्हण के बाद कुंतल जी आमेर की राजगद्दी पर बैठे तथा …