मावंडा मंडोली युद्ध 14 दिसंबर 1767 महत्त्वपूर्ण बिंदु

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मावंडा मंडोली युद्ध 14 दिसंबर 1767 महत्त्वपूर्ण बिंदु 

यह युद्ध जयपुर के राजा माधोसिंह जी और भरतपुर के  राजा जवाहर सिंह जी के मध्य 14 दिसंबर 1767 को हुआ था | युद्ध में जवाहर सिंह जी स्वयं मौजूद थे और जयपुर की ओर से उनके सेनापति और सामंत थे | जिनमें माचाड़ी के राव प्रताप सिंह जी नरुका, धूला के राव दलेल सिंह जी और उनके पुत्र लक्षमण सिंह जी, खेड़ा के मंगल सिंह जी, सीकर के राव शिवसिंह जी के पुत्र बुद्ध सिंह जी, राजसिंह जी शेखावत, कानोता के ठाकुर बुद्धा सिंह जी, ठाकुर शिवदास सिंह जी शेखावत, ठाकुर रघुनाथ सिंह जी, इटावे के ठाकुर नाहरसिंह जी, जसोत के भान सिंह जी, ठाकुर बख्तावर सिंह जी, हिम्मत सिंह जी नरुका, मेखसिंह जी, अजित सिंह जी, नाथसिंह जी, सालिम सिंह जी, नवाब मिर्जा खान जी, मानपुर के इन्द्रसिंह जी,नवाब जुल्फिकार जी के भाई, जयपुर के दीवान हरसहाय बख्सी, गुरु सहाय, कीर्तिसिंह जी, जवान सिंह जी, शत्रुशाल सिंह जी, अमर सिंह, राव पृथ्वीसिंह जी, उनियारा के सरदार सिंह जी, भूपाल सिंह जी शेखावत, जोबनेर के ठाकुर बंशीसिंह जी लड़े | बूंदी के युवराज अजीत सिंह जी के नेतृत्व में तीन हजार सैनिक, उदयपुर से पांच हजार सैनिक सहायता के लिए आये थे|

भरतपुर की सेना की सहायता के लिए जोधपुर के मेहता मनरूप और सिंघवी रामचंद्र के साथ जोधपुर राज्य के तीन हजार सैनिक थे तथा नवाब जुल्फकार खसावाली, नवाब नजातब खां, मदारी खान मेव, रूपराम कटारा, नवाब अजमत खं खानजादा और फवाजदारेन जाट थे| भरतपुर की सेना में 70 तोप थी जिनका सञ्चालन फ़्रांसिसी समरू के हाथ में था, समरू उस ज़माने का विख्यात सेनानायक था| सेना में काफी संख्या में ऊंट और पैदल सैनिक थे|

इस युद्ध में दोनों पक्षों की बेशुमार जन और धन हानि हुई, दोनों पक्षों के लगभग दस हजार व्यक्ति मारे गए| युद्ध में राजा जवाहरसिंह जी को मैदान छोड़ना पड़ा, उनकी तोपें जयपुर की सेना ने लूट ली, इतिहासकारों के अनुसार शेखावाटी के ठिकानों में भरतपुर से लूटी गई तोपें आज भी मौजूद है| जयपुर की सेना को युद्ध जीतने के बाद भी कामा आदि जगह नहीं मिली | जाट इतिहासकार इस युद्ध में जयपुर की हार मानते है और भरतपुर की जीत मानते हैं |

पर इस युद्ध में दोनों पक्षों को कुछ भी हासिल नहीं  हुआ बल्कि इस का फायदा राव प्रताप सिंह जी नरुका ने उठाया और उन्होंने आगे चलकर माचेड़ी से अलवर में स्वतंत्र नरुका राज्य की स्थापना की|

युद्ध में जयपुर की ओर से धूला ठाकुर दलेल सिंह जी, उनके पुत्र लक्षमण सिंह जी, दीवान हरसहाय, बख्शी गुरु सहाय, सावंत दास शेखावत, धानुते के ठाकुर बुद्ध सिंह जी नाहर सिंह जी नाथावत, इटावे के रघुनाथ सिंह जी, सीकर के राव शिवसिंह जी के पुत्र बुद्ध सिंह जी, शेखावत शिवदास जी, जोबनेर के ठाकुर बंशी सिंह जी और उनके तीन पुत्रों ने अपना बलिदान दिया|  

सन्दर्भ :"अलवर राज्य के संस्थापक राव राजा प्रताप सिंह" लेखक - पृथ्वीसिंह नरुका (एम. ए. इतिहास)  

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