कविता
कुजड़बो शौक

कुजड़बो शौक

जाड़ो (ठंडा मौसम)

आग्यो राज लुगायां को

गीत- गाओ टाबरों

सावण आयो री सखी,मन रौ नाचै मोर

सावण आयो री सखी,मन रौ नाचै मोर

मेरे नगमें मेरी नज्में

अखबारों की सुर्खिया कहती है

सज -धज बैठी गोरड़ी

सज -धज बैठी गोरड़ी

कठै गया बे गाँव आपणा ?

कठै गया बे गाँव आपणा ?

जब भी दिवाली आती है...

नदी की व्यथा

धरती को भूल कर

बाळपणा नै झालौ