हठीलो राजस्थान-52, राजस्थानी दोहे हिंदी अनुवाद सहित
12:40 pm
सिर ऊँचो थिर डुंगरां, मोटो नहीं गुमान | सिर ऊँचो राखै सदा, रेती कण रजथान ||३१३|| यहाँ के (राजस्थान के) स्थिर पहाड़ों के …
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12:40 pm
सिर ऊँचो थिर डुंगरां, मोटो नहीं गुमान | सिर ऊँचो राखै सदा, रेती कण रजथान ||३१३|| यहाँ के (राजस्थान के) स्थिर पहाड़ों के …
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6:17 pm
गरजत बरजत सोच दिल, लुक छिप दाव लड़ंत | इण धरती पर आवतां, इन्दर डरपै अन्त ||२६२|| यहाँ (राजस्थान में) बादल लुकते छिपते ह…
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6:00 pm
हेलो सुण मो बादली, मत कर इतो गुमान | हिम-गिर बरस्यां नह सिरै, बरसो राजस्थान ||२५६|| हे बादली ! हमारी पुकार सुनकर इतना ग…
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10:36 am
राहू डसियां नह छिपै, छिपै न बादल ओट | झीणी रज पड़दै छिपै, दिनकर करमां खोट ||२५०|| राहू के ग्रसने पर भी जो पूरी तरह नहीं …
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5:37 pm
हर पूनम मेलो भरै, नर उभै कर जोड़ | खांडै परणी नार इक, सती हुई जिण ठोड ||१९६|| वीर की तलवार के साथ विवाह करने वाली वीरां…
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5:36 pm
धरती जाती नह रुकै, निबलां नांजोगांह | रजवट बाँधी आ रसा, जावै नह जोगांह ||१९०|| निर्बल और योग्य व्यक्तियों के अधिकार से …
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2:50 pm
लोपण पहलां पाल पर, कोपण पहलां पेख | रोपण चाल्यो आज थूं , मणधर माथै मेख ||१८४|| हे वीर ! तू शत्रु-सेना को देखने से पहले …
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2:49 pm
तोपां जाझां ताखड़ी, सीस पडै कट कट्ट | बण ठण बैठा किम सरै, रण माची गहगट्ट ||१७८|| वीर पत्नी पति से कहती है - तोपें गरजती…
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2:00 pm
लेवण आवे लपकता, सेवण माल हजार | माथा देवण मूलकनै, थोडा मानस त्यार ||१७२|| मुफ्त में धन लेने के लिए व धन का संग्रह करने …
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1:59 pm
पेट फाड़ पटकै सिसू , रण खेतां खूंखार | बगसै माफ़ी बिरियाँ , सरणाई साधार ||१६६|| माता ने अपना पेट चीर कर जो पुत्र उत्पन्न …
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1:58 pm
ठाणा लीलो ठणकियो, सुण बैरी ललकार | सुत धायो ले सैलड़ो, धव खींची तरवार ||१६०|| शत्रु की ललकार सुन कर अस्तबल में बंधा हुआ…
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7:50 pm
जौहर ढिग सुत आवियो, माँ बोली कर प्रीत | लड़णों मरणों मारणों, रजवट रुड़ी रीत ? ||१५४|| जौहर में जलती हुई माँ के सम्मुख ज…
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7:49 pm
भाज्यां भाकर लाजसी, लाजै कुल री लाज | सिर ऊँचौ अनमी सदा, आबू लाजै आज ||१४८|| यदि मैं युद्ध क्षेत्र से पलायन करूँ तो गौर…
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7:48 pm
रण तज घव चांटो करै, झेली झाटी एम || डाटी दे , धण सिर दियो, काटी बेडी प्रेम ||१४२|| कायर पति रण-क्षेत्र से भाग खड़ा हुआ |…
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7:44 pm
दो-दो लंगर पाँव में, माथै दो दो मोड़ | दो दो खग धारण कियां, रण- लाडो बेजोड़ ||१३६|| यह अनूठा शूरवीर जिसके पांवों में दो…
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9:42 am
सिर देणों रण खेत में, स्याम धर्म हित चाह | सुत देणों मुख मौत में, इण धर रुड़ी राह ||१३०|| रण-क्षेत्र में अपना मस्तक अर्…
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7:08 pm
अमर धरा री रीत आ, अमर धरा अहसान | लीधौ चमचौ दाल रो, सिर दीधो रण-दान ||१२४|| इस वीर भूमि की कृतज्ञता प्रकाशन की यह अमर र…
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7:08 pm
अमर धरा री रीत आ, अमर धरा अहसान | लीधौ चमचौ दाल रो, सिर दीधो रण-दान ||१२४|| इस वीर भूमि की कृतज्ञता प्रकाशन की यह अमर र…
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7:16 am
मुरछित सुभड़ भडक्कियो, सिन्धु कान सुणीह | जाणं उकलता तेल में, पाणी बूंद पडिह ||१०३|| युद्ध में घावों से घायल हुआ व् अचेत…
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7:16 am
मुरछित सुभड़ भडक्कियो, सिन्धु कान सुणीह | जाणं उकलता तेल में, पाणी बूंद पडिह ||१०३|| युद्ध में घावों से घायल हुआ व् अ…