त र सै घट रो मोर मन, सोच -सोच भरतार ।|
पतली कमर में खणक रही, झालर झम-झम झूम ।|
माथे सोहे राखड़ी, दमके ज्यों रोहिड़ा रो फूल।
कानां बाटा झूल रह्या , सिर सोहे शीशफूल। ||
बलखाती चोटी कमर, गर्दन सुराहीदार ||
पण पिया बिना न हो सके पूरण यो सिणगार |
पधारोला कद मारुसा , था बिन अधूरी नार ।|
सासरिये में भी ना लगे, यो मन अलबेलो चोर ||
अपणो दुःख किण सूं कहूँ , कुण जाण म्हारी पीर ।
अरज सुण नै बेगा आवो, छोट की नणंद का बीर ||
दिन तो फेर भी बितज्या, या साल्ल बेरण रात ।|
शब्दार्थ :-1साल्ल = दर्द देना,2. गात = गाल,3. आवडे = चित नहीं लगना,4. अर्ज- पुकार
5.गोरड़ी = गौरी
बहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 03-12-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1082 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बहुत बढ़िया |
जवाब देंहटाएंसबसे बढ़िया व वाल्ट जैसी सिक्यूरिटी गूगल का भरोसा
इंतजार और श्रंगार रस राजस्थानी में पढ़कर मजा आ गया
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा ..अगर आपको भी अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़े।
आभार!!
राजस्थानी भाषा का अपना अलग ही मज़ा है...! समझने में ज़रा दिक़्क़त हुई... लेकिन आपने अर्थ लिखकर अछा किया !:)
जवाब देंहटाएं~सादर !!!
नारनौल (हरयाना )में नौसाला प्रवास ने राजस्थानी लोग गीतों से रु -ब-रु करवाया .आधा अधूरा यह भी समझ लिया आपका ढोला मारू -रा ....कुछ और लफ्जों के मायने देते ,व्याख्या भी तो क्या कहने हम तो गाने लगते इन जन गीतों को आपके .....
जवाब देंहटाएंसज-धज बैठी गोरड़ी, कर सोल्हा सिणगार ।
त र सै घट रो मोर मन, सोच -सोच भरतार ।|
नैण कटारी हिरणी, बाजूबंद री लूम ।
पतली कमर में खणक रही, झालर झम-झम झूम ।|
माथे सोहे राखड़ी, दमके ज्यों रोहिड़ा रो फूल।
कानां बाटा झूल रह्या , सिर सोहे शीशफूल। ||
झीणी-झीणी ओढ़णी,पायल खणका दार ।
बलखाती चोटी कमर, गर्दन सुराहीदार ||
पण पिया बिना न हो सके पूरण यो सिणगार |
पधारोला कद मारुसा , था बिन अधूरी नार ।|
सखी- साथिन में ना आवडे., ना भावे कोई कोर ।
सासरिये में भी ना लगे, यो मन अलबेलो चोर ||
अपणो दुःख किण सूं कहूँ , कुण जाण म्हारी पीर ।
अरज सुण नै बेगा आवो, छोट की नणंद का बीर ||
मरवण था बिन सुख गयी, पिला पड़ ग्याँ गात ।
दिन तो फेर भी बितज्या, या साल्ल बेरण रात ।|
लेखक : गजेन्द्र सिंह ककराना
शब्दार्थ :-1साल्ल = दर्द देना,2. गात = गाल,3. आवडे = चित नहीं लगना,4. अर्ज- पुकार
5.गोरड़ी = गौरी
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वाह !
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