आग्यो राज लुगायां को ।|
कोंग्रेस का च्यारूं मेर सूं कर दिन्या है सफाया
गहलोत सरकार की कुर्सी का तोड़ नाख्या पाया
ना यो पराया जाया , और ना ही माँ का जाया को
आग्यो राज लुगायां को ॥
जनता अर पाणी का रुख न कोई जाण ना पायो
वोट दिन्या वसुंधरा नै ,माल गेहलोत को खायो
ना यो बाणया-बामण अर न ही राज है नायां को
आग्यो राज लुगायां को ॥
राजसत्ता कब किसी की, एक छत्र रह पायी है
जनता के करवट की कीमत हर किसी ने चुकाई है
मंदिर देवता साधू -सन्यासी, हिन्दू धर्म की गायां को
आग्यो राज लुगायां को ||
गजेन्द्र सिंह शेखावत
वाह . . .
जवाब देंहटाएंइसीलिये तो फ़ारूख अब्दुल्ला साहब जैसों को डर लगता है.:)
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक रचना.
रामराम.
क्या बात वाह!
जवाब देंहटाएंमंदिर देवता साधू -सन्यासी, हिन्दू धर्म की गायां को
जवाब देंहटाएंआग्यो राज लुगायां को
जनतंत्र में यह तो होता ही है.,अच्छी रचना.
jai rajputana
जवाब देंहटाएंवर्तमान की कविता
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