कुजड़बो शौक

Gyan Darpan
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दिन भर ढोवै सर पर काठड़ी,
मजदुर पिसा ल्यायो घाल आँटड़ी
घर आंवतो ही ठेके पर गियो
थांकेलो उतारण न छककर पियो
मजदूरी उठही पीण म सारी गवां दी
उधारी भी आती बेल्ल्यां लिखा दी
ढलती रात म आयो दारु की पीक में
नैना टाबर बैठ्या चुल्हौ तापै आटा री उडीक में
पेट कि भूख पर भारी पड़, कुजड़बो शौक
काल ओज्यूं ध्यानगी नै देगो दारु म झोंक

लेखक : गजेन्द्रसिंह शेखावत

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2टिप्पणियाँ

  1. घर आंवतो ही ठेके पर गियो
    थांकेलो उतारण न छककर पियो
    मजदूरी उठही पीण म सारी गवां दी
    उधारी भी आती बेल्ल्यां लिखा दी
    बहुत सटीक !!

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  2. हकीकत को बया करती सुन्दर राजस्थानी कविताराज विवेचना

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