भारत के माथै का चन्दन : भैरोसिंह शेखावत - पुस्तक समीक्षा
वर्ष 2023 में छपे इस पुस्तक के प्रथम संस्करण में देश की कई महान विभूतियों के सन्देश छपे हैं जिनमें है - श्री अटल बिहार वाजपेयी, श्री लालकृष्ण जी आडवाणी, महाराजा गजसिंह जी जोधपुर और मदन लाल जी खुराना |
पुस्तक में संदेशों के बाद सर्वप्रथम केन्द्रीय मंत्री श्री गजेन्द्रसिंह जी शेखावत का लेख है - "महामानव के साथ बिताये पलों की स्मृति मंजूषा" जिसमें श्री गजेन्द्रसिंह जी ने राजस्थान में बाबोसा के नाम से प्रसिद्ध श्री शेखावत साहब के साथ छात्र राजनीति के समय से ही अपनी समृतियों का उल्लेख किया है | उनके बाद पुस्तक के संपादक डॉ कल्याण सिंह जी ने स्व. भैरोंसिंह जी के जीवन के हर पहलु पर अपनी कलम चलाई है| साथ ही डॉ चेतना शेखावत ने भी बाबोसा के साथ आत्मीय मुलाकात का जिक्र किया है |
पुस्तक में स्व. भैरोसिंह जी के पूर्व पुरुषों का इतिहास लिखा गया है राजस्थान भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार और इतिहासकार स्व. सौभाग्यसिंह जी शेखावत द्वारा | उनके साथ ही श्रीमती कृष्णा कुमारी जी, राजमाता जोधपुर, श्रीमती हेमलता राजे महारानी जोधपुर, राजस्थान पत्रिका के कपूर चंद कुलिश, प्रवीण छाबड़ा, मिलापचंद डांडिया, कन्हैयाल कोचर, प्रो. डॉ श्यामलाल जेदिया, डॉ लोकेश शेखावत, प्रो. कर्नल एस.एस. सारंगदेवोत, पूर्व आईएएस सुनील अरोड़ा, डॉ. आर.एन. सिंह, डॉ. जबरनाथ पुरोहित, डॉ. कुंवर महेंद्रसिंह नगर द्वारा स्व. भैरोंसिंह जी के राजनैतिक जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर लेख लिखे हैं |
साथ ही भैरोंसिंह जी के निधन के बाद संसद में उनके बारे में विभिन्न नेताओं द्वारा दिए भाषणों को संजोया गया है | पुस्तक के आखिर में स्व. बाबोसा के कुछ ऐसे चित्र भी प्रकाशित किये गए है जो दुर्लभ है |
कुलमिलाकर स्व. भैरोंसिंह जी शेखावत के जीवन, उनकी राजनीति, उनके उपराष्ट्रपति और मुख्य्य्मंत्री काल में किये गए कार्यों, एक साधारण परिवार से होने के बावजूद इतने बड़े पद तक पहुँचने की उनकी यात्रा के बारे में इस पुस्तक में अच्छी जानकारी है | पुस्तक उनके बारे में जानने और शोध करने वाले शोधार्थियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है |