पीथीसर गांव का इतिहास : History of Pithisar Village

बणीरोत राठौड़ों की जागीर रहा पीथीसर गांव चुरू जिला मुख्यालय से लगभग 22 किलोमीटर दूर है | अपने आगोस में गौरवशाली इतिहास स…
बणीरोत राठौड़ों की जागीर रहा पीथीसर गांव चुरू जिला मुख्यालय से लगभग 22 किलोमीटर दूर है | अपने आगोस में गौरवशाली इतिहास स…
18 नवम्बर 1962 की सुबह अभी हुई ही नहीं थी, सर्द मौसम में सूर्यदेव अंगडाई लेकर सो रहे थे अभी बिस्तर से बाहर निकलने का …
राजस्थान में चौहान राजवंश की प्राचीन राजधानी संभार के एक राजकुमार लक्ष्मण ने वर्तमान पाली जिले के नाडोल में अपना राज्य …
चंदरबरदाई की रचना पृथ्वीराज रासो में अनंगपाल को दिल्ली का संस्थापक बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि उसने ही ‘‘लाल-कोट’…
यूँ तो इतिहासकारों की नजर में पृथ्वीराज चौहान के समय की अधिकांश बातें ही विवादास्पद हैं। उनमंे से ही एक है दिल्ली की…
जोधा (राठौड़) कुँवर गोपालसिंह खरवा जन्म समय-राव गोपालसिंह का जन्म चूण्डावत राणी गुलाब कंवरजी के गर्भ से विक्रमी संवत्…
राव गोपालसिंह का व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न था। यद्यपि उन की शिक्षा-दीक्षा उच्चस्तरीय शिक्षण स्तर तक नहीं पहुंच…
मारवाड़ रियासत के आसोप ठिकाने के योद्धाओं ने अपनी वीरता और पराक्रम के बल पर इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिख…
भाग 3 से आगे .... प्रतिहारों को विदेशी मानना पाश्चात्य विद्वानों ने जब अग्निवंश के वर्णन देखें तब उन्होंने यह धारण…
भाग - 2 से आगे ..... प्रतिहार अपने आप को अग्निवंशी मानते हैं , अग्विवंशी होने का क्या तात्पार्य है इसके विषय में मैंने…