धीरावत कछवाह इतिहास | कछवाह वंश की धीरावत शाखा का इतिहास

Gyan Darpan
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आमेर नरेश किल्हण जी के बड़े पुत्र कुंतल जी तथा दूसरे खींवराज जी थे. किल्हण के बाद कुंतल जी आमेर की राजगद्दी पर बैठे तथा खींवराज जी को बैनाड़ की जागीर मिली. खींवराज जी के पौत्र धीरा जी हुये, धीरा जी के वंशज धीरावत कहलाये, इस तरह कछवाह वंश की धीरावत शाखा का प्रादुर्भाव हुआ.

धीरा जी ने आमेर क्षेत्र में मीणा विद्रोह दबाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर क्षेत्र में कछवाह राज्य में शांति स्थापित करने में योगदान दिया.

धीरा जी के गोपाल जी और भोजराज जी नाम के दो पुत्र हुये. गोपाल जी के वंशज बैनाड़ रहे और भोजराज जी के वंशज सवाई माधोपुर क्षेत्र में जा बसे.

जयपुर जिले में खोरा बीसल, हरदत्तपुरा, किशनपुरा, सरदारपुरा, रोजदा, सरणा चौड़, धान्काया, लोहरवाड़ा, कोदर, भवानीपुरा, गिधाणी आदि गांवों में गोपाल जी के वंशज निवास करते हैं | इनके अलावा धीरावतों के कुछ गांव दौसा, अलवर एवं करौली जिले में है, तो कुछ गांव सवाई माधोपुर में है, जिनमें बौली धीरावतों का बड़ा ठिकाना है |

धीरावत कछवाहों में रामदास धीरावत, जिनका इतिहास में रामदास कछवाह नाम प्रसिद्ध है एक बड़ा नाम माना जाता है. रामदास कछवाह बादशाह अकबर के खजाने के रक्षक थे | और वे अकबर के मुख्य विश्वास पात्र सरदारों में गिने जाते थे |  अकबर के निधन के बाद जहाँगीर ने इनको रणथम्भोर का किला दिया था.

रोजदा गांव के धीरावत कछवाहों ने जयपुर रियासत की सेना  में रहकर समय समय पर जयपुर राज्य की रक्षार्थ अनेक युद्धों में भाग लिया | वर्तमान में भी इस गांव के कई धीरावत कछवाह सेना से रिटायर्ड है तो पांच एडवोकेट है, तीन अध्यापक है, एक ग्राम सेवक है तो बहुत से युवा धीरावत कछवाह निजी नौकरियों में है या फिर स्वनियोजित है.

गांव में अन्य जातियों के लोग भी निवास करते हैं जिनमें से काफी लोग सरकारी सेवाओं में है, जिनमें दो RAS है, रेल्वे में भी है तो कुछ अध्यापक है |

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