Bathoth Fort History बठोठ का इतिहास

Gyan Darpan
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Bathoth Fort History  : इस छोटे से खुबसूरत किले का भी अपना गौरवशाली इतिहास है| शेखावाटी के प्रसिद्ध क्रांतिवीर डूंगर सिंह शेखावत और लोठू जाट का इस किले से सम्बन्ध रहा है| क्रांतिवीर लोठू जाट बठोठ गांव में ही रहता था, बठोठ गांव के बाहर ही जाट समाज ने क्रांतिवीर लोठू जाट की बड़ी सी प्रतिमा स्थापित कर, स्मारक बना रखा है, आपको बता दें लोठू जाट निठारवाल गोत्र का जाट था और क्रांतिवीर डुंगजी जवाहर जी का विश्वसनीय व महत्त्वपूर्ण साथी था| लगभग दो पूर्व क्रांतिवीर डुंगजी जवाहरजी पर शोध करने वाली अलेक्जेंडरा तुर्क के साथ इस किले में हमारा जाना हुआ था| अलेक्जेंडरा तुर्क पोलेंड की निवासी है और वहां की वारसा यूनिवर्सिटी में हिन्दी की प्रोफ़ेसर है|

बेशक यह किला छोटा है पर है बहुत ही खुबसूरत | किले में प्रवेश के लिए बड़ा दरवाजा बना है और दरवाजे के ऊपर सुन्दर कक्ष बने हैं जहाँ कभी इस किले के सुरक्षाकर्मी और मेहमान रुकते थे| किले के अन्दर एक सुन्दर हवेली बनी है जिसे आप जनाना ड्योढ़ी कह सकते हैं| आपको बता दें जनाना ड्योढ़ी में इस किले की ठकुरानियों सहित अन्य महिलाएं रहती थी | वर्तमान में भी इस ड्योढ़ी में किले के स्वामी का परिवार रहता है अंत: अन्दर की विडियोग्राफी करना हमने उचित नहीं समझा | जनाना ड्योढ़ी और मुख्य दरवाजे पर बने महल के मध्य काफी खाली जगह है| ड्योढी के साथ ही बाहर की और खुलते हुये और निर्माण नजर आते है जिनमें कभी यहाँ के शासक अपना दरबार लगाते थे और शासकीय कार्य निबटाते थे|

Bathoth Fort बठोठ का ठिकाना सीकर के राजा शिवसिंह जी के पुत्र कीरतसिंह जी मिला था| कीरतसिंह जी की हत्या के बाद उनकी माता चाम्पावतजी अपने पुत्र पद्मसिंह के साथ सीकर छोड़ अपने जागीर के गांव बठोठ Bathoth Fort में रहने लगी| जब सीकर की गद्दी पर चाँदसिंह जी बैठे, तब उन्होंने पद्मसिंह व भावसिंह को बुलाकर बठोठ, पटोदा व सरवड़ी गांवों की जागीर दे दी| सीकर व कासली के मध्य हुए विवाद में पद्मसिंहजी व कासली के पूर्णमलजी के सैनिकों के मध्य हुआ, जिसमें पद्मसिंहजी को गोली लगी और वीरगति को प्राप्त हुए|

पद्मसिंहजी के चार पुत्र थे| जिनका नाम दलेल सिंह जी, बख्तावर सिंह जी, केशरीसिंह जी और उदयसिंह जी था| पद्मसिंह जी के वीर गति प्राप्त होने पर दलेलसिंह जी बठोठ की गद्दी पर बैठे और उनके तीनों छोटे भाइयों को पटोदा की तीन तीन हजार भूमि दी गई| आपको बता दें राजस्थान में अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष छेड़ कर क्रान्ति का बिगुल बजाने वाले डूंगजी, पद्मसिंहजी के चौथे पुत्र उदयसिंह जी के पुत्र थे और उनके साथी जवाहरसिंह पद्मसिंह जी के बड़े पुत्र दलेलसिंह जी के पुत्र थे| इस तरह डूंगजी जवाहरजी दोनों चचेरे भाई थे| दलेलसिंह जी के बाद क्रमश: विजयसिंह जी, भीमसिंह जी, भोपालसिंह जी, बैरीशालसिंह जी, दुर्जनसिंह जी, व रिछपालसिंह जी बठोठ Bathoth Fortके स्वामी रहे| वर्तमान में यह खुबसूरत किला रिछपाल सिंह जी के प्रपोत्र जितेन्द्र सिंह व उनके छोटे भाई का निजी आवास है| ठाकुर रिछपालसिंह जी के पुत्र जिवणसिंह जी थे, जिनका देहांत हो चुका है और वर्तमान में Bathoth Fort उनके युवा पुत्रों के स्वामित्व में है |

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