पेथड़ राठौड़ों का ठिकाना खेड़ी मिलक Kheri Fort History

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Kheri Fort, Jaipur

History of Kheri Fort : जोबनेर और रेनवाल के मध्य स्थित खेड़ी मिलक गांव जयपुर रियासत के अधीन एक ठिकाना था | इस ठिकाने पर पहले एक पठान जागीरदार था और उसने गांव में एक गढ़ बनवा रखा था | पर जयपुर के महाराजा रामसिंह जी के समय फलोदी के पास डडू गांव के रहने वाले बुद्धसिंह राठौड़ ने यहाँ अपना ठिकाना कायम किया | बुद्धसिंह राठौड़ पेथड़ राठौड़ है | महाराजा रामसिंह जी ने बुद्धसिंहजी को जब यह जागीर दी तब यहाँ का जगीरदार पठान था, महाराजा रामसिंह जी यह कहते हुए जागीर दी कि पठान को युद्ध कर जागीर पर कब्ज़ा करना होगा | दरअसल महाराजा रामसिंहजी बुद्धसिंहजी की वीरता को परखना चाहते थे |

बुद्धसिंह जी कुशल घुड़सवार और ऊंट सवार तो थे, वे साहस, वीरता और तलवार के भी धनी थे | वे ऊंट घोड़ों के कुशल प्रशिक्षक भी थे | बुद्धसिंह जी ने खेड़ी मिलक के पठान को हराकर गांव पर कब्ज़ा कर लिया और पठान के गढ़ को तोड़ कर वहां एक नया गढ़ बनाया | पठान के समय गढ़ में एक पीर मलिक बाबा की मजार थी, जिसे बुद्धसिंह जी ने मुस्लिम धार्मिक क्रियानुरूप गांव के बाहर स्थान्तरित कर दिया, जो आज भी है |

बुद्धसिंह जी के बाद श्योजीसिंहजी और श्योजीसिंहजी के बाद पृथ्वीसिंहजी यहाँ के जागीरदार हुए | पृथ्वीसिंह जी जयपुर महाराजा माधोसिंह जी के खास सलाहकार व नवरत्नों में से एक थे | वे भी घोड़ों व ऊँटों के बहुत अच्छे प्रशिक्षक थे | उनका घोड़ा खेडी मिलक से जयपुर का रास्ता डेढ़ घंटे में तय कर लेता था | जयपुर व खेड़ी फोर्ट के मध्य 52 किलोमीटर की दूरी है | इसी दूरी को तय करने में पृथ्वीसिंहजी का फदकण नामक ऊंट उतना ही समय लेता था, जितना जोबनेर से जयपुर के मध्य तत्कालीन रेलगाड़ी समय लेती थी |

पृथ्वीसिंह जी के बाद गोविन्दसिंहजी यहाँ के जागीरदार बने और उन्हीं के समय देश आजाद हो गया | इस तरह वे यहाँ के आखिरी जागीरदार थे | 

इस गढ़ के वर्तमान ठाकुर चक्रवीरसिंह जी का निजी व्यवसाय है और Kheri Fort में उनका अश्व फार्म है | वर्तमान में खेड़ी फोर्ट को रिसोर्ट में तब्दील कर दिया गया है | चक्रवीरसिंह जी की बड़ी पुत्री ऐश्वर्या राठौड़ गांव की सरपंच है | आपको बता दें गांव में राजपूत जाति के वोट बहुत कम है | ठाकुर साहब का परिवार जयपुर रहता है, इसके बावजूद गांव वालों ने जातिवाद से ऊपर उठकर ठाकुर साहब के परिवार पर विश्वास जताया और उनकी पुत्री को भारी मतों से विजयी कर सरपंच बना दिया |

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