
रणसी गांव की रहस्यमयी भूत बावड़ी का सच

जोधपुर से लगभग 86 और मेड़ता से 45 किलोमीटर जोधपुर जिले में बसा है रणसी गांव | आजादी से पूर्व यह गांव मारवाड़ के राठौड़ स…
जोधपुर से लगभग 86 और मेड़ता से 45 किलोमीटर जोधपुर जिले में बसा है रणसी गांव | आजादी से पूर्व यह गांव मारवाड़ के राठौड़ स…
रणसी गांव का इतिहास : History of Ransi Gaon | जोधपुर की बिलाड़ा तहसील में बसा है रणसी गांव | रणसी गांव बहुत ही प्राच…
खेजड़ला ठिकाने का इतिहास | History of Khejrla Fort : जैसलमेर के रावल केहर के छोटे भाई हमीर के वंशज जैसलमेर से मछवाला गां…
महार कलां Mahar Kalan गांव में सुरम्य पहाड़ी की तलहटी में संत सालगनाथजी का स्थान है, कभी यहाँ गांव बसने से पूर्व ए…
आमेर के युवराज कुम्भाजी के पुत्र उदयकरणजी ने महार गांव बसाया था | युवराज कुम्भाजी के वंशज कुम्भावत कछवाह कहलाते हैं | आ…
युवराज जगतसिंह आमेर के राजा मानसिंहजी के ज्येष्ठ पुत्र थे | इनका जन्म कार्तिक सुदी १ वि.सं. 1625 (ई.सं. 1568) को आम…
ठाकुर नवलसिंह झुंझुनू में नबाबी राज्य की नींव उखाड़ने वाले ठाकुर शार्दूलसिंह के पांचवे पुत्र थे | इनका जन्म वि.सं. 177…
युवराज महासिंह आमेर के कुंवर जगतसिंह के ज्येष्ठ पुत्र और राजा मानसिंहजी के पौत्र थे | आपका जन्म असोज बदि 12, वि.सं.…
ठाकुर बाघसिंह खेतड़ी : खेतड़ी के स्वामी भोपालसिंह सं. 1828 वि. (भादवा बदी’ 10) में लोहारू के युद्ध में मारे गये। उनके …
आमेर के युवराज किशनसिंह का जन्म भाद्रपद बदि 9 वि.सं. 1711 (ई.सं. 1654) में हुआ था | आप मिर्जा राजा जयसिंहजी के पौत्र …
जखोड़ा ग्राम चिड़ावा से 17 किलोमीटर, मंड्रेला से 7 किलोमीटर, झुंझुनू से 30 किलोमीटर और पिलानी से 12 किलोमीटर दूरी पर स…
युवराज सूरजमलजी आमेर के राजा पूरणमलजी के पुत्र थे | राजा पूरणमलजी शिखरगढ़ युद्ध में शेखावतों की सहायतार्थ हुमायूँ के छोट…
मिर्जा राजा जयसिंहजी व शिवाजी के मध्य पुरन्दर की संधि हुई थी, इससे पहले इतिहास में पढाया जाता है कि राजा जयसिंहजी ने …
विक्रम सम्वत् 1830 की आसोज शुक्ला पंचमी के दिन मुग़ल बादशाह शाहआलम द्वितीय प्रकट हुआ। दिल्ली निवासियों ने पहली बार यह …
बिसाऊ के ठा. केसरीसिंह शार्दूलसिंहोत के दोनों पुत्रों में ठाकुर हणूंतसिंह ज्येष्ठ थे। उन्होंने डूण्डलोद में गढ़ बन…
आमेर के इतिहास पर नजर डाली जाये तो आमेर के पांच युवराज राजगद्दी के अधिकारी होते हुए भी गद्दी पर नहीं बैठ सके | इन सभी य…
माण्डण युद्ध 6 जून, 1775 ई. के दिन रेवाड़ी के पास माण्डण नामक स्थान पर शाही सेनाधिकारी व शेखावतों के मध्य हुआ था |…
वंशावली लेखक : राव इन्द्रसिंह जी जिस तरह आज हमारी सरकार जन्म, शादी और मृत्यु का पंजीकरण करती है ठीक इसी तरह बल्कि उससे…