युवराज किशनसिंह आमेर : Amer History

Gyan Darpan
0


 
आमेर के युवराज किशनसिंह का जन्म भाद्रपद बदि 9 वि.सं. 1711 (ई.सं. 1654) में हुआ था | आप मिर्जा राजा जयसिंहजी के पौत्र व राजा रामसिंहजी के पुत्र थे | इनकी माता कोटा के राव मुकन्दसिंहजी हाड़ा की पुत्री थी | युवराज किशनसिंह एक मेधावी राजकुमार थे | आप कर्मठ, ओजस्वी, उत्साहवान और शूरवीर राजकुमार थे | आपने कलाप्रेम व काव्य रसिकता का भी प्रादुर्भाव हो गया था | युवराज किशनसिंह ने आमेर के जयगढ़ में पानी का एक कुण्ड और बाग़ का निर्माण कराया था | आमेर में भाव सागर के पास जयशाला के नाम से एक और बाग़ लगवाया था, जो किशनबाग़ के नाम से प्रसिद्ध हुआ |

युवराज किशनसिंह की शिक्षा व सैन्य प्रशिक्षण मिर्जा राजा जयसिंहजी की मौजूदगी में ही हुआ, तब आपकी उम्र तेरह वर्ष थी | पिता की मौजूदगी में ही आप शाही सेवा में शामिल हुए और मनसबदार बनकर अफगानिस्तान में पिता के साथ तैनात रहे | सन 1672 ई. में कंधार से कटक तक के प्रदेश में कबायली जातियों ने विद्रोह कर दिया जो आठ वर्ष चला | इन विद्रोहों को कुचलने के लिए आप आप अपने पिता के साथ अफगानिस्तान रहे और सैन्य गतिविधियों में भाग लिया | सन 1682 ई. में आपको दक्षिण की जिम्मेदारी दी गई |

सन 1682 ई. में नबाब हसन अली के साथ आप पुरन्दर (परावंडा गढ़) में नियुक्त हुये | यहीं किसी बात को लेकर पठान सैनिकों से आपका झगड़ा हो गया, जिसमें अत्यधिक घायल होने से फाल्गुन सुदी 2, वि.सं. 1739 (ई.सं. 1682) को आपका निधन हो गया, यहीं पर मधोघाट पर आपका अंतिम संस्कार किया गया | युवराज किशनसिंह की युवावस्था में असामयिक मृत्यु उनके पिता राजा रामसिंह सहित कछवाह वंश की शक्ति पर बड़ा आघात था | युवराज होने के बावजूद पिता के सामने निधन होने के कारण किशनसिंह आमेर के राजा नहीं बन सके |

कुंवर किशनसिंह की सात रानियाँ थी | आपके पिता राजा रामसिंहजी के निधन के बाद आपके पुत्र बिशनसिंह आमेर की राजगद्दी पर बैठे |

सन्दर्भ :”पांच युवराज” लेखक : छाजूसिंह, बड़नगर

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)