राजपुताना की यह रियासत जानी जाती थी जांगलदेश के नाम से

Gyan Darpan
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शब्दकल्पद्रुम के काण्ड 2, पृष्ठ 529 के अनुसार “जिस देश में जल और घास कम होती हो, वायु और धूप की प्रबलता हो और अन्न आदि बहुत होता हो, उसको जांगल देश जानना चाहिए|” भावप्रकाश में लिखा है- जहाँ आकाश स्वच्छ और उन्नत हो, जल और वृक्षों की कमी हो और शमी (खेजड़ा), कैर, बिल्व, आक, पीलू और बैर के वृक्ष हों उसको जांगलदेश कहते है| इन्हीं लक्षणों वाला एक प्रदेश राजस्थान में है, जिसे रियासती काल में जांगलू देश के नाम से जाना जाता था|  इसी देश में जांगल देश के उत्तरी भाग पर मारवाड़ के शासक जोधा के पुत्र राव बीका द्वारा राठौड़ राज्य की स्थापना कर बीकानेर नगर बसाने के बाद यह जांगलदेश बीकानेर राज्य के नाम से जाना जाने लगा|

जांगलदेश के उत्तर में कुरु और मद्र देश थे, इसलिए महाभारत में जांगल कहीं अकेला कहीं कुरु और मद्र देशों के साथ जुड़ा हुआ मिलता है| महाभारत में बहुधा ऐसे देशों के नाम समास में दिए हुए पाये जाते है, जो परस्पर मिले हुए होते है, जैसे “कुरुपांचाला”, “माद्रेयजांगला”, “कुरुजांगला” आदि| इनका आशय यही है कि कुरु देश से मिला हुआ “पांचाल देश”, मद्र देश से मिला हुआ “जांगल देश”, कुरु देश से मिला हुआ “जांगल देश” आदि| बीकानेर के महाराजा कर्णसिंह जी को “जंगलधर बादशाह” की उपाधि दी गई थी, जो उनके राज्यचिन्ह में लेखे में भी पाया जाता है| औरंगजेब ने राजपूताने के राजाओं का धोखे से जबरन धर्म परिवर्तन  कराने का षड्यंत्र रचा था, तब उसे विफल करने के लिए बीकानेर के राजा को जांगलदेश के स्वामी होने के कारण राजाओं ने नेतृत्व सौंपते हुए “जंगलधर बादशाह” की उपाधि से विभूषित किया था|

राठौड़ों के अधिकार में आने से पूर्व जांगल देश का दक्षिणी हिस्सा सांखले परमारों के अधीन था और उसका मुख्य नगर “जांगलू” कहलाता था| अब तक वह स्थान उसी नाम से प्रसिद्ध है| प्राचीनकाल में जांगल देश की सीमा के अंतर्गत सारा बीकानेर राज्य और उसके दक्षिण के जोधपुर राज्य का बहुत कुछ अंश था| मध्यकाल में इस देश की राजधानी अहिछत्रपुर थी, जिसको इस समय नागौर कहते है और जो बाद में जोधपुर राज्य के अंतर्गत हो गया| इसी नागौर पर इतिहास प्रसिद्ध वीर, स्वाभिमानी अमरसिंह राठौड़ ने राज किया था|

सन्दर्भ : बीकानेर राज्य का इतिहास, लेखक : गौरीशंकर हीराचंद ओझा

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