इस राजकुमारी ने की थी एक वीर से प्रणय की जिद

Gyan Darpan
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लड़कियों द्वारा अपनी पसंद के लड़कों के साथ प्रणय की जिद करना कोई नई बात नहीं है| हार काल में ऐसे मामलों से माता-पिता को सामना करना पड़ा है| ऐसी ही घटना शेखावत वंश और शेखावाटी के प्रवर्तक राव शेखाजी से जुड़ी है| राव शेखाजी की वीरता से प्रभावित होकर उनसे शादी करने की एक राजकुमारी की जिद का सामना उसके माता-पिता को करना पड़ा था| यही नहीं इस राजकुमारी की जिद के आगे, शेखाजी के ज्येष्ठ पुत्र दुर्गाजी को, शेखावाटी राज्य की गद्दी पर अपने हक़ का त्याग करना पड़ा गया था| शेखावाटी के इतिहास के अनुसार चौबारा (नारनोल से पूर्व में) के चौहान श्योब्रह्म जी की पुत्री गंग कंवर ने शेखावाटी के शासक राव शेखाजी की वीरता की कहानियां सुन उनसे प्रणय करने का हठ कर लिया| चौहान श्योब्रह्म जी को अपनी पुत्री की शादी शेखाजी से करने में वैसे जातीय समस्या नहीं थी, लेकिन उनकी समस्या यह थी कि वे चाहते थे कि उनकी पुत्री की शादी ऐसे राज्य के राजा से हो, जिसने पहले शादी ना की हुई हो, ताकि उनकी पुत्री का पुत्र उस राज्य का वारिश बने| चूँकि राव शेखाजी की पहले कई शादियों हो चुके थी, उनके कई पुत्र भी थे| शेखाजी के बड़े पुत्र राज्य के उत्तराधिकारी के रूप में मौजूद थे, अत: चौहान श्योब्रह्म जी अपनी पुत्री की शादी शेखाजी से नहीं करना चाहते थे| पर चौहान राजकुमारी की जिद थी कि वह शादी करेगी तो सिर्फ और सिर्फ राव शेखाजी के साथ|

चौहान राजकुमारी की जिद की बात शेखाजी के ज्येष्ठ पुत्र दुर्गाजी के कानों तक पहुंची| वे चौबारा गए और चौहान श्योब्रह्म जी से मिल उनकी पुत्री का अपने पिता से प्रणय का प्रस्ताव रखा| चौहान श्योब्रह्म जी ने अपनी अपनी शर्त रख दी कि यह शादी तभी हो सकती है जब उनकी पुत्री से उत्पन्न राज्य का उत्तराधिकारी बने| कुंवर दुर्गाजी ने एक राजपूत कन्या की जिद व मंशा पूरी करने के उद्देश्य से चौहान श्योब्रह्म जी को वचन दिया कि यदि यह शादी होती है वे राज्य से अपना हक़ सदा से लिए त्याग देंगे| कुंवर दुर्गाजी के वचन के बाद चौहान श्योब्रह्म जी ने अपनी राजकुमारी की शादी राव शेखाजी के साथ कर दी और दुर्गाजी के वचन के अनुसार राव शेखाजी के निधन के बाद चौहान राजकुमारी गंग कंवर की कोख से जन्में शेखाजी के सबसे लघु पुत्र रायमल जी का शेखावत राज्य की गद्दी पर राजतिलक किया गया|

सन्दर्भ : शेखावाटी प्रदेश का राजनैतिक इतिहास; रघुनाथसिंह कालीपहाड़ी

 

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