आज कल बारिश की वजह से आपको कही भी चीटियों की लम्बी लम्बी कतारे देखने को मिल जाएगी ,मेरे घर की बालकनी मे भी आज कल रोज उनका राज है.कभी कभार रसोई मे भी पहुच जाती है रास्ते मे किसी डब्बे का ढक्कन खुला मिल जाता है तो उसमे से अपनी रसोई के लिए थोडा राशन पानी भी निकाल के ले जाती है ,बहुत गुस्सा आता है इन पर ,पर उनकी एक बात मुझे बहुत भा गई वो है उनका अनुशासन .क्या गजब का है उनका अनुशासन ,मजाल है कि उनकी लाइन टूट जाये ,डब्बे में घुसेगी अपने लिए राशन लेगी और बाहर आकर वापस उसी लाइन से चलने लगेगी .कोई जल्दी नहीं किसी से भी आगे निकालने की .बस चलती रहती है , बहुत व्यस्त रहती है ,फिर भी आप एक बात देखो इतनी व्यस्त होने के बावजूद भी एक दुसरे से रुक कर गले मिलाती है या पता नहीं एक दुसरे से क्या हेल्लो शेल्लो करती है .पर करती जरुर है,इनके बारे मे एक बात आप सब ने देखी होगी नहीं देखा है तो अब जरुर देखना .कि जब चीटियों की लाइन कही जा रही हो उसमे से आप एक चिंटी को हलके से किसी भी चीज से या हाथ से छू देना ,फिर देखो आप वो भागेगी पर सिर्फ अपनी जान बचाकर नहीं बल्कि सभी चीटियों को बता देगी कि आगे न जाये खतरा है ,और ये क्या? सब की सब वापस मुड जाती है.इनका ट्रफिक कंट्रोल तो बिना ट्रेफिक पुलिस वाले के भी क्या कमाल का होता है. आस पास कितनी भी जगह क्यों न हो ये अपनी कतार नहीं तोडती . अगर एसा ही खुली जगह इंसानों को मिल जाये तो .......? हो गया फिर तो लाइन मे चलना तो खैर दूर की बात है पर हाँ उसे तोडना तो कोई इंसानों से सीखो.अगर आगे कोई खतरा है तो खुद ही भगदड़ मचा के खुद भी मरेगा और दुसरो को भी . और ट्रेफिक तो आप इनका पूछो ही मत.मैंने सुना भी है और पढ़ा भी है की सभी प्राणियों मे मनुष्य सबसे अधिक बुद्धिमान है,पर ये सब देखने के बाद तो मेरे दिमाग मे कुछ और ही ख्याल आता है....................... अब मेरे कोई काम तो है नहीं तो बस ऐसे ही ख्याल आते रहते है. अब आ गया तो आपको भी बता दिया बस........ आप तो चित्र देख कर ही समझ जायेंगे ज्यादा तो लिखने की जरुरत ही नहीं है...........
सही कहा आपने | ट्रैफिक व्यवस्था में तो हम भारतीय एक दम अनाड़ी है राष्ट्रिय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में तो ट्रेफिक नियम तोडना लोग अपनी शान समझते है | और इसकी आदत की वजह से ट्रैफिक जाम लगाकर खुद ही परिणाम भुगतते भी है | काश हम ट्रैफिक व अनुशासन की प्रेरणा नन्ही चीटियों से ले सके |
वाह ..!!क्या बात लिखी है आपने ......बिलकुल सही लिखा है ....हम इंसानों के लिए चाहे कितने भी नियम - कानून बनाये जाए ...सब कम है ....अगर सब लोग इतनी छोटी-छोटी बातों की तरफ ध्यान दे तो काश हम भी ट्रैफिक व अनुशासन की प्रेरणा इन नन्ही चीटियों से ले सकते है |
आपने तो चीटीयो पर बहुत ज्यादा शोध कर डाला है | अनुशासन जिंदगी में बहुत जरूरी है और ट्राफिक के मामल में तो और भी जरूरी है |नहीं तो जिंदगी ही चली जाती है | बहुत सुन्दर बात कही है |
हमे सब से बहुत कुछ सीखना चाहिये, कुते से भी हमे सीखना चाहिये यानि हम इतने गये..... बहुत सही ओर सटीक लिखा आप से सहमत है, ओर धन्यवाद इस सुंदर लेख के लिये
सार्थक पोस्ट. चीटियों के माध्यम से आपने इंसानों को अनुशासन की अच्छी सीख दी है. इस विषय में मैने भी एक कविता लिखी है. कभी मौका मिला तो जरूर पोस्ट करूंगा. ..बधाई.
इतना ही नहीं चीटियाँ यह भी सिखाती हैं कि एक समाज में किस तरह से रहा जाना चाहिए। कैसे एकत्र किये संसाधनों को मिल बाट कर उपयोग करना चाहिए। किस तरह से कत्र्तव्यों का निर्वहन अपने समाज के हित में करना चाहिए। कैसे जात-पात धर्म सम्प्रदाय के मनमुटावों के बगैर अपने समाज के हित में एक जुट होकर बाधाओं को पार करना चाहिए। वाकई चीटियाँ काफी कुछ सिखाती है।
सही कहा आपने |
जवाब देंहटाएंट्रैफिक व्यवस्था में तो हम भारतीय एक दम अनाड़ी है राष्ट्रिय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में तो ट्रेफिक नियम तोडना लोग अपनी शान समझते है | और इसकी आदत की वजह से ट्रैफिक जाम लगाकर खुद ही परिणाम भुगतते भी है |
काश हम ट्रैफिक व अनुशासन की प्रेरणा नन्ही चीटियों से ले सके |
छोटी-छोटी बातों से गंभीर प्रेरणादायक बाते निकलना तो कोई आपसे सीखें
जवाब देंहटाएंवाह ..!!क्या बात लिखी है आपने ......बिलकुल सही लिखा है ....हम इंसानों के लिए चाहे कितने भी नियम - कानून बनाये जाए ...सब कम है ....अगर सब लोग इतनी छोटी-छोटी बातों की तरफ ध्यान दे तो काश हम भी ट्रैफिक व अनुशासन की प्रेरणा इन नन्ही चीटियों से ले सकते है |
जवाब देंहटाएंwah really sachi bat likhi hai aapne !
जवाब देंहटाएंइंसान नियम बनाते हैं और उसे तोड़ते हैं।
जवाब देंहटाएंलेकिन चींटियों के लिए कुदरत ने नियम बनाए हैं।
इसलिए उन नियमों को कुदरत ही तोड़ सकती है।
लेकिन कुदरत से सीखता कौन है? मनुष्य को भ्रम है कि वह कुदरत से बड़ा है। लेकिन यह भ्रम बड़ी जल्दी टूट भी जाता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
अच्छी पोस्ट
आभार
आपने तो चीटीयो पर बहुत ज्यादा शोध कर डाला है | अनुशासन जिंदगी में बहुत जरूरी है और ट्राफिक के मामल में तो और भी जरूरी है |नहीं तो जिंदगी ही चली जाती है | बहुत सुन्दर बात कही है |
जवाब देंहटाएंहमे सब से बहुत कुछ सीखना चाहिये, कुते से भी हमे सीखना चाहिये यानि हम इतने गये..... बहुत सही ओर सटीक लिखा आप से सहमत है, ओर धन्यवाद इस सुंदर लेख के लिये
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक उदाहरण देकर समझाया आपने. भुत आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सटीक उदहारण
जवाब देंहटाएंसार्थक पोस्ट.
जवाब देंहटाएंचीटियों के माध्यम से आपने इंसानों को अनुशासन की अच्छी सीख दी है. इस विषय में मैने भी एक कविता लिखी है. कभी मौका मिला तो जरूर पोस्ट करूंगा.
..बधाई.
बहुत सुन्दर विश्लेषण। देखकर तो लगता है कि हम चीटियों से भी गये गुज़रे हैं।
जवाब देंहटाएंWell Said & Nicely Potrayed Ushaji.Congrats Keep going & Keep it up.
जवाब देंहटाएंप्रेरक ख्याल है ये तो
जवाब देंहटाएंप्रणाम
aap sab ka bhut bhut aabhar ..aur tahe dil se shukriya.
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने...मनुष्य बनने के लिए पशु, पक्षियों,नन्हे जीवों से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है हमें...
जवाब देंहटाएंye link aap ke liye faydemand ho sakta hai
जवाब देंहटाएंhttp://blogowners9.blogspot.com
Medam Aapne Trafic Cantrol k bare good exampale k sath logo ko accha msg diya hai..aapki lekhani ko salam..
जवाब देंहटाएंआपने चींटियों की पंक्ति को छूने का आइडिया दे दिया है, 'बुिद्धमान मनुष्य' यातायात अनुशासन के बजाय यही प्रयोग करने की नसीहत जल्दी ग्रहण कर लेता है.
जवाब देंहटाएंचींटी ही नहीं
जवाब देंहटाएंप्रत्येक उस से
जो इंसान नहीं है
हम बहुत कुछ
बल्कि सब कुछ
सीख सकते हैं
नजर सीधी हो
तो सब संभव है।
इतना ही नहीं चीटियाँ यह भी सिखाती हैं कि एक समाज में किस तरह से रहा जाना चाहिए। कैसे एकत्र किये संसाधनों को मिल बाट कर उपयोग करना चाहिए। किस तरह से कत्र्तव्यों का निर्वहन अपने समाज के हित में करना चाहिए। कैसे जात-पात धर्म सम्प्रदाय के मनमुटावों के बगैर अपने समाज के हित में एक जुट होकर बाधाओं को पार करना चाहिए। वाकई चीटियाँ काफी कुछ सिखाती है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर विश्लेषण। देखकर तो लगता है कि हम चीटियों से भी गये गुज़रे हैं।
जवाब देंहटाएं