युग-पुरुष भैरोंसिंह शेखावत : तृतीय पूण्य तिथि पर शत शत नमन

Gyan Darpan
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तृतीय पूण्य तिथि के अवसर पर राजस्थान के लोकप्रिय जननायक स्व. भैरोंसिंह जी को शत शत नमन |

देश के पूर्व उपराष्ट्रपति स्व.श्री भैरोंसिंह शेखावत जो राजस्थान के जन मानस में बाबोसा के नाम से परिद्ध है का जन्म राजपुताना में शेखावाटी जनपद के खाचरियाबास ठिकाने के एक साधारण राजपूत कृषक परिवार में २३ अक्तूबर १९२३ धनतेरस के दिन श्री देवीसिंह शेखावत की धर्मपत्नी श्रीमती बन्ने कँवर की कोख से हुआ था| वे अपने चार भाइयों व चार बहनों में ज्येष्ठ थे| भैरोंसिंह जी की माता चुरू जिले के “सहनाली बड़ी” गांव की थी|

स्व.भैरोंसिंह जी के पिता देवीसिंह जी रूढ़ीवाद विरोधी व सामाजिक समता के पक्षधर व अनुशासन प्रिय थे यही गुण भैरों सिंह जी को विरासत में मिले| स्व. श्री भैरोंसिंह जी की प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता के साथ रहते हुए सवाई माधोपुर जिले के बिछीदाना गांव में हुई तत्पश्चात उन्हें जयपुर के पास जोबनेर कस्बे के एंग्लोवैदिक स्कूल में पढने भेजा गया| जोबनेर व खाचरियाबास गांव के मध्य लगभग ३० किलोमीटर की दूरी है उस वक्त बस आदि की कोई सुविधा नहीं थी अत: भैरोंसिंह जी को जोबनेर व खाचरियाबास के मध्य छात्र जीवन में कई बार पैदल आना जाना पड़ता था| जोबनेर से हाई स्कूल शिक्षा पास कर वर्ष १९४१ ई. में उन्हें जयपुर के महाराजा कालेज में उच्च शिक्षा के लिए भेजा गया| जहाँ शिक्षा ग्रहण के साथ साथ उन्होंने कई नाटकों में भी भाग लिया|
पढाई के समय गांव आने पर भैरोंसिंह जी अपने हाथों कृषि कार्य भी करते थे जिसके बारे में श्री सौभाग्य सिंह जी लिखते है-
हलधर बण हांकियो, सूड़ काटियो खेत |
क्यारां में पाणत करी,कड़व डूचड़ी सेत ||
कूप सींच पय काढियो, करी लावणी फेर |
किल्यो बण बारयो बणया, दिया घास रा ढेर||
सिट्टी डूच खलियान में, गाठौ पण गाह्योह|
करसण हाथां करण सूं, खेत विज्ञान आयोह||
चिड़स झेल वारा लियण,समझयो सदा सुकाम|
इण विध करसण आप कर, पूरी मन री हांम||

हल रो चोट्यो हाथ में, कड़यां बिजोल्यो बाँध
बीज्या मोठ'र बाजरो, सीध आवड़ी साथ||
हल हांकै करसण करै, चारै गाडर गाय|
ले भालो घोडै चढे, क्षत्री खोड़ न खाय ||


3 जुलाई १९४१ को जोधपुर रियासत के बुचकला गांव के ठाकुर कल्याण सिंह राठौड़ की सबसे छोटी पुत्री सूरजकँवर के साथ आपका विवाह हुआ| बुचकला गांव जयपुर जोधपुर रेल मार्ग पर पीपाड़ रोड़ रेल्वे स्टेशन के पास है अत: आपकी बारात खाचरियाबास से ऊँटों व बैलगाड़ियों से जोबनेर पहुँच वहां से रेल मार्ग द्वारा पीपाड़रोड़ उतर वापस बैल गाड़ियों व ऊँटों पर सवार होकर बुचकला गांव पहुंची थी गांव के बाहर अडूणिया बेरा के पीपल के पेड़ के नीचे ठहरी थी|
बैल गाड़ियों व ऊँटों पर गयी इस बारात का वर्णन श्री सौभाग्य सिंह जी ने अपने काव्य में इस तरह किया -

चढ्या सांझरा चाव चित, करहल मुहरी खींच |
पांच घोड़ला ऊंट दस, जानी दो पच्चीस ||
सिंधु माड मल्लार संग, जांगड़ीयां रो ठाठ |
ढाण टोरड़ा ट्राट अस, बैली बहती वाट ||


१९४२ ई. में उनके पिता के देहांत के बाद परिवार के निर्वहन के लिए आपने सीकर ठिकाणे के पुलिस विभाग में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर की नौकरी ज्वाइन करली पर यह पुलिस की नौकरी आपको ज्यादा दिन रास नहीं आई कारण आपका झुकाव राजनीति की और था|

और आखिर सन १९५२ के चुनाव में आपके भाई बिशन सिंह जी की सलाह पर लाल कृष्ण आडवाणी ने आपको दांता रामगढ़ से जनसंघ के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतारा गया| उस वक्त जनसंघ के पास दांता रामगढ़ के लिए कोई उपयुक्त प्रत्याशी भी नहीं था| इस चुनाव में आपके सामने आपके ही परम मित्र राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार व इतिहासकार श्री सौभाग्य सिंह शेखावत रामराज्य परिषद् से उम्मीदवार थे पर उनका नामांकन रद्द होने से आपको बहुत फायदा हुआ| सौभाग्य सिंह जी का नामांकन रद्द होने के बाद वे अपने मित्र भैरोसिंह जी के चुनाव प्रचार में जुट गये|


भगतपुरा स्थित वह ऐतिहासिक स्थान जहाँ से भैरोंसिंह जी ने पहला चुनाव प्रचार अभियान शुरू किया| पिछले दिनों इस ऐतिहासिक स्थल को देखने पहुंचे अभिमन्यु राजवी
भगतपुरा गांव में सौभाग्य सिंह जी के घर के आगे बनी कोटड़ी में नीम के पेड़ के नीचे चुनाव प्रचार की रणनीति पर चर्चा हेतु आप-पास के गांव वालों के साथ मीटिंग हुई और वहीँ से ऊंट की सवारी कर चुनाव अभियान की शुरुआत की गई| इस चुनाव अभियान की शुरुआत को सौभाग्य सिंह जी ने अपने काव्य में कुछ यूँ संजोया-

गांव भगतपुरै रात रुक, चरा ऊंट नै चार |
झारो कर दही रोटियाँ, चलै चुनाव प्रचार ||
सिद्ध संत आणंद परम, ब्रह्म ग्यान बीहार |
मिलै अचाणक आय पथ, हुये, ऊंट असवार ||

मुहरी पकडै महामहिम, मन हुलसित हुसियार |
लार ऊंट सौभागसी, चल्यौ देत टिचकार ||
वचन दियो सिद्ध पुरस विजै, सुण्यो सेठ बाजार |
आपै इज दौड़ण लगे, चुनाव काम प्रचार ||

पैदल ऊझड़ गैलियां, सीध ताक कई बार |
फदकण छलागां कूदता, कियौ चुणाव प्रचार ||
एक सांझ अहड़ी बणी, ब्यालू बखत विचार |
गाँव गनेड़ा हाट ले, खाया खोपरा चार ||

गाँव गुनाडां गुलाल उड़ा, गुंजा गयण जैकार |
विधान सभा में जा बड़े, खोलै विपख्ख द्वार ||

सौभाग्य सिंह जी बताते है कि इस चुनाव में भैरोंसिंह जी उनके साथ कभी ऊँटों पर तो कभी पैदल ही खेतों के बीच बिना रास्ते ही किसी गांव की दिशा में सीध में चलकर वहां पहुँच प्रचार करते थे| जिस गांव में रात होती उसी गांव में जो मिलता खा पीकर सो जाते| वे कहते है एक बार तो गनेड़ा नामक गांव में रात को सिर्फ खोपरे खाकर ही भूख शांत करनी पड़ी थी|

इस तरह बिना संसाधनों के अपनी मेहनत के बल पर चुनाव प्रचार कर भैरों सिंह जी यह चुनाव २८३३ वोटों से जीत कर राजस्थान की प्रथम विधानसभा के विधायक बने|

इस चुनावी जीत के बाद भैरों सिंह जी ने राजनीति में पीछे मुड़कर नहीं देखा वे राजस्थान विधान सभा में दस बार विधायक, तीन बार मुख्यमंत्री और तीन बार नेता प्रतिपक्ष रहे| १९७४ से १९७७ तक आपराज्य सभा के सदस्य भी रहे और 19 अगस्त २००२ से २१ जुलाई २००७ तक आप देश के महामहिम उप राष्ट्रपति रहे|

आपने अपने पहले ही मुख्यमंत्रित्व काल में राजस्थान के विकास हेतु अंत्योदय योजना (काम के बदले अनाज योजना) बना लागू की जिसकी संयुक्त राष्ट्र संघ तक ने प्रसंशा की| इस योजना की प्रसिद्धि इस बात से जाहिर होती है कि तत्कालीन विश्व बैंक अध्यक्ष रोबर्ट मैक्नमारा ने आपकी इस योजना की सराहना करते हुए आपको भारत रोक्फेलर कहा|

हमनें भी बचपन में पहली बार अपने गांव में इस योजना के तहत सरकारी काम देखे इसके पहले का कोई सरकारी कार्य का चिन्ह मैंने अपने गांव में नहीं देखा था| पंचायतों को भी आपने गांवों के विकास हेतु बहुत अधिकार दिये आपके द्वारा दिए अधिकारों के बाद ही पंचायतों की प्रसांगिकता बढ़ी| आपसे पहले पंचायतों को सिर्फ पांच सौ रूपये तक की योजनाएं हाथ में लेने का अधिकार था जिसे बढाकर आपने पचास हजार किया और प्रत्येक पंचायत समिति के लिए निर्माण कार्यों की सीमा दस लाख रूपये तक बढाई| जिससे ग्राम पंचायतें गांवों के विकास करने में सक्षम हुई|

८४ वर्ष की आयु में आपको कैंसर का दंश झेलना पड़ा जिसका विभिन्न अस्पतालों में उपचार करवाने के बावजूद आप स्वस्थ नहीं हो पाये और आखिर १५ मई २०१० को जयपुर में आपका निधन हो गया| 

स्व.श्री भैरोंसिंह जी शेखावत (बाबोसा), पूर्व उपराष्ट्रपति की आज तृतीय पूण्य तिथि है इस अवसर पर समृति स्थल, विद्याधर नगर जयपुर पर आज शायं ५.३० बजे से 6.३० बजे के बीच प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया है यदि आप जयपुर या आस-पास है अपने प्रिय नेता बाबोसा को श्रधान्जली देने प्रार्थना सभा में जरुर पधारें|

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7टिप्पणियाँ

  1. शेरे राजस्थान को शत शत नमन

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  2. आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
    धन्यवाद

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  3. विनम्र नमन युगपुरूष को.

    रामराम

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  4. जमीन से जुड़ी शख्सियत ,
    शत शत नमन।

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