गढ़ के पूरब और पश्चिम के दरवाजों को कर्णपोल और चांदपोल कहते है | मुख्य द्वार सूरजपोल के अलावा दौलतपोल,फतहपोल, तरनपोल और धुर्वपोल है | प्रवेश द्वार की चौडी गली पार करने के बाद दोनों और काले पत्थरों की बनी महावत सहित हाथियों की ऊँची प्रतिमाएं बनी है | ऊपर गणेश जी की मूर्ति और राजा राय सिंह की प्रशस्ति है | सूरजपोल जैसलमेर के पीले पत्थरों से बना है | दौलतपोल में मेहराब और गलियारे की बनावट अनूठी है | किले के भीतरी भाग में आवासीय इमारते ,कुँए ,महलों की लम्बी श्रंखला है जिनका निर्माण समय समय पर विभिन्न राजाओं ने अपनी कल्पना अनुरूप करवाया था | सूरजपोल के बाद एक काफी बड़ा मैदान है और उसके आगे नव दुर्गा की प्रतिमा | समीप ही जनानी ड्योढी से लेकर त्रिपोलिया तक पांच मंजिला महलों की श्रंखला है पहली मंजिल में सिलहखाना,भोजनशाला ,हुजुरपोडी बारहदरिया,गुलाबनिवास,शिवनिवास,फीलखाना और गोदाम के पास पाचों मंजिलों को पार करता हुआ ऊँचा घंटाघर है | दूसरी मंजिल में जोरावर हरमिंदर का चौक और विक्रम विलास है | रानियों के लिए ऊपर जालीदार बारहदरी है | भैरव चौक ,कर्ण महल और ३३ करौड़ देवी देवताओं का मंदिर दर्शनीय है | इसके बाद कुंवर-पदा है जहाँ सभी महाराजाओं के चित्र लगे है |
जनानी ड्योढी के पास संगमरमर का तालाब है फिर कर्ण सिंह का दरबार हाल है जिसमे सुनहरा काम उल्लेखनीय है | पास में चन्द्र महल,फूल महल , चौबारे,अनूप महल,सरदार महल,गंगा निवास, गुलाबमंदिर, डूंगर निवास और भैरव चौक है | चौथी मंजिल में रतननिवास, मोतीमहल,रंगमहल , सुजानमहल और गणपतविलास है | पांचवी मंजिल में छत्र निवास पुराने महल ,बारहदरिया आदि महत्वपूर्ण स्थल है | अनूप महल में सोने की पच्चीकारी एक उत्कृष्ट कृति है | इसकी चमक आज भी यथावत है | गढ़ के सभी महलों में अनूप महल सबसे ज्यादा सुन्दर व मोहक है | महल के पांचो द्वार एक बड़े चौक में खुलते है | महल के नक्काशीदार स्तम्भ ,मेहराब आदि की बनावट अनुपम है |
फूल महल और चन्द्र महल में कांच की जडाई आमेर के चन्द्र महल जैसी ही उत्कृष्ट है | फूल महल में पुष्पों का रूपांकन और चमकीले शीशों की सजावट दर्शनीय है | अनूप महल के पास ही बादल महल है | यहाँ की छतों पर नीलवर्णी उमड़ते बादलों का चित्रांकन है | बादल महल के सरदार महल है | पुराने ज़माने में गर्मी से कैसे बचा जा सकता था ,इसकी झलक इस महल में है | गज मंदिर व गज कचहरी में रंगीन शीशों की जडाई बहुत अच्छी है | छत्र महल तम्बूनुमा बना है जिसकी छत लकडी की बनी है | कृष्ण-रासलीला की आकर्षक चित्रकारी इस महल की विशेषता है | पास ही रिहायसी इमारते है जिनमे राजाओं की बांदियाँ और रखैले रहती थी | इन महलों में हाथी दांत का सुन्दर काम भी देखने योग्य है | महलों में वास्तुकला राजपूत ,मुग़ल गुजराती शैली का सम्मिलित रूप है | पश्चिम देशों की वास्तुकला की छाप भी कई महलों में देखि जा सकती है | इन सबको देखकर जूनागढ़ को कलात्मक-जगत का अदभूत केंद्र की संज्ञा दी जा सकती है |
जनानी ड्योढी के पास संगमरमर का तालाब है फिर कर्ण सिंह का दरबार हाल है जिसमे सुनहरा काम उल्लेखनीय है | पास में चन्द्र महल,फूल महल , चौबारे,अनूप महल,सरदार महल,गंगा निवास, गुलाबमंदिर, डूंगर निवास और भैरव चौक है | चौथी मंजिल में रतननिवास, मोतीमहल,रंगमहल , सुजानमहल और गणपतविलास है | पांचवी मंजिल में छत्र निवास पुराने महल ,बारहदरिया आदि महत्वपूर्ण स्थल है | अनूप महल में सोने की पच्चीकारी एक उत्कृष्ट कृति है | इसकी चमक आज भी यथावत है | गढ़ के सभी महलों में अनूप महल सबसे ज्यादा सुन्दर व मोहक है | महल के पांचो द्वार एक बड़े चौक में खुलते है | महल के नक्काशीदार स्तम्भ ,मेहराब आदि की बनावट अनुपम है |
फूल महल और चन्द्र महल में कांच की जडाई आमेर के चन्द्र महल जैसी ही उत्कृष्ट है | फूल महल में पुष्पों का रूपांकन और चमकीले शीशों की सजावट दर्शनीय है | अनूप महल के पास ही बादल महल है | यहाँ की छतों पर नीलवर्णी उमड़ते बादलों का चित्रांकन है | बादल महल के सरदार महल है | पुराने ज़माने में गर्मी से कैसे बचा जा सकता था ,इसकी झलक इस महल में है | गज मंदिर व गज कचहरी में रंगीन शीशों की जडाई बहुत अच्छी है | छत्र महल तम्बूनुमा बना है जिसकी छत लकडी की बनी है | कृष्ण-रासलीला की आकर्षक चित्रकारी इस महल की विशेषता है | पास ही रिहायसी इमारते है जिनमे राजाओं की बांदियाँ और रखैले रहती थी | इन महलों में हाथी दांत का सुन्दर काम भी देखने योग्य है | महलों में वास्तुकला राजपूत ,मुग़ल गुजराती शैली का सम्मिलित रूप है | पश्चिम देशों की वास्तुकला की छाप भी कई महलों में देखि जा सकती है | इन सबको देखकर जूनागढ़ को कलात्मक-जगत का अदभूत केंद्र की संज्ञा दी जा सकती है |
जानकारी के लिए धन्यवाद | अच्छी जानकारी दी है आपने |
जवाब देंहटाएंफोटो मैं आप ही हो क्या ? पहचान मैं नहीं आ रहे |
भाई किले का कुछ और भव्य फोटो डालते तो अच्छा रहता |
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जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा. इतने सारे महल!. हमें यह नहीं मालूम था की बीकानेर ही जूनागढ़ है.
जवाब देंहटाएंरतन सिंह जी पगेलागणां
जवाब देंहटाएंथे बीकानेर आया, तो ब्लॉगर साथी होण रै नाते तौ कम सूं कम कॉल कर देंता। हूं मिलनै जरूर आंतो। अबै भी जे बीकानेर में हो तो एक बार कॉल जरूर करिया। म्है आपसूं मिलने रो प्रयास करसूं।
बीकानेर रै किलै री चोखी जानकारी। आभार।
बीकानेर मे ही हौ तो कॉल करिया 9413156400
हमेशा की तरह राजस्थान के किलों की श्रंखला बद्ध जानकारी दी आपने. भौत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
bikaanai ree kaaeen baat karaan saa
जवाब देंहटाएंjai bikaano !
jai rajputaano
jai hind !
अच्छी जानकारी।
जवाब देंहटाएंमज़ा आया इस भ्रमण का
जवाब देंहटाएंरतन सिंह जी, आपसे संपर्क करने की बहुत कोशिश कर रहा हूं। न कोई फोन नंबर मिल रहा है, न ई-मेल। खैर, ब्लाग कमेंट से आप तक पहुँचने का प्रयास शायद सफल हो जाए। मुझे आपकी पोस्ट मन्नत मांगी जाती है मोटरसाइकिल से बहुत अच्छी लगी। अनुमति हो तो इसको दैनिक जागरण में आपके नाम सहित छापना चाहता हूं। मेरा ई-मेल आई डी mediamanish@gmail.com है। तत्काल उत्तर की प्रतीक्षा है। आशा है आप अनुग्रहीत करेंगे।
जवाब देंहटाएंजिस जूनागढ़ के आगे खड़े होकर आप फोटो खिंचवा रहे हैं, उसी जूनागढ़ के आगे से दिन में पांच बार निकलने का कारण बन ही जाता है। आप जिस अंदाज में इसे लिखा है शायद मैं नहीं लिख पाता। बहुत ही शानदार तरीके से आपने हमारे जूनागढ़ को दुनिया के सामने लाने का प्रयास किया है। आभार। उम्मीद है बीकानेर पर आपकी कलम ऐसे ही चलती रहेगी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर जानकारी दी है । इस गढ़ के अन्दर जो सोने की पच्चीकारी की गयी है उसके कारीगर आज गुमनामी की जिन्दगी जी रहे है । बीकानेर मे एक मोहल्ला है जो भुजिया बाजार के पिछे है उसे उस्तों का मोह्ल्ला के नाम से जाना जाता है यह मोहल्ला इन्ही कारीगरो का मोहल्ला है । इस बारे मे मुझे यह जानकारी यहाँ के एक विधुत अधिकारी शकूर साहब ने दी है वो भी इन्ही उस्ता कारीगरो के खानदान से हैं ।
जवाब देंहटाएंबीकानेर का निवासी हूँ । किले का भ्रमण भी कई बार किया है । लेकिन जितना सजीव चित्रण आपने किया है उससे यह लगता है कि अभी अभी दुबारा भ्रमण करके आया हूँ ।
जवाब देंहटाएंhttp://mahendra-freesoftware.blogspot.com/
दिल्ली के उलट राजस्थान का खुला-खुला माहौल, खाली सड़कें, सड़क के दोनों तरफ दूर तक केवल क्षितिज, मिलनसार लोग...आपने मुझे जोधपुर में बिताया मेरा एक वर्ष फिर से याद दिला दिया...सैर कराने के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंकिले के बारे में बहुत ही अच्छी और विस्तृत जानकारी मिली.नरेश जी की टिप्पणी भी गौर करने लायक है.इस बात का जिक्र क्यूँ कहीं नहीं किया जाता.समझ से परे है.ऐतिहासिक धरोहरों की कितनी अनदेखी है.दुःख होता है .
जवाब देंहटाएंआभार.