History of Khoor Thikana : ठाकुर किशोर सिंह ठाकुर मोहन सिंह खूड़

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  किशोरसिंह श्यामसिंहोत खूड़ : ठाकुर श्यामसिंह की मृत्यु के बाद उनके जेष्ठ पुत्र किशोरसिंह खूड़ की गद्दी पर बैठे। इनके दो ठुकरानियाँ थी। 1. तंवरजी तथा 2. अजबकंवर चांपावत खाटू के रतनसिंह चांपावत की पुत्री महासिंह की पोती थी । किशोरसिंह के दो पुत्र थे । 1. मोहनसिंह जो खूड़ के स्वामी बने । 2. गोपीनाथ ना औलाद थे ।

3. मोहनसिंह किशोरसिंहोत : ठाकुर किशोरसिंह की मृत्यु के बाद उनके जेष्ठ पुत्र मोहनसिंह खूड़ की गद्दी पर बैठे । मोहनसिंह ने ग्राम सुरेड़ा से पश्चिम में अपने नाम पर ग्राम मोहनपुरा बसाया । मोहनसिंह के तीन ठुकरानियाँ थी ।

1. नाथकंवर बीदावत गोपालपुरा के ठाकुर अजबसिंह की पुत्री ।

2. महाकंवर मेड़तणी लोरोली के अखैसिंह की पुत्री ।

3. बिरजकंवर जोधी खाटू के रामचन्द्र जोधा की पुत्री ।

ठुकराणी नाथकंवर बीदावत के तीन पुत्र थे । 1. रूपसिंह 2. जगरामसिंह 3. मनोहरसिंह | ठुकरानी बिरजकंवर जोधी के दो पुत्र थे 1. दीपसिंह 2. चतरसिंह । एक पुत्री चतरकंवर थी जिसका विवाह मनाणा के ठा. धीरसिंह के साथ हुआ । धीरसिंह मनाणा अपने समय के अत्यन्त साहसी एवं वीर पुरुष थे जिन्होंने जोधपुर महाराजा को ललकार कर उनका ऊँटों का टोला ले आये थे

ठा. मोहनसिंह ने वि. सं. 1795 में सांभर में सय्यदों से लड़े गये युद्ध में आमेर के राजा सवाई जयसिंह के पक्ष में रहकर युद्ध लड़ा था । रूपसिंह खूड़ की गद्दी पर बैठे । मनोहरसिंह को आजीविका के रूप में रूपगढ़ की जागीर मिली ।

भ्रात मनोहर संग भड़, संग अजीत समराथ । बखत गुलाब नवल सीह, सुजाण सिंह विख्यात ।। 

मोहण तण रूपो मरद, कूरम बड किरणा । जंग फतैपुर जबर जुड़, प्रिसण किया पैमाल ॥

पति कुहड़ी रूपों प्रकट, रजवट बट को रूप । आयो मदति उमंग, भांजस धार अनूप ॥

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