झिलमिल गांव का इतिहास : रावजी का शेखावतों का ठिकाना झिलमिल

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 झिलमिल गांव का इतिहास : रावजी का शेखावतों का ठिकाना झिलमिल

खंडेला के राजा रायसल दरबारी के पुत्र तिरमल जी को अकबर द्वारा अहमदाबाद पर किये आक्रमण में वीरता प्रदर्शित करने पर नागौर और कासली परगना की जागीर मिली और राव की पदवी भी | यह युद्ध 2 सितम्बर 1573 को हुआ था | उस वक्त राव तिरमल की आयु को लेकर शेखावाटी प्रदेश का राजनैतिक इतिहास के लेखक रघुनाथसिंह जी कालीपहाड़ी ने 15 होने का अनुमान लगाया है | राव तिरमलजी के वंशज राव जी का शेखावत कहलाते हैं और शेखावाटी में इनके कई ठिकाने है जिनमें सीकर ठिकाना प्रमुख था |

राव तिरमलजी की चौथी पीढ़ी में जगतसिंहजी कासली के शासक हुए | जगतसिंहजी के एक पुत्र जैतसिंहजी को शाहपुरा की जागीर मिली और इन्हीं जैतसिंहजी के पुत्र शिम्भुसिंहजी को झिलमिल गांव की जागीर मिली |

शिम्भूसिंह जी ने ही अपने रहने और गांव का प्रशासन चलाने के लिए इस गढ़ का निर्माण कराया | शिम्भूसिंह जी के पौत्र फ़तेहसिंह जी ने जान की नाथ का मंदिर बनवाया | वर्तमान में शिम्भुसिंह जी के वंशजों के गांव में कई घर है, उनके इन्हीं वीर वंशजों में एक जेठूसिंह जी हुए जिन्होंने भारतीय सेना में रहते हुए कांगो युद्ध में अप्रत्याशित वीरता प्रदर्शित करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया था |

भारत सरकार ने उनके बलिदान और वीरता को सम्मान देते हुए उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र प्रदान सम्मानित किया | गांव में उनकी प्रतिमा लगी है |

इस गांव में एक गोगाजी महाराज की मेड़ी भी है जिसके बारे में गांव वालों का दावा है कि सीकर जिले की यह पहली मेड़ी है | गांव में कई जातियों के लोग आपसी सौहार्द के साथ निवास करते हैं |

तो ये थी रावजी का शेखावतों के एक ठिकाने झिलमिल की जानकारी | झिलमिल गांव लोसल-सालासर सड़क मार्ग पर नेछवा के पास स्थित है | अगले लेख में हम फिर इसी तरह की जानकारी लेकर प्रस्तुत होंगे धन्यवाद जय हिन्द जय भारत जय राजपुताना |

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