रामदान रै कुंवरडै री सगाई

Gyan Darpan
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दूसरों के बनते काम बिगाड़ने वालों की हरकतों का सजीव चित्रण करता राजस्थानी भाषा में लिखा यह लेख (Rajasthani Story) राजस्थानी भाषा के प्रख्यात साहित्यकार श्री सौभाग्यसिंह जी की कलम से लिखा गया है…………

हेमराज दिनूगै री बखत आप रै खेड़ा में टीबड़ी माथै बैठौ बैठौ बाळू रेत सूं लौटौ मांज रैयौ हो, जितरै में तौ आथूणी कूट कांनी सूं गायां नै रोही में ताड़ नै भोमौ भाखर गांव कांनी आवतौ दिख्यौ। हेमराज, भीमा नै हाथ रौ झालो देय नै कनै बुलावण री सैन करी। भोमौं लाबी डग भरतौ हेमराज कनै आय नै राम रमी करी, हेमराज पाछौ राम राम भाई आव भोमा, कैय नै कुसलखेम पूछी। भोमौ जेळी रौ नाळौ धरती माथै टेकनै जेळी रा सींगा पर मूंठी मेल अर उण पर आपरी ठोढ़ी टेकतौ थकौ बोल्यौ-ठोरमटौर हां ठाकरां। हेमराज कैयौ- खेत सम्हाळ आयौ दीखै है! हां, ठाकरां! आपणां ढांढ़ा नै रोही में ऊछेर नै आयौ हूं। दो घड़ी रोही में फिरसी तो क्यूं तांमणांई पेट में पड़सी नै गांव में लोग बागां नै सूनां अधावै भी कोनी। हेमराज कैयौ ठीक इज है भाई परायौ उजाड़ बिगाड़ करै जद तो ओळमो इज खावणौ पडै़। ढोर ढांढा उजाडू नीं हुवै। उजाडू तो धणी इज हुवै है। हेमराज इतरी बात करनै बोल्यौ-पटेल! गांव री और कांई नुंवी जूनी हळगळ है। मैं तो अेक पन्द्राड़ी सूं सांझ रा इज पाछो आयो हूं। मारवाड़ कांनी पावणाचारी में गयोड़ौ हौ। घणा दिन लागग्या।

भोमौ बोल्यौ-गांव में तो नुंवी-जूनी कांई है। पण काल थांकी पटेलण वडै रावलै गई ही। कैवै ही कै रामदानजी काकैजी रै कुंवरडै रै सगपण खातर पावणा आयौड़ा है। देवळौ, भी बतावतौ हौ कै काल तीसरै पहर जोरदानजी रै साथै एक अणसैंधौ मिनख कूआ रा कोठा माळै ऊभौ हौ। दोनूं घणी ताळ बीढा पर ऊभा बातां करै हा। जोरदानजी कूआ पर आधपांती रामदानजी री पावणां नै बतावै हा। मकानां में भी आधूआध हिस्सौ रामदानजी रौ बतावै हा।

रामदानजी अर जोरदानजी सागै काकौ-भतीज, पण जोरदानजी रौ घर जोरां। मकान, कूऔ, खेत-क्यार, ऊंट-पूंण, गाय-मैंस सब भांत सूं संठियोड़ौ घर। कोटड़ी अर बैसक री आछी ओपती जुगत। कनै पांच पीसा री जुळगै। गांव में आछी मान-तांन। चौखळा में भी ठावां घरां नै ठीमर मिनखां में गिणीजै। किणी री खोटी-खरी, ओछी-इधकी बात मुंहडै में नीं घालै। टाळवां मिनखांरी गिणत में आवै। आपरी कमाऊ अर आपरी खाऊ मिनख। रामदान भी नेक नीत रो मिनख। सगळा गांव सू हेत हिमळास राखै। नंद फंद सूं सैकड़ां कोसां आंतरै नीकलै। पण, घर में धापर नादारी। जोरदान रौ बरौबरियौ बंटायत। पण पैमाइसी रै समै जमीन, खेतड़ा सगळा करसां रै हेटै चल्या गया। फगत बारे बीघा तेरै विस्वा जमीन इज खातेदारी में रैयी।

घर में अेक जोड़ायत, दो बाइल्या अर अेक कुंवरड़ौ खींवराज। खींवराज नाक-नकसै डील-डोल अर हाड पगां रो चौखौ भलौ। बायां रा हाथ तौ पीळा कर दिया, पण खींवराज रै ब्याव-सावा रौ ढंग ढाळौ नीं बैठै। सगपण घणा ई आवै, टाबर नै जोय नै गिनायत मन थाम लै, पण घर री जुगत जोय नै लोग पाछौ पग मोड़ लेवै। इयां करतां-करतां खींवराज चौईसी नै लांघग्यौ। सगपण रौ जुगाड़ कौ बैठौ नीं। छेवट आज खारीपट्टी रौ करणीदानजी, जोरदान रा मकान, कूआ, बळद-बाळद, नै जमीं रौ आध धणी समझ नै खींवराज री सगाई आपरी डावड़ी सूं करण नै राजी हुयौ। जोसी नावां टेवा, वर्ग मिळाय नै सगाई री पक्की कराय दी। सारौ काम बणबाळो इज हौ, पण उणी समै खीचड़ा में गुठलौ कै खीर में मूसल सौ हेमराज आय पूगौ। अर आवतोई कातियौ कूतियौ कपास कर दियौ। बातां ई बात में इसौ भचड़कौ नांखियौ कै खारै कुत्ता खीर।

आडै दिन तो हेमराज, रामदान अर जोरदान री कोटड़ी में पग उठाय नै नीं आवतौ। पण, पावणां-पही री सुण नै डाकण रै न्यूतै जरख री भांत जैन बखत पर झट आय जावतौ। गांव में जठै-कठै ई सगा गनायत आवण री सुणनै ‘खीरां मेली खीचड़ी टीलौ आयौ टच’। सौ हेमराज भी पूग इज जावतौ। अमेळ-अणबणत होतां थकां भी अेहड़ा मौका पर आवण में कोनी चूकतौ।

हेमराज, रामदानजी रै तीन पीढ़ी आंतेरै भाई लागै। पण वडौ कुबध रौ कोथळौ। भूंड रौ भंडार। कपट रौ आगार। बातां में बीरबल रौ इज काकौ कै नारद रौ नानौ। ठाढी बातपोस। अन्तर कपटी। बुगला रौ बाबौ इज जेठ रौ भतूलियौ सौ बात नै पानी फफूंदरियां ज्यूं बखेर नै आकासां चढ़ावण में वडौ बाजीगर। किणीं नै धड़ै पालड़े इज नीं लागण देवै। बातां में बिलमावण में प्रौढ़ां नै भी पैतरौ भुलाय दे। न धरती पड़ण दे नी आकास उड़ण दे। लाज-सरम तो नैड़ै ढूकडै़ इज कौ नीसरी नै। अठी रा भाखर उठी नै मेलता घड़ी पलक इज नीं लगावै। अेहड़ौ अकल रौ उजीर। कूड़ कामण रौ कंथ सौ रामदान रै डावड़ै री सगाई री बात भोमा रा मुंहड़ा सूं सुण नै मन में घोळ गूंथतौ थकौ उठनै आपरी कोटड़ी कांनी बहीर हुयौ। घरां आय आपरा हाथ ऊजळा करनै वडै बाप रै बेटै भाई घीसीदान नै हेलौ दियौ। घीसू कांई करै है ? थोड़ो अठै आव तो। घीसीदान कनै आयौ जणा बोल्यौ-अरे, सुणी है, कै रामदानजी रै लूंगीदान री सगाई करण तांई पावणा आया बताया। जोरदान आपरौ मकान, कूऔ नै खेतड़ा में आध पांती रामदानजी री बताय नै पावणा नै पटाय लिया बताया। डोफा, तूं नै बाबोजी दोनंू अठै ई हा, फेर थां कांई करता रैया। थोड़ी घणी भी निंगै कोनी राखौ क गांव में कठै कांई बात हुवै है। इयां तौ औ, ठाकरपणौ थोड़ा ई दिनां रौ दीसै है। थांनै गांव रौ कूकरौ ई नीं पूछेलौ। आपणी कोटड़ी सूं उण कोटड़ी में पैली सूं इज आंट टेढ़ चालै है। आव, तूं म्हंारै साथै चाल। आपणै पूछिया बिना ई औ सगारथ कियां हुयौ। गांव में चोथ रा बंटायत बाजां हां। पछै आपां नै कुंण पूछसी। कुंण गिणसी। दोनां री बतळावण सुण नै घीसीदान रौ बाप, घीसीदान नै ओझाड़तौ थकौ बोल्यौ-अरे घीसू इण कुटीचर हेमा री फंकी में मत आजाज्यै। औ तौ इयां ई ऊंधा पाधरा नै सिर फूड़ावणी करतौ रैयौ है। किणी रा घर मंडता में फिदड़कौ पटकणौ, कुटीचरां खोडीलां माणसां रा काम है। बणता काज में पळीती सिलगाय नै चिंणगारी गैरणौ आगोतर बिगाड़णो है। आपणै किणी री राई दुहाई में नी पड़णौ। गैलै चालतै बैराड़ी मोल क्यूं लेवणौ। इण हेमा री तो बुध मारी गई। अकल बाहिरौ कूड़ कपट रा काम इज करसी। औ तौ आपसरी में फूटा जोजरा करण नै इज जनमियौ है। किंणी री भलाई सूं इण नै कांई लेणौ देणौ। आपणै तो कूड़, कुबुध सूं सौ कोसां आंतरै रहणौ। इणरी पढाई पाटी नीं सीखणी।

जितरै तौ हेमराज बोलियौ- म्हैं इण टाबर नै कांई कुसीख देऊं हूं ? म्हैं तो आ कैवूं हूं कै म्हैं रामदान जी री कोटड़ी कांनी जावूं हूं। जे पावणां रै सागै बातां में घणी ताळ लाग जावै अर छाक बखत हौ जावै तो तूं हेलौ पाड़ दीजै कै पटवारीजी आया है। थांनै उडीकतां घणी ताळ हुई। उवै खाथावळ करै है, सौ वेगा सा घरां चालौ। सौ पटवारी रा नांव रा टाळा सूं उठा सूं उठ आवृं। नीतर पावणां रै भेळे जीमण नै बैठाय दियौ तो कई ओलावौ लेय नै आऊंला। म्हैं तो साव सीधी सुधभाय बात कही है।जद घीसीदान रै बाप कही-आ, तो ठीक बात है। हेलौ तौ एक कांई हजार पाड़ देसी। इणमें तौ कांई जीभ घसै है। बुलाबा-तलाबा में तौ क्यूंई आंट कोनी आवै। इण भांत घीसीदान नै कैयनै हेमराज रावळा में गयौ। कानां में सोना री सांकळियां, गळा में माताजी रौ फूल, अर आंगळी में बीटीं नै हाथां में कड़ा पैहरिया। हाथ में चांदी रौ हुक्कौ लियौ। चिलमिया जचाय नै हेमराज खाथी डग भरतौ थकौ जोरदान रामदान री कोटड़ी कांनी गयौ।

कोटड़ी में तिबारी रै मुहारणै में पग धरतौ इज जैमाताजी री करनै मुडा पर बैठौ अर पावणां साम्हे नेचौ करनै बातचीत करण लागौ। नांव, गांव कांकड़-सीमाड़ी, समै-कुसमै रै काचे कुररे, धान-पात, धीणां-धापा री सगळी बातां पावणां नै पूछी अर रामदान रै डावडै री सपूताचारी रा घणा बखाण किया। इण रीत आप रा खांवचोपण री पावणां पर छाप जमायली। घणी हरख हिमळास री बातां करी।

इतरै में तौ पैली रा समचा रै कारण घीसीदान आय नै हेलौ दियौ- हेम दादोभाई ! पटवारी जी आयोड़ा बैठा है थानै एक घड़ी सूं बैठा-बैठा उडीकै है। सगळा गांव में परिक्रमा काट आयौ, थे नीं लाधा। छेवट लाई पुजारी जी बतायौ कै जोरदानजी दादोभाई री कोटड़ी कांनी जावतां नै मै देखिया हा। जद ठा पड़ियौ अब वेगा चालौ। घणी ताल सूं थांकी बाट न्हाळै है।

आ सुणर हेमराज कइयौ-तूं घर चाल। मैं लारै रौ लार आऊं हूं। पछै बड़बड़ातौ थकौ बोल्यौ-राजरा अैलकार, अफसरां नै धरोड़ भावै है। अठै कठै हेमाणी गडी पड़ी है। राजा रा चाकरां नै डाकीवाड़ौ सूझियौ है। लाव राजा घूघरी, लाव राजा घूघरी री दांई रट लगा मेली है। आजादी कांई आयी, सगळी रापट रोळ मचा दी। रेबारण ही अर डाकण होगी। पछै ऊंटा चढर खाय तौ कंुण पालै। जिसा चाकर बिसा इज नेता नांगळा मिल गया। अर, औ तौ पटवारी कांई हिड़कियौ माणस इज है। सगळा खेतीखड़ा नै घुरड़ार खायगौ। बात-बात रौ पीसौ कठां सूं आवै। करसां कनै पीसां री खाना थोड़ी ई निकळे है। थोड़ा सा काम खातर इज सौ-सौ रुपया मांगलै। म्हंारै खेत री खातेदारी रौ नांवौ पळटाणौ है, सौ रुपिया मांगै है। म्हैं दस रुपिया देवणा धाम दिया पण हूंकारौ इज नीं भरै। काठौ नन्नौ झाल लियौ। पूरा एक सौ रौ पत्तो मांगै है। देखौ, कैड़ी रोळदट्ट मचा मेली है। कोई भी धोलै दिन रा आं धाड़ायतियां नै हटकणियौ कोनी कै राज थांनै रोजगार दै मेलियौ है पछै थे पीसा किण बात रा चावौ हौ। अबार जे जोरदान कनै सूं सौ री ठौड़ हजार मांगै तो इज घणां कौनी। इण रै न्यारी निरवाळी पांच सौ बीघा कांकड़ री जमीन, अेकला रै दुढांणियौ कूऔ, आछौ मकान नै सगळी थोक है। पण, म्हारै अर रामदानजी काकैजी रै तो कोटड़ी, खेड़ा और रोही री सगळी जमीन तेरह बीघा सात बिस्वा ई है। म्हां दोनां रै न कूऔ अर न जाव। पछै एक सौ रुपिया म्हां कठां सूं ल्यावां। मिन्नी नै तौ ताकळा रौ ठांम इज भारी पडै़। देखौ, किसौ अजोगो जमानौ आयौ है। न राजा न्याव न प्रजा प्रीत।

आ, कैय नै ऊठतौ थकौ हेमराज बोलियौ-ल्यौ सगाजी ! बातां री तौ कांई छेह आवै है, पण उणा कुबधी नै तौ लेसी जणां तौ दस रुपिया देय नै लार छुड़ाणी इज पड़सी। नींतर अबार रोटियां रौ फेर भचीड़ ठोक देसी। इतरी बात कैयनै हेमराज झपाक सूं उठ नै पगोतियां सूं हेटै उतर गयौ।

रामदान अर जोरदान रै काटो तो खून री बूंद इज नीं। जाणै पगां हेटै सूं धरती निकळगी। माथो भूण ज्यूं बरणाटै चढ़ग्यो। काकै भतीजै रो तन-मन पसीनै-पसीनै हुयग्यौ। पावणा रै मन में भी सांच-झूठ री घालमेल लागगी। पछै पावणौ उठ नै थैली उठाय नै बौल्यौ-घर, टाबर म्हंारै दाय आयग्यौ है। बीचेट भाई फौज में है, सौ उण नै कागद न्हाख नै फैर पूछ लूं। उण रौ पडुत्तर आवतांई आपनै सगपण री खरी पक्की लिख मेलस्यां। इण भांत कैयनै बस स्टैण्ड कांनी चाल पड़ियौ। रावळा में दमामण बैठी गाळ गावती रैयी अर चावळ लापसी पुरसियौड़ा थाळ में पड़िया रैया। पावणौ मोटर चढ़ग्यौ।

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