इस अवसर से हिंदी ब्लॉग जगत से आमंत्रित एक मात्र ब्लोगर रतन सिंह शेखावत ने अपने उद्बोधन में कमलेश चौहान के उपन्यास "सात समंदर पार" पर बोलते हुए उपस्थित सभी साहित्यकारों व बुद्धिजीवियों से हिंदी ब्लॉग जगत से जुड़ कर इन्टरनेट पर हिंदी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओँ के प्रसार करने की अपील की| उनकी इस अपील पर हास्य कवि महेंद्रजी शर्मा ने जल्द ही ब्लोगिंग से जुड़ने की इच्छा व्यक्त की|
संगोष्ठी में आये ज्यादातर लोगों का कमलेश चौहान से परिचय फेसबुक के माध्यम से ही हुआ था अत:वहां उपस्थित अपने फेसबुक मित्रों से रूबरू मिलकर कमलेश चौहान काफी रोमांचित थी| साथ ही इस बात का पता चलने पर उपस्थित कई बुजुर्ग वरिष्ट साहित्यकारों को पहली बार इन्टरनेट की महत्ता का आभास हुआ|
संगोष्ठी में सभी वक्ताओं ने वर्षों से सात समंदर पार रहने के बावजूद कमलेश चौहान के हिंदी भाषा के प्रति प्रेम की मुक्त कंठ से प्रसंशा की|
संगोष्ठी में बोलते हुए प्रवासी लेखिका कमलेश चौहान
संगोष्ठी में बोलते हुए साहित्यकार चित्रा मुदगल
सबको ब्लॉग से जुड़ने के लिये प्रेरित करना होगा।
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति और जानकारी के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअच्च्ची जानकारी....
जवाब देंहटाएंजानीय छोटी-खाटू गाँव के मेले के बारे में...
http://vijaypalkurdiya.blogspot.com
बधाई ... .बधाई ..बधाई ....
जवाब देंहटाएंहमारी और से आपको बधाई ..
आके ब्लॉग "ज्ञान दर्पण " की चर्चा आज "गर्भनाल " पत्रिका जो प्रवासी भारतीयों की पत्रिका हे उसमे हुयी |
पत्रिका ने लिखा हे की "रतन सिंह जी शेखावत अपने ब्लॉग पर राजस्थान की आन बान और शान का परिचय करवाते हे , जंहा हमारी संस्कृति के बारे में अदभुत जानकारिया मिलती हे "
मुझे यह जानकारी "गर्भनाल " पत्रिका ने इ-मेल से दी | यह पुस्तक यंहा पर http://www.garbhanal.com/ (october 2011) उपलब्ध हे |
ratan singh ji, congratulations......
जवाब देंहटाएंबहुत जानकारीपूर्ण ब्लॉग है रतन सिंह जी आपका,
जवाब देंहटाएंसाभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com