मुगलों के राज में राजा महाराजाओं को मुग़ल दरबार में पद (मनसब) उनकी राजनैतिक हैसियत के साथ युद्धों में दिखाई गयी उनकी वीरता आदि के आधार पर दिए जाते जाते थे जिसकी तलवार में जितना जोर उसका मनसब उतना बड़ा | इसलिए मुग़ल दरबार में मनसब बांटते समय कोई विवाद नहीं रहता था | पर जब भारत में अंग्रेजों का राज जम गया और देशी रियासतों के राजाओं ने उनसे संधियाँ करली तब कानून व्यवस्था अंग्रेजों ने अपने हाथों में ले ली,अब मुग़ल काल में होने वाले युद्ध भी बंद हो गए तो राजा,महाराजाओं,अमीरों,नबाबों ने अपनी तलवारे म्यानों में रखदी | और अपनी अपनी हैसियत राजनैतिक बातों से ही दिखाने लगे |
जो राजा महाराजा मुगलकाल में पद मनसब के लिए युद्धों में अपनी तलवार का जौहर दिखाते थे अब वे उन्ही पदों के लिए अंग्रेजों से कागजी लड़ाइयाँ लड़ने लगे- मेरा पद ये होना चाहिए,मेरी उपाधि वो होनी चाहिए,अपने राज दरबार में मेरा सिंहासन इस जगह होना चाहिए, अंग्रेज रेजिडेंट अफसर की कुर्सी मेरा सिंहासन के इधर होनी चाहिए ,हम यूँ बैठे,अंग्रेज अफसर यूँ बैठे | बस सभी राजाओं,महाराजाओं की अब लड़ाई ये ही रह गयी थी |
एक बार जोधपुर के महाराजा तख़्तसिंह के ऐसे ही किसी पत्र से अंग्रेज सरकार को बड़ी चिढ हुई और अंग्रेज सरकार ने महाराजा जोधपुर को एक पत्र लिखा |
" आप बार बार हमें ये पत्र भेजते है कि हमें ये उपाधि दो,ये सम्मान दो,वो सम्मान दो | फिजूल की तकरीरे करते हो | मुगलों के वक्त आपकी इज्जत कहाँ गयी थी,जब उन्हें आप अपनी बेटियां देते थे |"

एक बार जोधपुर के महाराजा तख़्तसिंह के ऐसे ही किसी पत्र से अंग्रेज सरकार को बड़ी चिढ हुई और अंग्रेज सरकार ने महाराजा जोधपुर को एक पत्र लिखा |
" आप बार बार हमें ये पत्र भेजते है कि हमें ये उपाधि दो,ये सम्मान दो,वो सम्मान दो | फिजूल की तकरीरे करते हो | मुगलों के वक्त आपकी इज्जत कहाँ गयी थी,जब उन्हें आप अपनी बेटियां देते थे |"
महाराजा तख़्तसिंह जी ने भी वापस पत्र का जबाब भेजा -
"आप ठीक फरमा रहे है साहब बहादुर ! मुगलों के समय हमने बेटियां दी पर हमने अपनी बेटियां तख़्त को दी जो अभी भी देने के लिए मनाही नहीं है | तुम्हारे विलायत के तख़्त पर इस वक्त महारानी विक्टोरिया विराजमान है वही राजा है ,आप चाहे तो हम आपके तख़्त यानी महारानी विक्टोरिया के साथ शादी के लिए तैयार है | आप कहे तो मैं जैसा हूँ वैसा इसके लिए हाजिर हूँ नहीं तो मेरा जवान बेटा महारानी से शादी के लिए हाजिर है | मलिका महारानी जिसे चाहे पसंद कर शादी कर सकती है |"
अंग्रेज अफसर तो महाराजा तख़्तसिंह का पत्र पढ़कर खिसयाकर रह गए और फिर दुबारा उन्होंने कभी किसी मुद्दे पर मुग़लकाल की नजीर नहीं दी |
hahahahaha baht badhiya ..... angrej afsar ka muh dekhne layak hoga ... :)
जवाब देंहटाएंkhamma ghani
हा हा! बहुत सटीक जबाब!!!
जवाब देंहटाएंकमाल का प्रसंग बताया है आपने। बहुत सही जवाब दिया राजा ने।
जवाब देंहटाएंझन्नाट जवाब।
जवाब देंहटाएंधोबी पछाड़
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया .. आपके इस पोस्ट की चर्चा आज की ब्लॉग4वार्ता में की गयी है !!
जवाब देंहटाएंईंट का जवाब पत्थर से ,वाह क्या बात है |
जवाब देंहटाएंबिलकुल ईँट का जवाब पत्थर से दिया राजा ने।
जवाब देंहटाएंकमाल का प्रसंग बताया है आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
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