
आपने अंग्रेजी शिक्षा देवीचरण सिंह जी से,संस्कृत शिक्षा पंडित पन्नालाल जी से व उर्दू शिक्षा मुंशी जफ़रअली जी से प्राप्त की |
बीकानेर के पास रावतसर ठिकाने के रावत तेजसिंह जी के साथ आपका सन १९३४ में पाणिग्रहण हुआ | रावत तेजसिंह जी उदार सात्विक प्रवृति के पुरुष थे | आपके संतानों में दो पुत्र व चार पुत्रियाँ है | बड़े पुत्र घनश्यामसिंह जी वर्तमान में रावतसर के रावत है जो विंग कमांडर के पद से सेवानिवृत हुए है | दुसरे पुत्र बलभद्रसिंह अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास में प्रथम सचिव के रूप में रहे और सन १९९८ में आई.जी.पुलिस रहे व कुछ समय बाद पुलिस महानिदेशक (डी.जी.) के पद से सेवानिवृत हुए | चरों पुत्रियों के नाम श्रीमती सुभद्राकुमारी,रूपमणि,उमाशशि व राज्यश्री है | बड़ी पुत्री सुभद्राकुमारी जी का विवाह अमरकोट (पाकिस्तान) के राणा चन्द्रसिंह जी के साथ सन १९५५ में हुआ था | उनके शेष दामादों में दो कर्नल व एक इंजिनियर है |
कवियों की कविताओं में रानी सा
गुणी कुमारी देवगढ ,जग लक्ष्मी जांणिह ||
भावार्थ : श्रीमती लक्ष्मीकुमारी जी चुण्डावत जैसी श्रेष्ठ लेखिका एवं सद्गुण संपन्न महिला को सारा विश्व जानता है,जो देवगढ की कुमारी और रावतसर की रानी के रूप में विख्यात है |
रांणी थूं रजथान में, जस अन्जस री जोत ||
लाखीणी शुभ लेखणी , संस्कृति मंडगी साख |
सुता विजय धिन पद्मश्री,लक्ष्मी नै रंग लाख ||
भावार्थ : चुण्डावत कुल में प्रकट हुई पद्मश्री लक्ष्मीकुमारी राजस्थान में कीर्ति और गौरव की दीपशिखा है |
जिस महान विभूति की लेखनी शुभकारी व श्रेष्ठ है ,राजस्थानी संस्कृति के क्षेत्र में विशेषता की सर्वमान्य साख (प्रतिष्ठा) से जो यशोमंडित है और जो रावत विजयसिंह जी (देवगढ) की सुयोग्य सुपुत्री है,उन स्वनामधन्य श्रीमती लक्ष्मीकुमारी जी चुण्डावत को लाख लाख रंग (धन्यवाद) अर्पित है |
आपके व्यक्तित्व की कुछ विशेष विशिष्टताएँ -
१-राजघराने की पहली महिला जो परदे से बाहर आई |
२-सब से पहले राजनैतिक चुनाव लड़ा |
३- राष्ट्रपति द्वारा पद्म श्री से अलंकृत |
४-राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रथम महिला अध्यक्ष |
५-राजस्थान विधान सभा में ग्यारह वर्ष समाजनेत्री के रूप में कार्य सञ्चालन |
६-राष्ट्र संघ के नि:शस्त्रीकरण सम्मलेन १९७८(न्यूयार्क) में भारत के प्रतिनिधि के तौर पर भाग लिया |
७-सन १९५८ में हिरोशिमा में हुए विश्व शांति सम्मलेन में विश्वभर से आये प्रतिनिधियों ने श्रद्धांजलि अर्पण करने हेतु केवल आपको ही चुना |
८-शिकागो यूनिवर्सिटी में राजस्थान के वस्त्राभूषण पर व्याख्यान |
९-एफ्रो-एशियन राइटर्स कांफ्रेंस ताशकंद में भारत का प्रतिनिधित्व |
१०- राज्यसभा सदस्य भी रही |
११- राष्ट्रपति डा.राजेन्द्र प्रसाद ने आपके लेखन की सराहना की |
१२-आपकी लिखी कहानी पर एक टेलीफिल्म "पथराई आँखों के सपने " बनी जो १४ मार्च १९९२ को दूरदर्शन पर दिखाई गयी |
१३-आप दूरदर्शन और आकशवाणी की सलाहकार समिति की मनोनीत सदस्या भी रही |
१४-विश्वविद्यालयों में आप राजस्थानी भाषा के विशेषज्ञ के रूप में आपकी मान्यता रही |
१५- राजस्थानी,भाषा,साहित्य एवं संस्कृति अकादमी,बीकानेर का सर्वोच्च सम्मान " महाकवि पृथ्वीराज राठौड़ पुरस्कार" पाने वाली आप प्रथम महिला साहित्यकार है |
१६-आपके जीवन पर एक फ़्रांसिसी महिला टैफट ने के अंग्रेजी में एक पुस्तक लिखी |
१७- आपकी लिखी राजस्थानी कहानियों पर शोध करने वाले डा.भारत ओला को राजस्थान विद्यापीठ,उदयपुर ने पी.एच.डी. की उपाधि प्रदान की |
आपको मिले पुरस्कार व सम्मान
- १९६० मारवाड़ी साहित्य सम्मलेन ,मुंबई द्वारा सम्मानित |
- १९६५ सोवियतलैंड नेहरु पुरस्कार,'हिन्दू कुश के उस पार' पर भारत रूस सांस्कृतिक सोसायटी द्वारा प्रदान |
- १९७२ विशिष्ठ साहित्य सम्मान,राजस्थान साहित्य अकादमी ,उदयपुर |
- १९७६ राजस्थान रत्न ,राजस्थान भाषा प्रचारिणी सभा,अजमेर |
- १९७७ दीपचंद पुरस्कार,दिल्ली ,राजस्थानी लोक साहित्य पर उल्लेखनीय लेखन हेतु |
- १९७९ सोवियतलैंड नेहरु पुरस्कार, रूस की सरकार द्वारा रुसी कहानियों के राजस्थानी अनुवाद " गजबण " हेतु प्रदान किया |
- १९७९ जवाहरचंद मेघानी स्वर्ण पदक, लोक संस्कृति शोध संस्थान, अहमदाबाद |
- १९८२ महाराणा कुम्भा पुरस्कार , महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन , उदयपुर |
- १९८२ उत्कृष्ट साहित्य सर्जन के लिए विद्या प्रचारिणी सभा,उदयपुर द्वारा पुरस्कृत |
- १९८४ पद्मश्री सम्मान, भारत सरकार द्वारा राजस्थानी साहित्य और लोक-साहित्य में उल्लेखनीय योगदान हेतु |
- १९८५ राजपूत महासभा ,जयपुर द्वारा राजस्थानी साहित्य और लोक साहित्य में उल्लेखनीय योगदान हेतु पुरस्कृत |
- १९८८ राजस्थानी भाषा साहित्य और संस्कृति अकादमी,बीकानेर द्वारा डा.एल.पी.टेस्सीटोरी (एक इटालियन विद्वान जो बीकानेर रहा) के जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर सम्मानित |
- १९८८ साहित्य महामहोपाध्याय ,साहित्य सम्मलेन,प्रयाग |
- १९९३ नाहर पुरस्कार ,मुंबई |
- १९९३ लखोटिया पुरस्कार ,दिल्ली |
- १९९६ वाग्मणि पुरस्कार ,राजस्थान लेखिका साहित्य सोसायटी ,जयपुर |
- १९९७ राजस्थान सरकार द्वारा " सांस्कृतिक राजस्थान" हेतु पुरस्कृत |
- १९९७ राजस्थान प्रतिभा पुरस्कार, राजस्थान दिवस समारोह समिति ,जयपुर |
- १९९८ डा.वैश स्मृति पुरस्कार |
- १९९८ वरिष्ठ साहित्य सम्मान , राजस्थान साहित्य अकादमी ,उदयपुर |
- २००२ सरस्वती सम्मान , एन एम् के आर वी कालेज ,बैंगलोर |
- २००३ महाकवि पृथ्वीराज राठौड़ पुरस्कार ,राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,बीकानेर |
- २००३ महाराजा सवाई प्रतापसिंह पुरस्कार,महाराजा सवाई मानसिंह पैलेस संग्रहालय ,जयपुर |
- २००५ मातुश्री कमला गोयनका पुरस्कार, कमला गोयनका फाउंडेशन ,बैंग्लोर |
आपकी प्रकाशित पुस्तकें
प्रकाशन वर्ष शीर्षक विधा तथा भाषा
1984 अन्तरध्वनि गद्य गीत, हिन्दी
1956 राजस्थान का ह्रदय राजस्थानी काव्य का हिन्दी अनुवाद
1957 हुंकारों दो सा बालकथाऐं, राजथानी
1958 जुगल विलास राजस्थानी काव्य
1958 कविन्द्र कल्प लतिका राजस्थानी काव्य
1959 मूमल राजस्थानी कहानियाँ
1959 हिन्दुकुश के उस पार यात्रा विवरण , हिन्दी
1960 गिर ऊँचा ऊँचा गढा राजस्थानी कहानियाँ
1960 कै रै चकवा बात राजस्थानी कहानियाँ
1960 राजस्थानी दोह संग्रह राजस्थानी काव्य का हिन्दी अनुवाद
1960 वीरवाण बहादर ढाढ़ी रौ बणायो राजस्थानी काव्य (डिंगल)
1960 अमोलक बांता राजस्थानी कहानियाँ
1961 रवि ठाकर री बांता राजस्थानी अनुवाद
1961 राजस्थानी लोकगीत हिन्दी अनुवाद सहित
1961 टाबरां री बांता बालकथाऐं, राजस्थानी
1961 राजस्थानी के प्रसिद्ध दोहे सोरठे राजथानी दोहों-सोरठों का हिन्दी अनुवाद
1962 गाँधी जी री बांता बाल-साहित्य , राजस्थानी
1964 ग्रन्थमाल राजस्थानी तथा हिन्दी साहित्य का कैटलोग
1966 डूंगजी जवारजी राजथानी कहानियाँ
1966 राजस्थानी लोक गाथा राजस्थानी लोकगाथाओं का हिन्दी अनुवाद
1966 बाघो भारमली राजस्थानी कहानी
1966 संसार री नाम कहानियाँ राजस्थानी अनुवाद
1966 सूली रा सूय माथै चैक लेखक जूलियस फ्युचिक के संस्मरणों का राजस्थानी अनुवाद
1969 शान्ति के लिए संघर्ष यात्रा-विवरण , हिन्दी
1970 लेनिन री जीवनी राजस्थानी अनुवाद
1977 बगडावत देवनारायण महागाथा राजस्थानी
1978 गजबण रूसी कहानियों का राजस्थानी अनुवाद
1981 बात-करामात बाल साहित्य, राजस्थानी
1985 रजवाडी लोकगीत हिन्दी अनुवाद
1985 राजस्थान के सांस्कृतिक लोकगीत हिन्दी अनुवाद
1989 राजस्थनी की रंगभीनी कहानियाँ हिन्दी अनुवाद
1990 मूमल का अंग्रेजी अनुवाद (जी. एल. माथुर) अंग्रेजी
1992 राजस्थान की लोककथाएं (जी. एल. माथुर) कै रै चकवा बात का अंग्रेजी अनुवाद
1994 सांस्कृतिक राजस्थान हिन्दी
1994 रानी लक्ष्मीकुमारी चूण्डावत ग्रंथावली (जहूरखां मेहर द्वारा संपादित) राजस्थानी
1996 राजस्थनी प्रेम गाथाएं हिन्दी
1996 राजस्थनी दोहा संग्रह हिन्दी अनुवाद
2000 फ्राम पर्दा टू द पीपल (फ्रांसेस टैफ्ट) जीवनी , अंग्रेजी
2002 रजवाड़ो के रीति रिवाज़ हिन्दी
लक्ष्मीकुमारी द्वारा लिखित कहानियों की भाषा इतनी सरल है और कहानियां इतनी बढ़िया है कि उन्हें पढ़ते पढ़ते मन ही नहीं भरता | राजस्थानी भाषा में लिखी कहानियां पढने का तो मजा ही अलग है | मैंने इतनी सरल भाषा में किसी और को नहीं पढ़ा |
संदर्भ पुस्तक : "पद्मश्री डा.लक्ष्मीकुमारी चुण्डावत " डा.शक्तिदान कविया द्वारा लिखित
dhnyawad hukum .. rani sahiba ki likhi sanskritik rajasthan to hai hukum mere pass unki anya kitabe jaipur me kahan milegi kripya batane ka kasht karein ya vpp se kahan se prapt kar sakte hain ...
जवाब देंहटाएंkhamma ghani
बहुत अच्छे जी.
जवाब देंहटाएं@ digvijay ji
जवाब देंहटाएंआप लक्ष्मीकुमारी जी की पुस्तकें निम्न पते से मंगवा सकते है
पता :- राजस्थानी ग्रन्थागार
सोजती गेट , जोधपुर-342001
phone-9414243804 Email - info@rgbooks.net
गहन परिचय का आभार।
जवाब देंहटाएंआभार इस परिचय का.
जवाब देंहटाएंइतना विस्तार से परिचय देने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंdhanyawad hukum ... abhaar ....
जवाब देंहटाएंमैंने उनकी रचना 'हिंदुकुश के उस पार' स्कूल जीवन में पढ़ी थी.उसमे छपे लंबे लम्बे बालों वाली रुसी लड़कियों के फोटो मुझे आज भी याद है और 'तहारत' शब्द भी जो मैंने पहली बार पढा था और मैं खूब हँसी थी. लोक कथाओ सम्बन्धी रचनाये भी मैंने पहली बार उनकी ही पढ़ी थी.उनके बारे में पढ़ कर बहुत अच्छा लगा.वे बहुत ग्रेसफुल लेडी हैं.
जवाब देंहटाएंaapka bhut bhut shukriya hkm .inke bare m jankar ham m bhi himmat aai h
जवाब देंहटाएंविस्तृत परिचय हेतु आभार |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर परिचय,
जवाब देंहटाएंलक्ष्मीकुमारी जी मेरे गाँव (देवगढ़)की राजकुमारी हैं। मैने इनके हाथोइं से कई बार विभिन्न प्रतियोगिताओं में पुरस्कार भी प्राप्त किया है।
अगर इसे विकीपीडिया पर भी लगा दें तो अच्छा रहेगा।
सचमुच राजस्थानी भाषा की मिठास का का पता लगाना हो तो इनका साहित्य पढ़ना अच्छा रहेगा ।
जवाब देंहटाएंआभार ।
जवाब देंहटाएंआप का हार्दिक आभार रतन सिंह जी !! बहुत सुन्दर परिचय,
जवाब देंहटाएं