
आजकल की भागदौड़ भरी जिन्दगी व अनियमित खान-पान व तनाव भरे माहौल में ज्यादातर लोग तरह तरह के रोगों से पीड़ित रहते है जिनमे कब्ज व शारीरिक सुस्ती के ज्यादातर लोग शिकार रहते है | और इससे निजात पाने के लिए एलोपेथी गोलियां खाकर दूसरी बिमारियों को न्योता दे देते है पर हम भूल जाते है कि हमारे देश की प्राचीन आयुर्वेद द्वारा प्रदत ऐसे छोटे छोटे नुस्खे भरे पड़े है जिन्हें आजमाकर हम अपने स्वास्थ्य को अच्छा रख सकते है यही नहीं हमारी रसोई में उपलब्ध मसालों आदि के सेवन से हम छोटे मोटे रोग ठीक करने के साथ अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर स्वास्थ्य जीवन जी सकते है |
भारत में हर कोई जानता है कि ऋषि च्यवन ने च्यवनप्राश का सेवन कर अपने शरीर का कायाकल्प कर लिया था | पर आज हम यहाँ चर्चा कर रहे है त्रिफला के सेवन से अपने शरीर का कायाकल्प कर जीवन भर स्वास्थ्य रहने पर | आयुर्वेद की महान देन त्रिफला से हमारे देश का आम व्यक्ति परिचित है व सभी ने कभी न कभी कब्ज दूर करने के लिए इसका सेवन भी जरुर किया होगा | पर बहुत कम लोग जानते है इस त्रिफला चूर्ण जिसे आयुर्वेद रसायन भी मानता है से अपने कमजोर शरीर का कायाकल्प किया जा सकता है | बस जरुरत है तो इसके नियमित सेवन करने की | क्योंकि त्रिफला का वर्षों तक नियमित सेवन ही आपके शरीर का कायाकल्प कर सकता है |
सेवन विधि - सुबह हाथ मुंह धोने व कुल्ला आदि करने के बाद खाली पेट ताजे पानी के साथ इसका सेवन करें तथा सेवन के बाद एक घंटे तक पानी के अलावा कुछ ना लें | इस नियम का कठोरता से पालन करें |
यह तो हुई साधारण विधि पर आप कायाकल्प के लिए नियमित इसका इस्तेमाल कर रहे है तो इसे विभिन्न ऋतुओं के अनुसार इसके साथ गुड़, सैंधा नमक आदि विभिन्न वस्तुएं मिलाकर ले | हमारे यहाँ वर्ष भर में छ: ऋतुएँ होती है और प्रत्येक ऋतू में दो दो मास |
भारत में हर कोई जानता है कि ऋषि च्यवन ने च्यवनप्राश का सेवन कर अपने शरीर का कायाकल्प कर लिया था | पर आज हम यहाँ चर्चा कर रहे है त्रिफला के सेवन से अपने शरीर का कायाकल्प कर जीवन भर स्वास्थ्य रहने पर | आयुर्वेद की महान देन त्रिफला से हमारे देश का आम व्यक्ति परिचित है व सभी ने कभी न कभी कब्ज दूर करने के लिए इसका सेवन भी जरुर किया होगा | पर बहुत कम लोग जानते है इस त्रिफला चूर्ण जिसे आयुर्वेद रसायन भी मानता है से अपने कमजोर शरीर का कायाकल्प किया जा सकता है | बस जरुरत है तो इसके नियमित सेवन करने की | क्योंकि त्रिफला का वर्षों तक नियमित सेवन ही आपके शरीर का कायाकल्प कर सकता है |
सेवन विधि - सुबह हाथ मुंह धोने व कुल्ला आदि करने के बाद खाली पेट ताजे पानी के साथ इसका सेवन करें तथा सेवन के बाद एक घंटे तक पानी के अलावा कुछ ना लें | इस नियम का कठोरता से पालन करें |
यह तो हुई साधारण विधि पर आप कायाकल्प के लिए नियमित इसका इस्तेमाल कर रहे है तो इसे विभिन्न ऋतुओं के अनुसार इसके साथ गुड़, सैंधा नमक आदि विभिन्न वस्तुएं मिलाकर ले | हमारे यहाँ वर्ष भर में छ: ऋतुएँ होती है और प्रत्येक ऋतू में दो दो मास |
१- ग्रीष्म ऋतू - १४ मई से १३ जुलाई तक त्रिफला को गुड़ १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |
२- वर्षा ऋतू - १४ जुलाई से १३ सितम्बर तक इस त्रिदोषनाशक चूर्ण के साथ सैंधा नमक १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |
३- शरद ऋतू - १४ सितम्बर से १३ नवम्बर तक त्रिफला के साथ देशी खांड १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |
४- हेमंत ऋतू - १४ नवम्बर से १३ जनवरी के बीच त्रिफला के साथ सौंठ का चूर्ण १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |
५- शिशिर ऋतू - १४ जनवरी से १३ मार्च के बीच पीपल छोटी का चूर्ण १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |
६- बसंत ऋतू - १४ मार्च से १३ मई के दौरान इस चमत्कारी चूर्ण के साथ शहद मिलाकर सेवन करें | शहद उतना मिलाएं जितना मिलाने से अवलेह बन जाये |
इस तरह इसका सेवन करने से एक वर्ष के भीतर शरीर की सुस्ती दूर होगी , दो वर्ष सेवन से सभी रोगों का नाश होगा , तीसरे वर्ष तक सेवन से नेत्रों की ज्योति बढ़ेगी , चार वर्ष तक सेवन से चेहरे का सोंदर्य निखरेगा , पांच वर्ष तक सेवन के बाद बुद्धि का अभूतपूर्व विकास होगा ,छ: वर्ष सेवन के बाद बल बढेगा , सातवें वर्ष में सफ़ेद बाल काले होने शुरू हो जायेंगे और आठ वर्ष सेवन के बाद शरीर युवाशक्ति सा परिपूर्ण लगेगा |
दो तोला हरड बड़ी मंगावे |तासू दुगुन बहेड़ा लावे ||
और चतुर्गुण मेरे मीता |ले आंवला परम पुनीता ||
कूट छान या विधि खाय|ताके रोग सर्व कट जाय ||
आभार इस स्वास्थयवर्धक जानकारी का.
जवाब देंहटाएंत्रिफला हमारे नाना के यहां न जाने कब से बनाया जाता रहा है क्योंकि हमारे यहां इसके तीनों ही ingredients पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं...
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने, वैसे मेरी उम्र में त्रिफला चूर्ण खाने की जरूरत नहीं पडती, पर मेरे पापा जी नियमित रूप से खाते हैं, और मेरे बाबा जी द्राक्षासव और लवण भास्कर चूर्ण का प्रयोग नियमित किया करते थे
जवाब देंहटाएंसुंदर ,उपयोगी जानकारी
जवाब देंहटाएंअति सुंदर जानकारी, मेरे पास कई साल पुराना ( ५,६ साल) पाऊडर पडा हे त्रिफ़ले का, क्या उसे खा सकते हे?
जवाब देंहटाएं@ भाटिया जी
जवाब देंहटाएंइतना पुराना चूर्ण सेवन करने का कोई फायदा नहीं |
बहुत ही उपयोगी औषधि।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया जानकारी प्रदान की है | कायाकल्प हेतु अन्य साधन लहसुन ,भिलावा,अदरक आदि भी है | लेकिन जितना निरापद त्रिफला चूर्ण होता है उतना बढ़िया दूसरा नहीं है |
जवाब देंहटाएंtrifla churan bahut achchha churan hein yeh jaankari apne badhiya jankari de hein deshi or uchit rate ki davai se fayeda bhi jyada hein isse ankho ki dristi tej ho jaati hein
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी.
जवाब देंहटाएंkhama gani hukum ,bhut hi acchi jankari
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया जानकारी प्रदान की है |
जवाब देंहटाएंThanks for giving excellant information about triphala churna, but i am using since last 3months(approx. 1 tsp daily with warm water) so i got body mass changes (like weigth loss from 86 to 78 approx.) my sugar level reduces too, let me give your opinion i should regular or discontinue..
जवाब देंहटाएंthanks
ABHOT ACHHI JAAN KARI DI HAI SIR JI AAPNE.
जवाब देंहटाएंSIR KYA AAP :SHARAB: KE NIZAT PAANE KA KOI UPAYE BATA SAKTE HAI. TO PLS ...
AAPKI BADI MEHAR BAANI HOGI.
PAR UPAYE SARAL BATEYEGA.
AGAR AAP MUJHE MERI EMAIL ID PAR POST KARE TO AAPKI BADI MEHAR BAANI HOGI.
MERA EMAIL HAI- INFONET_COMPUTERS@YMAIL.COM
THNAKS
SIR ISKI SIDE EFFECT KE BARE ME BHI BATAYE. SIDE EFFECT BACHNE KE UPAY KYA HAI
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाभदायक दायक एवं शारीरिक विकास के लिए उपयोगी मैं तो ये कहूँगा कि इसका प्रयोग आवश्य करें।
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