आधा फेरा इण धरा , आधा सुरगां खाय ||
उस वीर ने फेरे लेते हुए ही सुना कि दस्यु एक अबला का पशुधन बलात हरण कर ले जा रहे है| यह सुनते ही वह आधे फेरों के बीच ही उठ खड़ा हुआ और तथा पशुधन की रक्षा करते हुए वीर-गति को प्राप्त हुआ| यों उस वीर ने आधे फेरे यहाँ व शेष स्वर्ग में पूरे किये|
सन्दर्भ कथा -

चारणी को उसकी रक्षा का वचन देने के बाद एक दिन पाबूजी अमरकोट के सोढा राणा सूरजमल के यहाँ ठहरे हुए थे| सोढ़ी राजकुमारी ने जब उस बांके वीर पाबूजी को देखा तो उसके मन में उनसे शादी करने की इच्छा उत्पन्न हुई तथा अपनी सहेलियों के माध्यम से उसने यह प्रस्ताव अपनी माँ के समक्ष रखा| पाबूजी के समक्ष जब यह प्रस्ताव रखा गया तो उन्होंने राजकुमारी को जबाब भेजा कि 'मेरा सिर तो बिका हुआ है, विधवा बनना है तो विवाह करना|'
लेकिन उस वीर ललना का प्रत्युतर था 'जिसके शरीर पर रहने वाला सिर उसका खुद का नहीं, वह अमर है| उसकी पत्नी को विधवा नहीं बनना पड़ता| विधवा तो उसको बनना पड़ता है जो पति का साथ छोड़ देती है और शादी तय हो गई| किन्तु जिस समय पाबूजी ने तीसरा फेरा लिया ,ठीक उसी समय केसर कालवी घोड़ी हिन् हिना उठी | चारणी पर संकट आ गया था| चारणी ने जींदराव खिंची को केसर कालवी घोड़ी देने से मना कर दिया था, इसी नाराजगी के कारण आज मौका देखकर उसने चारणी की गायों को घेर लिया था|
संकट के संकेत (घोड़ी की हिन्-हिनाहट)को सुनते ही वीर पाबूजी विवाह के फेरों को बीच में ही छोड़कर गठ्जोड़े को काट कर चारणी को दिए वचन की रक्षा के लिए चारणी के संकट को दूर-दूर करने चल पड़े| ब्राह्मण कहता ही रह गया कि अभी तीन ही फेरे हुए चौथा बाकी है ,पर कर्तव्य मार्ग के उस बटोही को तो केवल कर्तव्य की पुकार सुनाई दे रही थी| जिसे सुनकर वह चल दिया; सुहागरात की इंद्र धनुषीय शय्या के लोभ को ठोकर मार कर,रंगारंग के मादक अवसर पर निमंत्रण भरे इशारों की उपेक्षा कर,कंकंण डोरों को बिना खोले ही |
और वह चला गया -क्रोधित नारद की वीणा के तार की तरह झनझनाता हुआ, भागीरथ के हठ की तरह बल खाता हुआ, उत्तेजित भीष्म की प्रतिज्ञा के समान कठोर होकर केसर कालवी घोड़ी पर सवार होकर वह जिंदराव खिंची से जा भिड़ा,गायें छुडवाकर अपने वचन का पालन किया किन्तु वीर-गति को प्राप्त हुआ|
इधर सोढ़ी राजकुमारी भी हाथ में नारियल लेकर अपने स्वर्गस्थ पति के साथ शेष फेरे पूरे करने के लिए अग्नि स्नान करके स्वर्ग पलायन कर गई|
इण ओसर परणी नहीं, अजको जुंझ्यो आय|
सखी सजावो साज सह, सुरगां परणू जाय||
और वह चला गया -क्रोधित नारद की वीणा के तार की तरह झनझनाता हुआ, भागीरथ के हठ की तरह बल खाता हुआ, उत्तेजित भीष्म की प्रतिज्ञा के समान कठोर होकर केसर कालवी घोड़ी पर सवार होकर वह जिंदराव खिंची से जा भिड़ा,गायें छुडवाकर अपने वचन का पालन किया किन्तु वीर-गति को प्राप्त हुआ|
इधर सोढ़ी राजकुमारी भी हाथ में नारियल लेकर अपने स्वर्गस्थ पति के साथ शेष फेरे पूरे करने के लिए अग्नि स्नान करके स्वर्ग पलायन कर गई|
इण ओसर परणी नहीं, अजको जुंझ्यो आय|
सखी सजावो साज सह, सुरगां परणू जाय||
शत्रु जूझने के लिए चढ़ आया| अत: इस अवसर तो विवाह सम्पूर्ण नहीं हो सका| हे सखी ! तुम सती होने का सब साज सजाओ ताकि मैं स्वर्ग में जाकर अपने पति का वरण कर लूँ|
लेखक : स्व.आयुवानसिंह शेखावत
पाबू -1 | ज्ञान दर्पण
पाबू -2 | ज्ञान दर्पण
इतिहास जानना अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंese mahan yodha ko naman
जवाब देंहटाएंपाबूजी राठोर के लिए राजकुमारी का देह त्याग कितना वीभत्स्व रहा होगा. बहुत आभार इस घटना के बारे में बताने का.
जवाब देंहटाएंवीरता के एक और पर्याय को नमन।
जवाब देंहटाएंराजस्थान का इतिहास इस प्रकार के वीरो से भरा पड़ा है जरूरत है इस प्रकार की जानकारी को आज के समाज के सामने लाने की |आजकल लोग इन्हें देवता बना कर पूज रहे है लेकिन इनके बारे में जानकारी बहुत कम है जिन्हें इतिहास के पन्नों में से निकाल कर नेट की दुनिया में बताया जाए |आपकी इस कोशिस को प्रणाम |
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति.धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी इसके लिए आपका आभार
जवाब देंहटाएंitihas ke panno se nikal kar jan manas tak aisi prerak jankari pahunchane ke liye dhanyvad...
जवाब देंहटाएंpabuji is goad avtar
जवाब देंहटाएंa word "abala ka pasudhan " isn't a meaningful word
जवाब देंहटाएंapka uddesya sirf pabuji ka gungan karna hi hai
she was not a abla nari but a mataji named deval ma ,who was as brave as pabuji she helped pabuji by given him her favorite mare "kesar kalvi" this mare was demanded first by jind rav khici and she had refused and given to pabuji
mafi chahuga lekin don't regret other for admire one hero
ask your forefather that who is deval ma ? and what is her role that days ?
आपने लेख मे वीर पाबूजी की प्रशंसा मे जो अबला शब्द का उपयोग किया है वो अर्थपूर्ण नही है
जवाब देंहटाएंये कोई अबला नारी नही थी ये देवल माताजी थी जिसके नाम का उपयोग भी आपने उचित नही समझा
इतिहास से तालुक रखने वाली जानकारी का पूर्ण विवरण हो तो अच्छा लगता है
देवल माँ एक शक्ति थी जिसने अन्याय के विरुद्त लड़ने के लिए पाबूजी को प्रेरित किया था
उसके पास जो केसर कालवी घोड़ी थी वो माताजी की जान थी और उसे जिंदराव खिसी को के आग्रह करने पर भी माना कर दिया था जिसके कारण वो माताजी से दुश्मनी कर बैठा और बदला लेने के लिए गयो को घेरा था और वो ही कालवी घोड़ी पाबूजी द्वारा प्रशंसा करते ही उसे सुप्रत कर दी कि "लो भाई ले जाओ ये मेरी प्राण रक्षक है लेकिन कभी दुख की घड़ी मे इसे लेकर आना "
यहाँ आपका उद्देश्य सिर्फ़ पाबूजी की प्रशंसा करना ही है ज़रा इतिहासकरो के जानकारी ली जाए तो आप इसके बारे मे आप पूरी जानकारी बटोर पाएँगे जो हम जेसे अल्प जानकारी वालो के लिए उपयोगी होगी
Very nice pabujimaharaj ki history
जवाब देंहटाएंDeval mata ji Rajasthan me Pali district ke Gadhwara village ke the..........
जवाब देंहटाएंपाबूजी महाराज ने गायो की रक्षा के लिये सादी मे फेरे सोड कर गायो की रक्षा करने के लिये गये .........आज के लोग ऐसा कर देगें
जवाब देंहटाएंNice history laxman avatar pabuji rathod
जवाब देंहटाएंNice History
जवाब देंहटाएंपाबूजी महाराज ने गायो की रक्षा के लिये सादी मे फेरे सोड कर गायो की रक्षा करने के लिये गये थे क्योकी उनको अपने प्राणो से प्यारि गाये थी तथा किये हुये वचन सबसे प्यारे थे !
जवाब देंहटाएंमस्त बात ह भाइ
जवाब देंहटाएंPabuji maharaj ko sat sat naman dham m 3dentak rukny se bakti aanand gyan sahaj m hony lagata ha piyary bhaiyo m rajkumar chauhan partyksh anubhav karchuka hu agar aap sahaj yog aanand chaty ho to ak bar dham padhrey JAI PABUJI MAHARAJ
जवाब देंहटाएंपाबूजी राठौड़ एक महान योद्धा थे उनके जीवन के बारे हम जितना भी बखान करे वो कम है राजस्थान के गौरवमय इतिहास मे उनका नाम स्वर्ण अक्षरो मैं लिखे वो भी कम है वो इस इतिहास मे एक अहम भूमिका है।
जवाब देंहटाएंजय राठौड़ साब की
पाबूजी राठौड़ एक महान योद्धा थे उनके जीवन के बारे हम जितना भी बखान करे वो कम है राजस्थान के गौरवमय इतिहास मे उनका नाम स्वर्ण अक्षरो मैं लिखे वो भी कम है वो इस इतिहास मे एक अहम भूमिका है।
जवाब देंहटाएंजय राठौड़ साब की
पाबूजी राठौड़ एक महान योद्धा थे उनके जीवन के बारे हम जितना भी बखान करे वो कम है राजस्थान के गौरवमय इतिहास मे उनका नाम स्वर्ण अक्षरो मैं लिखे वो भी कम है वो इस इतिहास मे एक अहम भूमिका है।
जवाब देंहटाएंजय राठौड़ साब की