
आज से तीन चार साल पहले तक इस फल को पाने के लिए बाजार में काफी तलाश करना होता था कुछ ही फल विक्रेता इसे बेचने के लिए रखते थे ,इसका शरबत बेचने वाले भी कम नजर आते थे पर आज इस फल के प्रति लोगों की जागरूकता व रूचि बढ़ने के साथ ही यह बाजार में बहुतायत से उपलब्ध है पिछले वर्ष हमारे पास की फल मंडी में यह फल एक ही विक्रेता के पास उपलब्ध होता था पर इस बार मंडी में कई विक्रेता इस स्वास्थ्यवर्धक फल को उपलब्ध करा रहे है यही नहीं जब से हाथ से चलने वाला मिक्स़र बाज़ार में आया है इसका शरबत बनाने वाले भी बढे है पिछले वर्ष की अपेक्षा मुझे अपने शहर में बेल का शरबत बनाकर बेचने वाले ठेले दुगुने नजर आ रहे है |
बेल व बिल्व पत्र के नाम से जाने जाना वाला यह स्वास्थ्यवर्धक फल उत्तम वायुनाशक, कफ-निस्सारक व जठराग्निवर्धक है। ये कृमि व दुर्गन्ध का नाश करते हैं। इनमें निहित उड़नशील तैल व इगेलिन, इगेलेनिन नामक क्षार-तत्त्व आदि औषधीय गुणों से भरपूर हैं। चतुर्मास में उत्पन्न होने वाले रोगों का प्रतिकार करने की क्षमता बिल्वपत्र में है।
बिल्वपत्र ज्वरनाशक, वेदनाहर, कृमिनाशक, संग्राही (मल को बाँधकर लाने वाले) व सूजन उतारने वाले हैं। ये मूत्र के प्रमाण व मूत्रगत शर्करा को कम करते हैं। शरीर के सूक्ष्म मल का शोषण कर उसे मूत्र के द्वारा बाहर निकाल देते हैं। इससे शरीर की आभ्यंतर शुद्धि हो जाती है। बिल्वपत्र हृदय व मस्तिष्क को बल प्रदान करते हैं। शरीर को पुष्ट व सुडौल बनाते हैं। इनके सेवन से मन में सात्त्विकता आती है।
*गर्मियों में लू लगने पर इस फल का शर्बत पीने से शीघ्र आराम मिलता है तथा तपते शरीर की गर्मी भी दूर होती है।
*पुराने से पुराने आँव रोग से छुटकारा पाने के लिए प्रतिदिन अधकच्चे बेलफल का सेवन करें।
*पके बेल में चिपचिपापन होता है इसलिए यह डायरिया रोग में काफी लाभप्रद है। यह फल पाचक होने के साथ-साथ बलवर्द्धक भी है।
*पके फल के सेवन से वात-कफ का शमन होता है।
*आँख में दर्द होने पर बेल के पत्त्तों की लुगदी आँख पर बाँधने से काफी आराम मिलता है।
*कई मर्तबा गर्मियों में आँखें लाल-लाल हो जाती हैं तथा जलने लगती हैं। ऐसी स्थिति में बेल के पत्तों का रस एक-एक बूँद आँख में डालना चाहिए। लाली व जलन शीघ्र दूर हो जाएगी।
*बच्चों के पेट में कीड़े हों तो इस फल के पत्तों का अर्क निकालकर पिलाना चाहिए।
*बेल की छाल का काढ़ा पीने से अतिसार रोग में राहत मिलती है।
*इसके पके फल को शहद व मिश्री के साथ चाटने से शरीर के खून का रंग साफ होता है, खून में भी वृद्धि होती है।
*बेल के गूदे को खांड के साथ खाने से संग्रहणी रोग में राहत मिलती है।
*पके बेल का शर्बत पीने से पेट साफ रहता है।
*बेल का मुरब्बा शरीर की शक्ति बढ़ाता है तथा सभी उदर विकारों से छुटकारा भी दिलाता है।
*गर्मियों में गर्भवती स्त्रियों का जी मिचलाने लगे तो बेल और सौंठ का काढ़ा दो चम्मच पिलाना चाहिए।
*पके बेल के गूदे में काली मिर्च, सेंधा नमक मिलाकर खाने से आवाज भी सुरीली होती है।
*छोटे बच्चों को प्रतिदिन एक चम्मच पका बेल खिलाने से शरीर की हड्डियाँ मजबूत होती हैं।
Note:बेल के फायदे गूगल सर्च से संकलित है
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ताऊ पहेली -73
जीवन शैली में परिवर्तन से दीर्घायु बने |
वाह जी बहुत सुंदर जानकारी, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत जमाना बीता बेल का शरबत पिये...अब बहुत मन हो रहा है.
जवाब देंहटाएंये हुई न मौसम के अनुकूल जानकारी | अब तो हमें भी सेवन करना पड़ेगा |
जवाब देंहटाएंपर जानकारी बहूत अच्छी है | धन्यबाद
sahi kaha aapne
जवाब देंहटाएंबिलकुल सच्ची बात है ठाकुर साहब!
जवाब देंहटाएंकुंवर जी,
इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए शुक्रिया शेखावत साहब, एक आद बार जब कभी ठेली पर यह सब देखा था तो मन में कई प्रश्न उठते थे !
जवाब देंहटाएंहमारे पडोस मे ही एक बेल का पेड है उस पर बहुत बडे बडे बेल फ़ल लगते हैं. कुछ उनमे से रख लिये जाते हैं. दोपहर में आजकल बेल का शर्बत ही चनता है.:) इससे पाचन तंत्र बडा सक्रिय रहता है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुंदर जानकारी
जवाब देंहटाएंसाल में दो चार बार तो पी ही लेते हैं
जवाब देंहटाएंबेल का शरबत तो बहुत गुणकारी है।
राम राम
बहुत ही उपयोगी है बेल । जानकारी के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंअच्छा याद दिलाया। पिछले साल बहुत बेल रस पिया था। इस साल अभी शुरू नहीं किया।
जवाब देंहटाएंअभी आम के पना पर जोर है। लंच पैक में साथ में पना मिल रहा है घर से।
आज या कल में बेल का शरबत पक्के में पीऊंगा। वाकई आपने ललक पैदा कर दी है।
जवाब देंहटाएंजानकारी के लिए आभार | मै आपकी बातो से पूर्णतया सहमत नहीं हूँ | बेल का फल शरीर का पाचन ठीक रखता है यह सही है और यह् भी सही है कि गर्मी से राह्त भी प्रदान करता है| लेकिन यह गैस बनाता है जिससे कि आगे चलकर वायुविकार पैदा हो जाता है जिससे शरीर में दर्द की शिकायत हो जाती है | विशेष कर ४० वर्ष से ऊपर वालो के लिए यह घातक भी हो सकता है घुटनों का दर्द कमर का दर्द , गठिया बाय इसी से बढ़ जाते है | ये सब होते है तो फिर इसका उपयोग बंद कर देना चाहिए ..... नही ,लेकिन इसके लिये यह गैस नही बनाए इसका भी पूरा इंतजाम कर के रख्नना चाहिए |
जवाब देंहटाएंआज आपका कमेन्ट पढने के बाद अब तो वैध जी से पूछना ही पड़ेगा क्योंकि इस बार शरीर में गठिया बाय बना हुआ है | कहीं फायदे के चक्कर में अनजाने में अपना गठिया ना बढ़ा बैठे :(
हटाएंमैं तो ४० वर्ष से ऊपर ही हूँ और पेट में गैस भी खूब बनती है , पिछले वर्ष भी जब तक बेल बाजार में उपलब्ध रहा रोज इसे पीता रहा और इस मौसम में भी जब से बेल के फल आ रहे है सुबह खाली पेट इसके शरबत का नियमित सेवन कर रहा हूँ और कब्ज ,गैस सहित अन्य पेट की बिमारियों से राहत महसूस कर रहा हूँ |
जवाब देंहटाएंअच्छा विषय देखने में आया. अपना अनुभव बता दूं- .मैं बचपन से पेचिस का मरीज़ हूँ.अनके तरह के इलाज के बाद और बहुत से परहेज के चलते अब यह मर्ज नियंत्रित है.लेकिन जब कभी मर्ज उभरता है तुरंत बेल के मुरब्बे( क्योंकि फल हमेशा उपलब्ध नहीं रहते ) का सेवन करता हूँ.शत प्रतिशत लाभ मिलता है.
जवाब देंहटाएंबेल के फल के बारे में बहुत ही काम की जानकरी दी है.
जवाब देंहटाएंगर्मियों के मौसम में खास उपयोगी भी है .आभार
बहुत अच्छी जानकारी प्रदान की है इसके लिए आप धन्यवाद के पात्र है।
जवाब देंहटाएंकभी कभी हानिकारक भी होता है। एक बार बचपन में किसी दोस्त के यहाँ क्रिकेट खेल रहे थे। उनके घर पर काफी सारे बड़े बड़े पेड़ थे और एक बेल का भी था। एक दोस्त बेचारा फील्डिंग कर रहा था और वो बदकिस्मती से उस बेल के पेड़ के नीचे था। अचानक एक बेल का फल आकर उसके सर पर गिरा और लड़का बेचारा वही चित। उसे २ दिन होश नहीं आया। तो ये था बेल के पेड़ का नेगेटिव इफ़ेक्ट..हाहाहा
जवाब देंहटाएंअति उत्तम
जवाब देंहटाएंThank you
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