सन 1741 – गंगवाना का युद्ध
स्थान: गंगवाना गाँव, अजमेर के पास (वर्तमान राजस्थान)
तिथि: 1741 ईस्वी
पक्ष: जयपुर राज्य – महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय V/S सरदार मल्हारराव होलकर एवं उनके साथी
युद्ध की घटनाएँ :
महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने लगभग 30,000 सुसज्जित सैनिकों के साथ युद्ध के लिए प्रस्थान किया।
विरोधी पक्ष की संयुक्त सेना की संख्या जयपुर से अधिक थी, लेकिन अनुशासन व संगठन में कमजोर थी।
युद्धस्थल गंगवाना गाँव के मैदान में दोनों सेनाएँ आमने-सामने आईं।
जयपुर की सेना ने प्रारंभ में तोपखाने और घुड़सवार दस्तों से जोरदार आक्रमण किया।
राजपूतों की पैदल और घुड़सवार टुकड़ियों ने वीरता से मल्हारराव होलकर ko पीछे धकेला।
मल्हारराव होलकर ke घुड़सवारों ने कई बार पंखों से घेरने का प्रयास किया, पर जयपुर की अनुशासित पंक्तियों और तोपखाने ने उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
परिणाम : यह युद्ध जयपुर की निर्णायक विजय के रूप में समाप्त हुआ।
मल्हारराव होलकर गठबंधन को भारी क्षति हुई और वे मैदान छोड़ने पर विवश हुए।
गंगवाना की जीत ने महाराजा जयसिंह द्वितीय की प्रतिष्ठा को राजस्थान में और मजबूत कर दिया।
इस युद्ध के बाद कुछ समय के लिए मराठों का जयपुर पर सीधा दबाव कम हो गया।
ऐतिहासिक महत्व :
गंगवाना का युद्ध 18वीं सदी में राजपूतों की एकता और सैन्य क्षमता का उत्कृष्ट उदाहरण है।
इसने साबित किया कि संगठित और अनुशासित सेना, संख्या में अधिक दुश्मन को भी हरा सकती है।
यह जयपुर के इतिहास के गौरवशाली पन्नों में दर्ज है और राजपूत वीरता की अमर गाथाओं में गिना जाता है।