अनूठी मित्रता

Gyan Darpan
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सच्चा, हर परिस्थिति में साथ देने वाला मित्र मिलना किसी भी व्यक्ति के जीवन में अमूल्य उपहार मिलने से कम नहीं है| किसी भी व्यक्ति के जीवन में एक मित्र ही ऐसा होता है, जिस पर व्यक्ति अथाह भरोसा करते हुये अपने दुःख-दर्द, ख़ुशी, यादगार, खट्टे-मीठे अनुभव साँझा करता है| मित्रता के बीच में किसी भी व्यक्ति की छोड़ी-बड़ी हैसियत आड़े नहीं आती, एक राज्य के राजा भगवान कृष्ण और गरीब ब्राह्मण सुदामा की दोस्ती जहाँ हमारे धार्मिक ग्रंथों में पढने को मिलती है, वहीं भारतीय इतिहास में अच्छी मित्रता के कई उदाहरण भरे पड़े है| बाड़मेर जिले के कोठड़ा के स्वामी बाघ जी और कवि आसाजी बारहट (चारण) की मित्रता को राजस्थान का कौन इतिहासकार, साहित्यकार नहीं जानता. इसी तरह आमेर के राजा मानसिंह के जयेष्ट कुंवर जगतसिंह और आमेर के राजकवि गोविन्ददास टांक दसोंदी के पुत्र कल्याण की मित्रता आमेर के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है|
कवि गोविन्ददास के पुत्र कल्याण हमेशा कुंवर जगतसिंह के साथ छाया की तरह रहते थे| जब किसी युद्ध में कुंवर जगतसिंह की वीरगति का समाचार मिला तो राजा मानसिंह ने अपने जयेष्ट पुत्र को जलांजलि दी, इसी समय कवि राव गोविन्ददास ने भी अपने पुत्र कल्याण को जलांजलि दी| राजा मानसिंह ने कवि को ऐसा करने से मना किया, क्योंकि उसके पास सिर्फ कुंवर जगतसिंह के निधन का समाचार पहुंचा था| तब कवि गोविन्ददास ने कहा- "ऐसा नहीं हो सकता कि युद्ध में कुंवर जगतसिंह मारे गये हों व मेरा बेटा जिन्दा हो" बाद में पता चला कि कल्याण के मारे जाने के बाद ही कुंवर जगतसिंह युद्ध में मारे गये थे| इस घटना पर एक पद्य भी मिलता है-

जहँ जहँ जगतो मान को, हिन्दवन को सुरत्राण|
तहँ तहँ गोविन्ददास को, कवियन कुँवर कल्याण||


बिना समाचार के कवि द्वारा अपने पुत्र को जलांजलि देने की बात से साफ़ है कि कवि अपने पुत्र और कुंवर जगतसिंह के मध्य मित्रता की गहराइयों से परिचित था| यही कारण था कि कवि जानता था कि युद्ध में जगतसिंह पर कोई खतरा आये और उस खतरे से कुंवर जगतसिंह को बचाने को मेरा पुत्र कल्याण आगे नहीं आये ऐसा हो ही नहीं सकता और युद्ध में मेरे पुत्र से पहले जगतसिंह मारे जा सके ऐसा भी नहीं हो सकता| कवि ने दोनों की इसी मित्रता पर भरोसा पर अपने पुत्र को जलांजलि दी, जो सच भी साबित हुई|

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3टिप्पणियाँ

  1. सच्चा मित्र एक ऐसा हीरा होता है जिसकी चमक के आगे समस्त संसार की सम्पति भी कम होती है | वह इन्सान सचमुच भाग्यशाली होता है जिसके साथ सच्चे मित्र होते है |
    - ख्यालरखे.com

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  2. Isi tarah jodhpur maharaja Takhat aur kavi Baghji bhi the..Jo idar se raja takhat k sath aye the..unki mitrata adig thi

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