सावधान : बाड़मेर में दोहराई जा रही है हल्दीघाटी

Gyan Darpan
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महाराणा प्रताप को नतमस्तक करने के लिए जिस तरह दिल्ली के सम्राट अकबर ने राणा के स्वजातीय बंधुओं को राणा के खिलाफ हल्दीघाटी के समर में उतारा ठीक उसी तरह भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य और वरिष्ठ भाजपा नेता जसवंत सिंह को पार्टी पर काबिज हुआ नया गुट झुकाने को वैसे ही हथकंडे अपना रहा है|

प्रदेश भाजपा की मुखिया मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जिसनें कभी भैरों सिंह जी शेखावत व जसवंत सिंह जी जसोल के आशीर्वाद से राजस्थान भाजपा का ताज सिर पर रखा था, जो कभी खुद जसवंत सिंह जी के आगे झुकते हुए नतमस्तक रहती थी आज उस राजे ने जसवंत सिंह जी अपने आगे झुकाने हेतु समर २०१४ में चक्रव्यूह रच रखा है|

मैडम इस चक्रव्यूह के पहले चरण में जसवंत सिंह जी की टिकट कटवाकर कामयाब भी हो गई पर चक्रव्यूह के कई चक्र अभी बाकी है और इन चक्रों का फैसला बाड़मेर की जनता अपने वोट रूपी ब्रह्मास्त्र के माध्यम से करेगी| लेकिन जिस तरह महाराणा को झुकाने के लिए अकबर ने उनके स्वजातीय राजपूत बंधुओं को माध्यम बनाया ठीक उसी तरह वसुंधरा राजे भी प्रदेश भाजपा के राजपूत नेताओं का प्रयोग कर रही है| यही नहीं कल तक जिन राजपूत नेताओं को मैडम व मैडम के सिपहसालार पास तक नहीं पटकने देते थे उन्हीं राजपूत नेताओं को जसवंत सिंह जी बागी तेवर दिखाते ही लाल कालीन बिछाकर ससम्मान भाजपा में शामिल किया गया|

चर्चाओं के अनुसार विधानसभा चुनावों में लोकेन्द्र सिंह कालवी को भाजपा में शामिल करने के राजनाथ सिंह के फरमान के बावजूद वसुंधरा राजे गुट ने कालवी को भाजपा के पास तक नहीं पटकने दिया वहीं खीमसर से विधानसभा चुनावों में दुसरे स्थान पर रहे दुर्गसिंह चौहान के भी भाजपा में घुसने के लाख प्रयासों के बावजूद राजे मण्डली के लोगों ने उन्हें राजे तक से नहीं मिलने दिया, लेकिन जसवंत सिंह जी के आँख दिखाते ही बाड़मेर लोकसभा सीट की जीत को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना चुकी राजे ने इन नेताओं को बाड़मेर में जसवंत सिंह जी को घेरने के लिए तुरंत भाजपा में आने का न्योता दे शामिल कर लिया|

यही नहीं ख़बरों के अनुसार राजे ने अपने सभी राजपूत विधायकों को जसवंत सिंह जी के खिलाफ प्रचार कर भाजपा के पारम्परिक राजपूत मतों को भाजपा के पक्ष में बनाये रखने की जिम्मेदारी दी है|

देखते है कितने राजपूत राजे के दबाव व लालच में अपने स्वजातीय जसवंत सिंह जी को मटियामेट करने के काम में लगेंगे या फिर पीथल की तरह अकबर के दरबार में रहते हुए महाराणा के भक्त बने रहने का अनुसरण करते हुये भाजपा में रहते हुए जसवंत सिंह जी से सहानुभति रखेंगे और उनके खिलाफ प्रयुक्त नहीं होंगे|

खैर...नेता अपने फायदे के लिये भले जसवंत सिंह जी को झुकाने हेतु राजे का साथ दे लेकिन इतना तय है जिस तरह राजा मानसिंह को उनकी ही पीढियां आज तक माफ़ नहीं कर पाई ठीक उसी तरह इस वक्त भी जसवंत सिंह जी के खिलाफ काम करने वाले राजपूत नेताओं को भी राजपूत समाज की कई पीढियां माफ़ नहीं करेगी !

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7टिप्पणियाँ

  1. बहुत अच्छा आलेख। परन्तु आज के समय में न तो महाराणा हैं न ही पीथल, जिन्होंने अपनी आनबान शान के लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया। आज तो बस राजपूतों में भी स्वयं का स्वार्थ पहले देखा जा रहा है।

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  2. कुकुरमुत्ते की तरह पैदा हुये आजकल के राजपूत नेताओ को देख कर अजीब सा लगता है ,जिन लोगो ने समाज हित के काम किये उन को पार्टिया दर किनार कर दे रही है ।

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  3. पर कुछ लोग यह कह रहे की कालवी जी ओर दुर्ग सिंह जी को बीजेपी मे शामिल होने पर समाज का मान ओर सम्मान बढ़ेगा ओर बीजेपी मे राजपूत नेता की लिस्ट मे एक ओर नाम जुड़ जाएगा जो अपने समाज की बात उठाएगे वो तो राम ही जाने पर जसवंत सिंह जी को हारने मे कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है।

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    1. जो लोग ऐसा कह रहे है वे गलत है !
      यदि संख्या बल ही हमारा भला कर सकता था तो शेखावाटी यूनिवर्सिटी नामकरण पर विधानसभा में हमारे 28 विधायक हमारी मांग मनवा सकते थे पर अफ़सोस उनमे से एक भी ना बोला !

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  4. आपकी इस प्रस्तुति को ब्लॉग बुलेटिन की आज कि बुलेटिन प्रथम स्वतन्त्रता सेनानी मंगल पाण्डेय और हास्यकवि अलबेला खत्री - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  5. नरपतसिंह राजवी को भी जसवंतसिंहजी के खिलाफ प्रचार करने भेजा है.

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  6. और रतनसिंहजी माणिकचन्द सुराणा जिन्होंने अपने प्रथम चुनाव 1956 से लेकर आज तक कांग्रेस के खिलाफ लड़ा था. जिनको 1977 की सरकार में भैरोंसिंहजी ने वित्त मंत्री बनाकर इज्ज़त बक्शी उनकी इस वसुंधरा राजे ने पिछले विधानसभा चुनाव में जसवंतसिंहजी की ही तरह आखरी चुनाव की अपील के बावजूद टिकट काटी. हालाँकि वे निर्दलीय जीतने में कामयाब रहे.

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