गीत- गाओ टाबरों

Gyan Darpan
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गीत- गाओ टाबरों

थारा मुलकबा सुं देश हरख सी
थे ही तो हो आगला टेशन
जमाना रे साथ करो खूब फैशन
पण याद राखो बुजुर्गा री बातां
बे मुस्किल घडी री रातां
जोबन रो मद भी चढ़सी
कुटुंब कबीलो भी बढसी
प्रणय कि भूलभुलइया में
प्रियतमा कि आकृष्ट सय्या में
भूल मत जाज्यो ज्ञान री सीख
मत छोड़ज्यो पुरखां का पगां री लीक
थे ही घर, गांव, परिवार ,राष्ट्र री अनमोल थाती हो
जीवन रूपी दीया री, बिन जळी बाती हो||
लेखक : गजेन्द्र सिंह शेखावत

टाबर - बच्चे, मुलकबा - हँसना, हरख - ख़ुशी

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