जंगल में एक गीदडों का जोड़ा रहता था, नर गीदड़ बहुत ही लापरवाह, आलसी, कामचोर व डींगे हांकने वाला था पुरे दिन इधर उधर दोस्तों के साथ आवारा घूमता रहता पर शिकार के लिए कभी मेहनत नहीं करता, बेचारी मादा गीदड़ ही पुरे परिवार का पेट भरने लायक शिकार का इंतजाम करती|
नर गीदड़ जब इधर उधर घूम फिर कर आता तो अक्सर मादा गीदड़ उससे पूछती – कहाँ गये थे ?
गीदड़ डींगे हांकने में तो माहिर था ही सो कहता- “फिल्म देखने शहर गया था|”
साथ नर गीदड़ मादा के आगे शहर में अपनी जान पहचान व शहर जाकर मस्ती करने की खूब डींगे हांकता| साथ ही नेताओं के साथ जान पहचान की बातें कर वह मादा गीदड़ पर रुतबा भी जमाता कि उसके शहर के बड़े नेताओं से जान पहचान है, फिल्म देखना तो वह एक भी नहीं छोड़ता और ये कहते कहते नर गीदड़ ने मादा को कई फिल्म हीरो व हीरोइनों के नाम भी बता दिए|
मादा गीदड़ ने समझाया कि शहर ना जाया करें, कहीं शहर के कुत्ते पीछे पड़ गये तो चीर डालेंगे और मैं विधवा नहीं होना चाहती इसलिए मेरा व बच्चों का ख्याल रखते हुए प्लीज शहर मत जाया करो|
डींगे हांकने में माहिर नर गीदड़ बोला- “अरे शहर के कुत्ते मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते, तुझे बताया ना कि मेरी शहर के नेताओं से जान पहचान है उन्होंने ने मुझे एक लाइसेंस बनाकर दिया है वो दिखाते ही सब रास्ते से हट जाते है|” और उसने मादा को एक कागद का टुकड़ा दिखाते हुए कहा- “इसलिए बेफिक्र होकर रह और मुझे शहरी नेताओं से क्रांति के गुर आदि सिखने के लिए घर के कामों से फ्री रख| कल को जंगल में जब क्रांति करनी होगी तो मोमबत्ती मार्च की अगुवाई तेरा ये गीदड़ ही करेगा|”
नर गीदड़ की डींगे सुन मादा अपने नर पर गर्व करती घर के कामों में जुट गयी, उसने दूसरी मादाओं से भी अपने नर की शहर में जान पहचान व फ़िल्में आदि देखने की बातें की तो उसकी सहेलियों ने उसे कहा- “कभी तूं भी तो उनके साथ फिल्म व शहर देख आ ताकि हम भी तेरे मुंह से फिल्मों की बातें तो सुन सके|”
फिर क्या था मादा ने शाम को नर गीदड़ के आते ही फरमाइश कर डाली कि- “कल मुझे भी शहर साथ लेकर फिल्म दिखाने चले|”
नर गीदड़ ने मादा को टालने की बहुत कोशिश की पर वह मानने को राजी ही नहीं हुई आखिर गीदड़ अपनी मादा को साथ लेकर शहर की तरफ चला अपनी झूंठी शान बचाने को|
शहर के नजदीक पहुँचते ही एक कुत्तों के झुण्ड की नजर गीदड़ जोड़े पर पड़ी तो उन पर भोंकते हुए टूट पड़े उधर मादा गीदड़ तो बेफिक्र थी कि उसके नर के पास शहरी नेताओं का दिया लाइसेंस है इसलिये कुत्तों से डरकर क्यों भागना|
कुत्ते पास आते ही नर गीदड़ ने मादा से कहा- “भाग नहीं तो चीर डालेंगे|”
मादा गीदड़ ने नर से कहा- “इन्हें अपना लाइसेंस क्यों नहीं दिखाते ? जल्द से लाइसेंस निकालो और इनको दिखादो|”
नर गीदड़ भागते हुए बोला- “ये अनपढ़ है ! इनको लाइसेंस दिखाने का कोई फायदा नहीं इसलिए जान बचानी है तो जंगल की और भाग|’
और दोनों ने भाग कर जान बचाई|
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12टिप्पणियाँ
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खरबूजे खाने का लायसेंस अशिक्षितों की वजह से काम नही आया.:)
जवाब देंहटाएंडींग हांकना वाकई इंसान को मौत के मुंह तक ले जा सकता है. बहुत सुंदर कहानी.
रामराम.
रोचक कहानी,बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएं--अपने ब्लॉगर ब्लॉग को अलग यू आर एल पर रिडाएरेक्ट करें!--
बहुत सुंदर। वैसे मेरे देशी मित्र बुरा न माने तो मैं कहूंगा कि इस नर गीदड़ की लगभग सारी खासियते हम ज्यादातर हिन्दुस्तानियों से शत-प्रतिशत मैच कर रही है :)
जवाब देंहटाएंपुराने गीदड खरबूजा खाने जाते थे, आज फिल्में देखने जाते हैं :)
जवाब देंहटाएंचलो जान बच गई
प्रणाम
सुन्दर कहानी !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रोचक कहानी ,,,
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनायें!
Recent post: रंगों के दोहे ,
कागज का डर तो पढ़े लिखे को ही होता है..
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ख़ूब! होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर संदेस देती कहानी,आभार.
जवाब देंहटाएं“इसलिए बेफिक्र होकर रह और मुझे शहरी नेताओं से क्रांति के गुर आदि सिखने के लिए घर के कामों से फ्री रख| कल को जंगल में जब क्रांति करनी होगी तो मोमबत्ती मार्च की अगुवाई तेरा ये गीदड़ ही करेगा|”
जवाब देंहटाएं:)
रोचक
जवाब देंहटाएंRochak kahani
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