आशियाने

pagdandi
18
आशियाने


देखा होगा सागर किनारे मिट्टी के घरोंदो को टूटते हुए …….

उन पर बच्चो को रोते हुए ……….पर .…….पर …….

देखा है मेने घरो को उजड़ते हुए …….

जवानों को देखा है मैने झोपड़े हटाते हुए ………

बच्चो को चिलाते हुए ….माँ को सहलाते हुए ……….

पास की इमारत के लोग देख रहे है इस नज़ारे को अपनी खिडकियों से ……..

प्यासे के पानी मांगने पर भगा रहे है झिडकियो से ……….

देखा है मैने घरो को उजड़ते हुए …………….

देखा है शान से लोगो को वहाँ खड़े हुए …………..

देख रहे है जो तिनको को बिखरते हुए ,……….

किसी के आशियाने को उजड़ते हुए धुल को उड़ते हुए ……

देखा है मैने घरो को उजड़ते हुए …………..

झोपड़े ही क्यों देखा है मैने दुनिया की ऊँची इमारतों में रहने वालो को भी बिलखते हुए ……

देखा है मैने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से हवाई विमान टकराते हुए ………

देखा है मैने घरो को उजड़ते हुए ……………….

एक टिप्पणी भेजें

18टिप्पणियाँ

  1. Dua hai Ki Kamyabi ke har sikhar per aap ka naam hoga,Aapke har kadam per duniya ka salaam hoga,Himmat se mushkilon ka saamna karna koi aapse sikhe,Hamari dua hai ki waqt bhi ek din aapka gulam hoga.Well Done Girl Keep Going :-)

    जवाब देंहटाएं
  2. समन्‍वयन तीन हकीकतों का
    जिनमें घुली मिली हैं
    खूब सारी सच्‍चाईयां।

    जवाब देंहटाएं
  3. झोपड़े ही क्यों देखा है मैने दुनिया की ऊँची इमारतों में रहने वालो को भी बिलखते हुए
    @ ये तो समय चक्र है सभी के साथ आता है कभी झोपड़े में तो कभी महल में |

    बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति ! दर्द वही महसूस करता है जिसके चोट लगी हो !

    जवाब देंहटाएं
  4. सही बात है, घर सबके उजड सकते हैं। यह तो समय है।

    जवाब देंहटाएं
  5. सच्चाई से रु-ब-रु करवाती हुयी बेहद मार्मिक कविता ।

    जवाब देंहटाएं
  6. उजडना बसना ये प्रकृति का नियम है | आपकी कविता में एक दर्द की अभिव्यक्ती भी है एक बेबस का दर्द आज कल बहुत कम लोग समझ पाते है |

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सटीक और मार्मिक रचना.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  8. आशियाना चले जाने का दुख बड़ा गहरा होता है।

    जवाब देंहटाएं
  9. उजडना बसना ये प्रकृति का नियम है

    जवाब देंहटाएं
  10. सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

    जवाब देंहटाएं
एक टिप्पणी भेजें