खीरां आई खिचड़ी अर टिल्लो आयो टच्च
7:09 am
खीरां आई खिचड़ी अर टिल्लो आयो टच्च = मौके पर आना| गांवों में आज भी शादी हो या अन्य समारोह इंतजाम के लिए गांव वाले मिलक…
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7:09 am
खीरां आई खिचड़ी अर टिल्लो आयो टच्च = मौके पर आना| गांवों में आज भी शादी हो या अन्य समारोह इंतजाम के लिए गांव वाले मिलक…
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6:30 am
लादड्या में रहणों है तो जै ठाकुर जी की कैणी पड्सी = दबंग की ही चलेगी| संदर्भ कहानी:- लादड्या नामक गांव में एक ताऊ रहता …
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8:46 am
बनिये की राम राम = उधारी का तकादा गांव में अक्सर बनिये (दुकानदार) अपने किसी भी देनदार से सीधे उधारी का तकादा नहीं करते,…
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7:17 pm
हाथ लुळीयौ जकौ ई आछौ = हाथ झुका वही बहुत सन्दर्भ कथा - एक मुस्टंड साधू सवेरे सवेरे कंधे पर झोली टांग कर बस्ती में घर घर…
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4:24 pm
1903 मे लार्ड कर्जन द्वारा आयोजित दिल्ली दरबार मे सभी राजाओ के साथ हिन्दू कुल सूर्य मेवाड़ के महाराणा का जाना राजस्थान क…
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10:06 pm
कांम ई रांम है = काम ही राम है केवल चार शब्दों की नन्ही मुन्ही कहावत में प्रागैतिहासिक युग से भी बहुत पहले की झांकी मिल…
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5:55 am
टका वाळी रौ ई खुणखुणियौ बाजसी = टका देने वाली का ही झुनझुना बजेगा | सन्दर्भ कथा --- एक बार ताऊ मेले में जा रहा था | गां…
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5:55 am
नैन्हा मिनख नजीक , उमरावां आदर नही | ठकर जिणनै ठीक, रण मे पड़सी राजिया || जो छोटे आदमियों(क्षुद्र विचारो वाले) को सदैव अ…
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5:55 am
कवि कृपाराम जी द्वारा लिखित नीति सम्बन्धी राजिया के दोहे भाग-9 आछा है उमराव,हियाफ़ूट ठाकुर हुवै | जड़िया लोह जड़ाव, रतन न …
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5:55 am
कवि कृपाराम जी द्वारा लिखित नीति के राजिया के दोहे भाग-8 विष कषाय अन खाय, मोह पाय अळसाय मति | जनम अकारथ जाय, रांम भजन ब…
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5:55 am
कवि कृपाराम जी द्वारा लिखित नीति सम्बन्धी राजिया के दोहे भाग- 7 चोर चुगल वाचाळ, ज्यांरी मांनीजे नही | संपडावै घसकाळ ,…
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5:55 am
कवि कृपाराम जी द्वारा लिखित नीति सम्बन्धी राजिया के दोहा भाग -6 नहचै रहौ निसंक,मत कीजै चळ विचळ मन | ऐ विधना रा अंक,राई …
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5:55 am
कृपाराम पर द्वारा लिखित राजिया के नीति सम्बन्धी दोहे | मानै कर निज मीच, पर संपत देखे अपत | निपट दुखी व्है नीच , रीसां ब…
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6:44 am
कवि कृपाराम जी द्वारा लिखित नीति सम्बन्धी राजिया रा दोहा | आवै नही इलोळ बोलण चालण री विवध | टीटोड़यां रा टोळ, राजंहस री…
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5:31 am
कवि कृपाराम जी द्वारा लिखित नीति के दोहे देखै नही कदास, नह्चै कर कुनफ़ौ नफ़ौ | रोळां रो इकळास, रौळ मचावै राजिया || जो लो…
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6:10 am
अपने सेवक राजिया को संबोधित करते कवि कृपाराम जी द्वारा लिखित नीति सम्बन्धी दोहे | खळ धूंकळ कर खाय, हाथळ बळ मोताहळां |…
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7:47 am
घणा बिना धक् जावे पण थोड़ा बिना नीं धकै | अधिक के बिना तो चल सकता है,लेकिन थोड़े के बिना नही चल सकता | मनुष्य के सन्दर्भ…