Rao Duda Mertia मेड़ता का शासक राव दूदा (दुर्जनशाल) (1495-1515.) : Part-1

Gyan Darpan
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स्वनामधन्य दूदा मेड़तिया राठौड़ों का मूल पुरुष है । संवत् 1555 के शिलालेख में दूदा का नाम नृप दुर्जनशल्य के रूप में मिलता है। एक प्रतापी शासक होने के साथ इनके वंशज भी प्रतापी और प्रख्यात हुए ।

जोधपुर के संस्थापक राव जोधा का पुत्र होने का इन्हें गौरव प्राप्त था । इनका जन्म रानी सोनगरी चांपा की कोख से बुधवार जून 15 सन् 1440 ई. (आषाढ़ सुदि 15, 1497) को हुआ । 2 वह पाली के चौहान सोनगरा खीमा सतावत की पुत्री थी। आगे चलकर इनके वंशज मेड़तिया राठौड़ों के नाम से सुविख्यात हुए । 

जैसा कि प्रथम अध्याय में लिख आये हैं कि उस समय राव जोधा की स्थिति बड़ी शोचनीय थी। एक ओर दूदा के पितामह राव रणमल मेवाड़ में राणा कुम्भा के छल से परलोकगामी हो चुके थे, तो दूसरी ओर मेवाड़ी सेना का मंडोर आदि स्थानों पर आधिपत्य हो चुका था । इसलिये विभिन्न आपत्तियों से घिरे हुए राव जोधा को अपनी पैतृक भूमि की प्राप्ति हेतु संघर्षमय जीवन व्यतीत करना पड़ रहा था। चूंकि विपदाओं के हर क्षण में भय बना हुआ था। ऐसे में राज - परिवार की समुचित सुरक्षा की अत्यन्त आवश्यकता थी अतएव जोधा अपने रनवास को मंडोर से दूर जांगलू के काहुनी नामक ग्राम में रखने को बाध्य हुआ । संभवत: यहीं पर दूदा का जन्म हुआ । अगर सोनगरी अपने पीहर पाली में रही तो वहां जन्म होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है।

14 वर्ष की घोर विपदाओं के पश्चात् राव जोधा, हरभू सांखला, जैसा भाटी, कांधल अखेराज एवं मांडल की सहायता से मंडोर, चौकड़ी आदि स्थानों पर विजय प्राप्त करने में सफल हुआ । उस समय तक दूदा की बाल्यावस्था संकटों में व्यतीत हुई । परन्तु आपत्तियों को झेलने से अनेकानेक गुणों का उसमें विकास हुआ, जिससे जीवन के भावी उद्देश्यों की पूर्ति में उसकी सहायता मिली। 

दूदा बचपन से ही चंचल एवं तेज स्वभाव का था । कभी-कभी तो वह अपने भाइयों से भी लड़-जगड़ जाता था, जिससे राव जोधा उसकी उद्दण्डता से नाखुश हो जाते थे । दूदा की शिक्षा अच्छी प्रकार से हुई। राव जोधा ने अपने पुत्रों के लिये घुड़सवारी करने, तलावर चलाने तथा धनुर्विद्या आदि युद्ध - प्रशिक्षण का समुचित प्रबन्ध किया था। इससे कुछ समय में ही दूदा रणकौशल की विद्या में प्रवीण हो गया। आगे चलकर दूदा ने यह सिद्ध कर दिखाया कि ऐसे ही चंचल और उद्यमी बालक होनहार होते हैं । 

क्रमशः। ................................


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