Shiv Shakti Dham Jasdesar Barmer | शिव शक्ति धाम जसदेर | जसदेर धाम

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Shiv Shakti Dham, Jasdesar, Barmer

बाड़मेर से जोधपुर सड़क मार्ग पर नवनिर्मित्त शिव शक्ति धाम जसदेर पर्यटकों एवं भाविकों के लिए आस्था व दर्शनीय स्थान बन चुका है। कुछ वर्ष पूर्व उक्त स्थल गंदगी का ढेर बना हुआ था । पूज्यश्री मोहनपुरीजी महाराज की पावन प्रेरणा से जसदेर तालाब का पुनरुद्धार कार्य प्रारम्भ हुआ। पूज्य प्रतापपुरीजी महाराज के नेतृत्व में सौदर्यकरण एवं निर्माण कार्य सम्पन्न हुए, जिसकी बदौलत बाड़मेर के दर्शनीय स्थानों में सर्वोच्च स्थान पर है। पूज्य मोहनपुरीजी महाराज ने इस तालाब के किनारे तपस्या की, जहां आज भी उनकी कुटिया निर्मित है।

सर्वप्रथम यहां सघन वृक्षारोपण किया गया । विभिन्न प्रजातियों के वृक्षों का अधिरोपण किया गया। मंदिर निर्माण कार्य के तहत जगत्जननी मां जगदम्बा एवं शिव मंदिर की प्रतिष्ठा की गई, जिसमें बारह ज्योर्तिलिंगो की स्थापना की गई । साथ ही राम दरबार, राधा-कृष्ण, विनायकजी, भैरूजी, विश्वकर्माजी, हनुमानजी के साथ-साथ लोकदेवता, रामदेवजी, गोगाजी महाराज, पाबूजी महाराज की मूर्तियां प्रतिष्ठित की। विशेष कलात्मक छतरी की निर्माण हुआ है, जहां सिद्ध महात्माओं की मूर्ति प्रतिष्ठित होगी । मंदिर निर्माण कार्यो के साथ ही विशाल तोरण द्वार आवासीय परिसर, भोजनशाला, पुस्तकालय, यज्ञशाला, सभा मण्डप, कथा मण्डप, उद्यान, नर्सरी, भ्रमण ट्रेक, मनोरंजन निमित झूलों का निर्माण किया गया और निर्माण कार्य प्रगति पर है

सम्पूर्ण राजस्थान में प्रथम स्थान, जहां चौरासी लक्ष परिक्रमा उकेरी गई है, परिक्रमा के मध्य में स्तम्भ पर धर्म रूप गाय, चारों वेद व उनके प्रेरणा ऋषियों के नाम अंकित है। चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के रूप में चारों कोनों पर नंदी बैल की मूर्तियां स्थापित की गई। उसके माहात्म्य पर लिखा गया है - 'लख चौरासी के मध्य में स्वास्तिक है । स्वास्तिक के मध्य ओ३म अंकित मुख्य धर्म स्तम्भ है, जिसके चारों दिशाओं में ईश्वरीय ज्ञान से परिपूर्ण सम्पूर्ण विद्याओं के भण्डार चार वेदों - ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामदेव और अथर्ववेद के नाम व इनके चारों ऋषि अग्नि, वायु आदित्य और अंगिरा की प्रतिमाएं अंकित है मुख्य स्तम्भ पर सृष्टि और धर्म का आधार प्राणियों में श्रेष्ठ सर्वदेवमयी, जिसमें 33 प्रकार के देवताओं का वास है, सर्वपूज्य गोमाता विराजित है । लख चौरासी परिक्रमा के चारों तरफ चार स्तम्भ पर चार नन्दी चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के प्रतीक है । मानव स्वयं के जीवन में सर्वदेवमयी, सर्व पूज्य गोमाता को जीवन का आधार बनाकर ओ३म जाप स्मरण से ईश्वर की उपासन करते हुए वेद वर्णित ज्ञान के माध्यम से चारों पुरुषार्थ प्राप्ति का प्रयत्न करें तो वह जीवन-मरण कर्म (84 लाख योनियों) से मुक्त हो जायेगा। श्रद्धालु उक्त पवित्र भावना का विचार कर परिक्रमा करते समय ऐसा जीवन बनाने का भाव रखे, तो ईश्वर उसकी मनोकामना पूर्ण करेंगे।

विशेष उल्लेखनीय बात कि इस धाम को देवस्थान विभाग में पंजीकृत करवाया गया तथा 80 जी के तहत रजिस्टर्ड है। सौ सदस्यीय ट्रस्ट में बिन किसी भेदभाव के सभी जाति-वर्ग-सम्प्रदाय के व्यक्तियों को सदस्य बनाय गया है।

लेखक : डॉ. लक्ष्मण सिंह गड़ा, पुस्तक : तपोधाम तारातरा 

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