Vais Rajput Rajvansh History भारत पर मसूदगाजी का आक्रमण और बहराइच का युद्ध - ३

Gyan Darpan
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 भाग - २ से आगे....

मसूद ने अपनी सेना को एकत्र कर उसके सामने अपनी प्रतिज्ञा दोहराई कि “मैं युद्ध में शत्रु को पीठ नहीं दिखाऊँगा और उसने उन्हें सम्बोधित करते हुए कहा कि यदि तुम चाहो तो जा सकते हो, मुझे कोई नाराजगी नहीं होगी।" यह कहकर मसूद रोने लगा। उसे रोता हुआ देखकर उसके साथी भी रोने लगे और उन्होंने ढाढस बंधाते हए कहा कि यह नहीं हो सकता कि हम शत्रु के सामने तुम्हें अकेला छोड़ कर चले जाएँ।

14 जून, सन् 1033 ई. (14 रजब हि. 424) को राजपूत सेना ने सुहेलदेव वेस तथा राय हरदेव के नेतृत्व में मसूद गाजी की सेना पर तीव्र वेग से आक्रमण किया। दिन भर घमासान युद्ध हुआ। सायंकाल होते-होते मसूद गाजी के एक मार्मिक तीर लगा जिससे वह गिर पड़ा। उसके साथी उसे उठाकर पीछे बगीचे में ले गए। सिकन्दर दीवानी से उसे अपनी गोदी में लिटा लिया, परन्तु राजपूत सेना ने अपने आक्रमण को और तेज कर दिया। मुस्लिम सेना उनके वेग को नहीं रोक सकी और सभी सैनिक राजपूत सेना के हाथों मारे गए। सुहेलदेव वैस के हाथों मसूद गाजी भी मारा गया। इस युद्ध में सुल्तानपुर के राजपूत तथा भर बड़ी संख्या में देश के लिए बलिदान हुए। इस क्षेत्र में भर बहुसंख्यक थे। यह एक बहराइच से डेढ़ मील की दूरी पर हुआ था।

इस युद्ध में राय सुहेलदेव वैस भी गम्भीर रूप से घायल हो गए थे, जो दूसरे दिन इन्हीं घावों के कारण शहीद हो गए। (तवारीख-ए-मुल्ला मुहम्मद ऑफ गजनी Exd 11 पृ. 515-549) राजपूत राजाओं की संयुक्त सेना ने मुसलमानी सेना का पीछा कर उसका सफाया कर दिया | जिस स्थान पर सुहेलदेव वैस का दाह संस्कार किया गया था, उस स्थान पर उनकी पावन स्मृति में एक स्मारक बनाया गया था | बहराइच का यह युद्ध अत्यन्त महत्त्वपूर्ण था, क्योंकि इसमें पूर्वी अंचल को मुसलमान लुटेरों द्वारा लूटे जाने की सारी योजनाएं धराशायी हो गई थी और 160 वर्ष तक यह क्षेत्र मुसलमानों के नृशंस हमलों से सुरक्षित रहा | परन्तु खेद है कि इतिहासकारों ने इस अति महत्त्वपूर्ण बहराइच युद्ध का उल्लेख तक नहीं किया |

दिल्ली के सुल्तान अल्तमस के समय में उसके पुत्र नासीरुद्दीन मुहम्मद को सन् 1224 ई. में अवध का सूबेदार बनाया गया था। उसने सैयद मसूद गाजी की कब्र पर दरगाह बनाई तथा सूर्य भगवान के उस भव्य मन्दिर तथा राय सुहेलदेव वैस के स्मारक दोनों को तुड़वाकर उस सारे क्षेत्र को मसूद गाजी की दरगाह में शामिल करा दिया। (बहराइच गजेटियर)

राय सुहेलदेव वेस के स्मृति स्मारक के नष्ट होने से बहराइच युद्ध में देश हित में बलिदान हुए देश भक्तों की कथा का अध्याय ही लुप्त हो गया।

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