History of Vais Rajvansh : वैसवाड़ा ही वैस राज्य था

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 History of Vais Rajvansh : वैसवाड़ा ही वैस राज्य था

"राजपूत शाखाओं का इतिहास" पुस्तक के लेखक देवीसिंह मंडावा लिखते हैं कि-  वैस मानते हैं कि उनका राज्य मुर्गीपाटन पर था, जब उस पर शत्रु का अधिकार हो गया तो ये भाग कर प्रतिष्ठानपुर में आ गए। वहाँ इस वंश में शालिवाहन हुआ, जिसने नया राज्य कायम किया। कुछ लेखकों ने प्रतिष्ठानपुर वर्तमान स्यालकोट को माना है, जो गलत है। यह नगर इलाहाबाद के निकट व झूसी के पास था। इसी प्रकार कुछ लेखकों ने शालिवाहन को पैठन के प्रसिद्ध शालिवाहन से जोड़ने की कोशिश की है। बाद के इतिहासों में ऐसी गलतियाँ की गई हैं कि उसी नाम के किसी प्रसिद्ध पुरुष को यह सम्मान देने लग गये। वैस शासक शालिवाहन से वैसों की कई शाखाएँ चली हैं। कुछ लेखकों ने लिखा है कि वैसों का दिल्ली पर भी राज्य था, किन्तु यह सही प्रतीत नहीं होता, क्योंकि इस सम्बन्ध में कोई प्रमाण नहीं मिला है। इसी वंश में आगे चलकर त्रिलोकचन्द राजा हुआ, जिसने राज्य का और विस्तार किया। यह बड़ा प्रसिद्ध था, इससे भी वैस वंश की कई शाखाएँ चलीं। इसके बड़े पुत्र बिडारदेव के वंशज भालेसुलतान कहलाते हैं।

तेरहवीं सदी में जब अरगला के गौतम राजा पर मुसलमान सूबेदार ने सेना भेजकर हमला किया तो गौतम राजा ने उसे परास्त कर दिया। कुछ समय बाद गौतम राजा की रानी गौतम को पूछे बिना कुछ व्यक्तियों को साथ लेकर गंगास्नान को गई तो इसकी खबर लगते ही मुसलमान सूबेदार ने अपने आदमी रानी को पकड़ने हेतु भेजे। यह देखकर रानी ने डोली से उतर कर आवाज दी, “यहाँ कोई क्षत्रिय है, जो हमारी रक्षा कर सके?"

लोहागंज के शासक गणेशराय के दो राजकुमार अभयचन्द और निर्भयचन्द भी गंगास्नान कर रहे थे, वे तुरन्त रानी की मदद को पहुँचे और मुसलमान सूबेदार के आदमियों को मार भगाया तथा रानी को सुरक्षित उनकी राजधानी पहुंचा दिया। रानी को बचाने के बाद निर्भयचन्द तो घावों के कारण मर गया, किन्तु अभयचन्द बच गया। गौतम राजा ने इस खुशी में अभयचन्द से अपनी पुत्री का विवाह कर दिया और उसे गंगा से उत्तर दिशा में 1440 गाँव दहेज में दिए। यही क्षेत्र वैसवाड़ा कहलाता है।

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