जसवंत थड़ा जोधपुर

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जसवंत थड़ा जोधपुर  : ये विश्व पर्यटन मानचित्र का एक खास स्थल है जिसे देखने आते है  लाखों पर्यटक | वर्ष 1899  में दो लाख चौरासी हजार रूपये में बनाई गई थी यह शानदार व भव्य ईमारत | जोधपुर के महाराजा जसवंतसिंहजी की यादगार में बनाई गई थी ये मनमोहक ईमारत | इसका नाम है जोधपुर का जसवंत थड़ा | जसवंत थड़ा जोधपुर दुर्ग के पास ही पहाड़ी पर एक झील के किनारे बना है | यह मनमोहक स्थल जोधपुर के महाराजा जसवंतसिंहजी द्वितीय की यादगार में उनके उतराधिकारी महाराजा सरदार सिंह जी ने बनवाया था | आपको बता दें महाराजा जसवंतसिंह जी द्वितीय ने 1888 से 1895 तक जोधपुर पर राज्य किया था | इसी स्थान पर उनका दाह संस्कार किया गया और उनकी याद में यह संगमरमर पत्थर का भव्य स्मारक बनाया गया |

इससे पूर्व जोधपुर राजपरिवार के मृतक सदस्यों का दाह संस्कार मंडोर में हुआ करता था, पर महाराजा जसवंतसिंहजी द्वितीय के बाद यह स्थान जोधपुर राजपरिवार के मृतक सदस्यों के दाह संस्कार के लिए सुरक्षित रखा गया है | इस स्थान पर विभिन्न समय जोधपुर राजपरिवार के मृतक सदस्यों की यादगार में उनके स्मारक जिसे राजस्थान में छतरियों के नाम से जाना जाता बने हुए हैं | जसवंतसिंहजी के स्मारक की इस भव्य ईमारत में संगमरमर की कुछ ऐसी शिलाएँ लगी है जिनमें सूर्य की किरने आरपार दिखाई देती है | स्मारक के पास ही एक झील बनी है जो इस पर्यटक स्थल के सौन्दर्य पर चार चाँद लगा देती है तथा स्मारक पर बने शानदार बगीचे के पेड़ पौधों की पानी की जरुरत भी पूरी कर देती है | झील इस स्मारक के बनने से पहले महाराजा अभयसिंह जी ने बनवाई थी, अभयसिंह जी का जोधपुर पर शासन काल 1724 1749 तक रहा है |

जसवंत थड़ा के पास ही महाराजा सुमेरसिंह जी, महाराजा सरदार सिंह जी, महाराजा उम्मेदसिंह जी एवं महाराजा हनवंतसिंहजी की स्मारक रूपी छतरियां भी बनी हुई है जो जसवंत थड़ा की आकार में जहाँ वृद्धि करती है वहीं इस स्थल के सौन्दर्य को बढाती है और पर्यटकों को आकर्षित करती है | आखिर में एक बात और बता दें इस भव्य ईमारत के निर्माण पर 284678 रूपये खर्च हुए थे | यदि आपका जब भी जोधपुर आने का कार्यक्रम बने तो इस भव्य पर्यटन स्थल को देखने अवश्य जाएँ|

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