शेरशाह सूरी इसी किले के दम पर बना था भारत का बादशाह

Gyan Darpan
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आज आपको एक ऐसे किले की कहानी बताने जा रहे है जिस किले पर अधिकार करने के बाद शेरशाह सूरी को अथाह दौलत मिली थी और उसी दौलत के सहारे वह हुमायूँ को हराकर भारत का बादशाह बन गया था| जी हाँ ! हम बात कर रहे गौड़ किले की| हालाँकि इस स्थान का नाम गौड़ क्यों पड़ा? क्या कभी यहाँ गौड़ राजपूतों का शासन था, यह शोध का विषय है, हम आपको जानकारी दे रहे है इस किले की-

गंगा-महानंदा के संगम के पास 14 वीं शताब्दी में बना डेढ़ किलोमीटर के दायरे फैला गौड़ किला पूर्वी भारत के बड़े किलों में से एक है| किला बेशक डेढ़ किलोमीटर के दायरे में बना है पर किले की किलेबंदी की परिधि आठ किलोमीटर ताल फैली है| बंगाल के सेन राजाओं की राजधानी पहले नदिया थी| कुतुबुद्दीन ऐबक के सेनापति बख्तियार ने नदिया पर 1198 में आक्रमण कर विजय प्राप्त की और नदिया के स्थान पर गौड़ को राजधानी बनाया| इस प्रकार गौड़ दिल्ली सल्तनत के नियंत्रण में आ गया| लगभग 200 वर्षों तक कभी मुसलमान तो कभी हिन्दू शासकों की यहाँ सत्ता रही| 1493 में गौड़ पर हुसैनशाही सुल्तानों का शासन कायम हुआ|

इस सल्तनत के दो सुल्तानों हुसैनशाह और नुसरतशाह ने गौड़ को समृद्ध बनाया| गौड़ में कई मीनारें, मस्जिदें, मकबरे बने है जिनकी इंटों में गजब का आकर्षण आज भी दिखाई देता है| हुसैनशाह के मकबरे की छत अपने आपमें अनोखी है| सुनहली मस्जिदों का निर्माण नुसरतशाह ने कराया था| इस सुल्तान ने रामायण और महाभारत का बंगला में अनुवाद कराया था| गौड़ उस समय जन्न्ताबाद के नाम से जाना जाता था| यहाँ की समृद्धि सुनकर हुमायूँ व शेरशाह ने भी इस पर आक्रमण किया था| शेरशाह को गौड़ में अपार धनराशी मिली थी, उसी के बल पर उसने हुमायूँ को हराकर वह भारत का बादशाह बनने में कामयाब हुआ|

गौड़ दुर्ग का उत्तरी दरवाजा दाखिल दरवाजे के नाम से जाना जाता है, जिसे 1465 में बरबकशाह ने बनवाया था| यहाँ की मस्जिदों के गुम्बद पर कभी सोने का काम था| काल के थपेड़ों से बचा गौड़ मिट्टी निर्मित एक ऐसा अप्रतिम उदाहरण है, जो विश्व में अन्यत्र देखने को नहीं मिलेगा|

History of Gaur Fort In Hindi, Click Here to view more photo of gaur fort सन्दर्भ : भारत के दुर्ग, दीनानाथ दुबे|

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