पृथ्वीराज जयचंद की माताओं का बहनें होने का ये है सच

Gyan Darpan
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 भारत के अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज व जयचंद के बारे में प्रचारित है कि वे दोनों दिल्ली के तोमर (तंवर) राजा अनंगपाल के दोहिते थे| यानी दोनों मौसी के बेटे भाई थे और अनंगपाल के संतान ना होने की वजह से दिल्ली राज्य के उत्तराधिकार को लेकर दोनों के मध्य विवाद व दुश्मनी थी| आज हम इस लेख में इसी पर चर्चा करेंगे कि क्या दोनों की माताएं सगी बहनें थी? क्या यह प्रचारित तथ्य इतिहास सम्मत है ? दोनों की माताओं के बारे में इतिहासकार क्या लिखते है-

रम्भामंजरी नामक पुस्तक में विजयचन्द्र की पटरानी रानी का नाम  चन्द्रलेखा बताया गया है| जिन्होंने जयचंद को जन्म दिया, यथा – “चन्द्रलेखायास तनुजन्मा जैत्रचन्द्रो|” इसके विपरीत पृथ्वीराज रासो में विजयचन्द्र की रानी तथा जयचंद की माता का नाम सुन्दरीदेवी बताया गया है और कहा गया है कि वे दिल्ली के शासक अनंगपाल तोमर की बड़ी पुत्री थी| (रासो, श्यामसुन्दर दास का संस्करण, पृष्ठ-134) रासो में अनंगपाल की दो पुत्रियाँ बतलाई गई है जिनमें एक का विवाह विजयचन्द्र व दूसरी का विवाह पृथ्वीराज के पिता सोमेश्वर के साथ होना लिखा है-

अनंगपाल पुत्री उभय, इक धन्नी विजयपाल|

इक धन्नी सोमेस कौ बाज बवन कलि काल||

भविष्य पुराण में विजयचन्द्र को देवपाल के नाम से संबोधित किया गया है और उनकी रानी का नाम तथा अनंगपाल की पुत्री चन्द्रकान्ति बताया गया है| जिससे जयचंद्र का जन्म हुआ| चन्द्रकान्ति चन्द्रलेखा का दूसरा नाम हो सकता है| पृथ्वीराज की माता का दिल्ली के राजा अनंगपाल तोमर की पुत्री होने की धारणा के विपरीत डा. पारस नाथ सिंह अपनी पुस्तक “पृथ्वीराज और उनका काल” के पृष्ठ 75 पर डाईनेस्टिक हिस्ट्री ऑफ़ नार्दर्न इंडिया के हवाले से लिखते है- “सोमेश्वर का विवाह गुजरात में ही संपन्न हुआ था| उसकी पत्नी त्रिपुरी के शासक अचल की पुत्री थी कर्पूरीदेवी थी|”

अब प्रश्न उठता है कि यदि जयचंद व पृथ्वीराज दोनों की माताएं सगी बहनें थी तो पृथ्वीराज अपने मौसी के बेटे भाई जयचंद की पुत्री संयोगिता का अपहरण कर उसके शादी कैसे कर सकते थे ?  क्योंकि इस रिश्ते के अनुसार तो संयोगिता पृथ्वीराज की भतीजी हुई, जो उसकी भी बेटी के सामान थी और सनातन संस्कृति में रिश्ते में भाई-बहन, काका-भतीजी में शादी करने का कोई रिवाज नहीं रहा और ना ही कोई ऐसा सोच सकता है, बल्कि शादी करना तो दूर की बात, इस तरह की सोच को भी घ्रणित माना जाता है| यदि पृथ्वीराज रासो में उल्लिखित संयोगिता प्रकरण ऐतिहासिक सच है तब तह भी कटु सत्य है कि पृथ्वीराज व जयचंद की माताओं का रासो में बहनें होने का उल्लेख कतई ऐतिहासिक सच नहीं हो सकता|

चूँकि सोमेश्वर अजमेर की राजगद्दी पर बैठने से पूर्व गुजरात में कुमारपाल के संरक्षण में थे| उनकी माता कांचन देवी गुजरात के जयसिंह सिद्धराज की पुत्री थी| उनके राज्य सपादलक्ष पर उस काल पृथ्वीराज प्रथम का शासन था| सोमेश्वर की शादी उनके राजा बनने से पहले हो चुकी थी| अत: यह संभव नहीं कि दिल्ली के राजा अनंगपाल उनके साथ अपनी बेटी की शादी करते| वे उस काल गुजरात में थे अत: उनकी शादी गुजरात में होनी की बात ज्यादा सही प्रतीत होती है|

अत: यदि हम कहें कि पृथ्वीराज की माता अनंगपाल की पुत्री नहीं थी, जयचंद और पृथ्वीराज की माताएं सगी बहनें नहीं थी, तो कोई अतिश्योक्तिपूर्ण नहीं होगा| फिर दिल्ली के तंवरों के इतिहास पर नजर डालें तो अनंगपाल के काल का सोमेश्वर, विजयचन्द्र, जयचंद्र, पृथ्वीराज के काल से कोई सामंजस्य नहीं बैठता| अनंगपाल ने दिल्ली में किस काल पर शासन किया, सोमेश्वर आदि के समय दिल्ली पर कौन आरूढ़ था, इसकी चर्चा अगले लेख में|

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