कैलीफोर्निया में दिवाली के पर्व पर शहीदो को दी गई सलामी

Gyan Darpan
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लेखिका : कमलेश चौहान (गौरी)

कैलिफ़ोर्निया : अक्सर भारत में हमारे भाई बहन सोचते है कि शायद विदेश में रहने वाले अपने वतन को अपनी सरे ज़मीं को भूल गए है। लेकिन कहते है अपने जन्मभूमी को वह इन्सान कभी नहीं भूल सकता जिसे अपने पुर्वजो से अच्छे संस्कार मिले हो। भला कोई जन्म देने वाले माता पिता को भूल सकता है ? लेकिन कुछ लोग जितने वतन से दूर होते है उतना उनका दिल देश प्रेम में डुबा रहता है।
भारत में हो रही हर घटना पर हम विदेशियो पर भी असर होता है। एक तरफ दिवाली की खुशिया मनाई जा रही थी विदेश में दुसरी उरी में होने वाले भयानक आतंकी हमले में शहीद सैनिको की शहादत पर गर्व भी और शोक से सब की आंख नम थी। कब लेंगे जन्म हमारी पावन धरती पर भगवान राम और भगवन कृष्ण? कब जागेगा पूरा भारत के लोगो कादेश के लिए प्रेम।
किसी ने सही कहा है कभी ख़ुशी कभी गम एक साथ साथ चलते है। न जाने कब ख़तम होगा पाकिस्तान के द्वारा इस आतंकवाद का दौर एवं यह आतंकियो द्वारा यह ज़ुल्म का खेल।

भारतीय सेना के समर्थन में 19 सितंबर 2016 की शाम को सत्रह भारतीय सैनिकों की हत्या की निंदा करने के लिए कैलिफोर्निया के एक नोरवाक शहर के सनातन धर्म के मंदिर के चारों ओर आई. ए. स सी जो की एक संस्था जिसे पूरा नाम है इंडियन एसोसिएशन आफ कैलिफोर्निया दिया गया है । शहीदों को सलामी देने के लिए 400 लोगो ने अपने हाथो में जले चिराग लेकर अपने शहीदो के याद में आँसू लिये उनको सलामी दी गयीं। साथ बहूत सारे बच्चों ने, भारतीय मूल के बुजुर्गो ने युवाओं ने पाकिस्तान के आंतकी हमले की कड़ी निदा करते हुए, पाकिस्तान के आतंक के खिलाफ सड़को पर, मंदिर के चारो और अपने हाथो में "कश्मीर से बाहर निकलो", "पाकिस्तान आतंक बंद करो", "पाकिस्तान ही दुनिया में आतंक की जड़ है|" इस तरह से पाकिस्तान के आतंकियों पर नारे लगा कर उसके ऐसी हरकत का विरोध किया गया ।

कार्यक्रम शुरू होने से पहले मनीष मक्कड़ जी ने अपने राज भोग रेस्तरॉ की और से उत्सव में आये सभी मेहमानों के लिये स्वादिष्ट भोजन की व्यवस्था की। सनातन धर्म ने एक खास मंच भारत के त्यौहार मनाने के लिए बना रखा है। कामनी खरे जी की संस्था आई ए स सी की संस्थापक, सदस्य अतुल मकवाना, चारू शिवकुमार, दिपाल मकवाना, नीला पारिख, अंजना पटेल, चित्रलेखा पासी, संजय दिघे , रंजीत विश्वनाथ, रवि विश्वनाथ, डिंपल मेहता, दिलप्रीत और सुशीला पारिख समिति सदस्यों ने की उत्सव की शुरुआत की। डॉक्टर नेहरू, रमेश महाजन, अली सज्जाद ने इस संस्था की सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की सराहना की और एक खुश दीवाली के दर्शकों की कामना की।

श्री सुनील तूलानी एक जाने माने जो होटल मोटल के मालिक तथा एक व्यापारी है। भारतीय समुदाय में उन्होंने अपना नाम कमाया है। कामिनी खरे ने उन्हें मंच पर बुलाया। सुनील तौलानी ने अपने स्वागत भाषण में दिवाली की शुभकामनाये भी दी। उत्सव पर आये लोगो को अपने मीठे शब्दो की मिठाई बांटते हुए सभी लोगो से आग्रह किया, जिसमे उन्होंने कहा- हम सब लोगो को एकता से रहना चाहिये। हमें अमेरिका में जन्मे बच्चो को भारत देश के लिये प्रेम से औत प्रोत करते हुए, उनका पालन पोषण भारतीय संस्कारों के अनुसार करना है । उन्होंने फिर कहा- कामनी जी की आई ऐ एस सी की संस्था भारतीय युवायो के लिए है।

फिर कामिनी खरे ने अपनी संस्था से जुड़े सभी सदस्य की दर्शको को पहचान करवाई। फिर उन्होंने अवदेश अग्रवाल, डॉ. कृष्ण रेड्डी, सुरेश तथा, नलिनी भट्टी, तथा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया कैलिफ़ोर्निया के संरक्षक का धन्यवाद दिया। सैम गोस्वामी, उच्च चमक जौहरी, रावजी भाई पटेल, रमेश महाजन, डॉ. आरती शाह, इश्कोंन और नानक फ़ूड शाना राजपूत ने मिलकर दिवाली पर्व के को सफल बनाया।

कार्यक्रम के मध्य में कामनी खरे ने कश्मीर के वासी कैलिफ़ोर्निया मे बसे हुए डॉक्टर अमृत नेहरू को मंच पर विशेष रूप से बुलाया। उनको खास सम्मानित करते हुए भारत के अटूट अंग कश्मीर राज्य में हर हिन्दू संस्कार एवं दिवाली के उत्सव को किस तरह मनाया जाता था उनका थोड़ा विवरण करने के लिए कहा ।
डॉ नेहरू कश्मीर में, पाकिस्तान के दुवारा किस तरह से दहशत गर्दी फैलायी गयी, अक्सर उन्हें अपनी आँखों देखे हाल का विवरण करने के लिये अमेरिका के हर उत्सव में बुलाये जाते है। उन्होंने सबसे पहले दर्शको को दिवाली की शुभकानायें दी। फिर एक लम्बी सांस लेकर भराई सी आवाज में बोले "बड़े दुःख की बात है कि कश्मीरी पंडित, कश्मीरी धरती ऋषि कश्यप की धरती है। हिन्दू जो वास्तव में कश्मीर के मूलवासी है। जिनका कश्मीर पर जन्मसिद्ध अधिकार है। गुरु तेग बहादुर जी ने न केवल पंडितो को औरंगजेब जैसे दरिंदो से बचाया ही नहीं बल्कि पुरे हिंदुस्तान में कमजोर लोगो की सहायता की। इसीलिये उनको हिन्द की चादर का ख़िताब दिया गया।
हिन्द की चादर कहा करते है। बाकी सब धर्म परवर्तित है। उन्होंने इस बात का वर्णन किया कि पाकिस्तान ने 1947 से ही कश्मीर को हथियाने की कोशिश करता आ रहा हैं । धर्म के नाम पर कश्मीरी हिन्दुओ का कत्ले आम किया। कश्मीरी हिन्दू बेटियो का बलात्कार किया। काया बताये काया काया नहीं किया। उस वक़्त भारत की सेना शहरो में नही थी। कश्मीर में भारतीय सेना इन्ही हालातो से बुलाई गयी थी। आज भी अगर पत्थर बाजी बन्द हो जाए तो तो कश्मीर की हर समस्या का समाधान ढूंढा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहां "कश्मीर में दिवाली कभी बड़ी धूमधाम से मनाई जाती थी।" थोड़ी देर की ख़ामोशी पर उन्होंने कहा "घर की याद बहूत आती है। भारत के अन्य राज्य के लोग स्वपन में भी कभी सोच नही सकते की कैसे कैसे अत्याचार कश्मीरी हिन्दू के साथ हुए है। हम निकले नहीं है हमें निकाला गया है। हमें घरो से निकाल निकाल कर सड़को पर मार गया हैं। क्योंकि हम हिन्दू थे। याद आता है वह डरावना मंजर जब से ऋषि काश्यप की धरती कश्मीरी हिन्दुवो के खून से लाल हुई और झेलम दरिया खून का दरिया बना दिया गया। फिर एक ख़ास सन्देश देते दर्शको से कहा "चलो मोदी जी के साथ चले। आज दिवाली के शुभ अवसर पर एक कसम खाये, भारत देश को गुलाम नहीं होने देंगे। हमारे पडोसी के द्वारा फैलाई दहशद गर्दी को साफ करे " इतना कहने पर हाल में तालिया बजने लगी। पुरी सभा में वन्दे मातरम, भारत माता की जय, हिंदुस्तान जिन्दाबाद, के नारो से पूरा हाल गूंज उठा।

जब तालिया रुकी तो फिर से शरू हो गया बहुत ही प्यारे से बच्चे, किशोर और किशोरीयो ने राम लक्षमण भीलनी शिरवी का ड्रामा नृत्य पेश किया । पुरा प्रोग्राम भारत के हर राज्य, कश्मीर पंजाब, उत्तरांचल से लेकर नागालैंड, कन्याकुमार की संस्कृति से जुड़ा हुआ था। साबरी गिरीश कीर्तना दुवारा उनके भावपूर्ण गायन के साथ अतिथि शिवानी की कला बहुत सराहना भरी थी। एक और नये मनोरजन का अंश, पांच तत्व ग्रीन पृथिवी की महत्तता नृत्य के रूप में पेश की गयी। जिनके नाम कुछ इसतरह से थे। चैतन्य रुद्रा, सुदीप्ता घोष, असक्ष, अक्षता मनीगा पुडी, तारुणीका वैकेट, सहस्त्र नन्दरू, चैत्यना रूद्र, देवोदिपी घोष, आनिया त्रिपाठी, केशमा चन्द्र, मिस्त्री तिवारी, किश जैन, आरुषी पाटील, ईशा भंडारी, प्रचीती सोबनीस। समप्रीता चक्रवर्ती, नेहा मुनधन्दा, संदीपा गुप्ता मंच में बैठे हर दर्शक ने हर प्रदर्शन कला की सराहना की।

दिवाली के त्यौहार पर सब नारियो ने लाल रंग के वस्त्र पहने हुए थे। कामिनी जी से पुछने पर पता चला की उन्होंने ने ही अपने सदस्यों को को लाल रंग की साड़ी, लाल रंग की चनिया चोली। उनका कहना था की लाल रंग देवी आदिशक्ति का रंग है जो ख़ुशी तथा शक्ति का रंग। लाल रंग आग का भी रंग है जो बुराइयों, को हटा कर अचे ख्यालातों से धार्मिक ध्यान को शक्ति देती है। कामनी खरे बहूत ही निस्वार्थ, देशभगत नारी है। अक्सर लोग अपने कार्यक्रम में बाहर से किसी को इतनी महत्तता नहीं देते। लेकिन उन्होंने फिर भी भारतीय समुदाय के जाने माने लोगो को भी एक खास सम्मान दिया।
कार्यक्रम के अन्त में बाद कामनी खरे अपने सदस्यों का धन्यवाद किया। आखिर में एक और बात लिखना चाहते है कि। अमेरिका की तीसरी पीढ़ी को भी बॉलीवुड के पूराने नगमो का ही शौक है। उनका कहना है आज के नगमो में शोर ज्यादा और भावनाएं कम है। बड़े ताजुब की बात है, मधुमती का एक नगमा कहा जाता है की फिल्म "मधुमती "किसी ज़माने में बहुत मशहुर हुआ था। लेकिन भी छोटी छोटी किशोरी बालकीयो सिवाकमरारन ने नागालैंड की पोशाक में इस नगमे के साथ "धीया रे धीया चढ़ गयो पापी बिछुवा, ओये ओये, ओह सारे बदन पर छा गयो पापी बिछुव"
शाम बड़ी ख़ुशी और उल्हास के साथ गुजरी। प्रोग्राम के अंत में सुनील तोलानी ने प्रोग्राम के सभी भागीदारो को प्रमाण वितरित किये। मणि उत्कृष्ट डीजे से लोगो को हर ख़ुशी का ध्यान रखा। अतुल मकवाना को सभी लोगो का धन्यवाद किया।
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