ज्ञान दर्पण पर उठी आवाज केन्द्र तक पहुंची

Gyan Darpan
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२९ नवंबर २०१२ को ज्ञान दर्पण पर दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे के पास स्थापित राष्ट्र गौरव महाराणा प्रताप की प्रतिमा को मेट्रो रेल कार्पोरेशन द्वारा हटाये जाने के मुद्दे को उठाया गया था| ज्ञान दर्पण पर इस संबंध में लेख प्रकाशित होने के बाद उस लेख के आधार पर दिल्ली के एक दैनिक अखबार हमारा मेट्रो, छतीसगढ़ के भास्कर भूमि के साथ राजस्थान के दैनिक अंबर, दैनिक जागरूक टाइम्स, उदयपुर के मददगार ने प्रमुखता से खबर छाप कर राष्ट्र गौरव के सम्मान से जुड़े इस मुद्दे को आम जनता तक पहुँचाया| इन अख़बारों के साथ जयपुर की सामाजिक पत्रिका “जोग-संजोग” ने भी इस मुद्दे को अपने पाठकों तक पहुँचाया|

अख़बारों व पत्रिका में छपने के बाद महाराणा प्रताप की प्रतिमा का मेट्रो रेल द्वारा किये अपमान के खिलाफ देश भर से प्रतिक्रियाएं मिली| साथ श्री राजपूत करणी सेना के संयोजक श्यामप्रताप सिंह राठौड़ ने फोन पर संपर्क कर इस प्रकरण की पुरी जानकारी लेकर इस मुद्दे को करणी सेना द्वारा किये जा रहे आंदोलन की प्रमुख मांगों में शामिल करने का वादा किया और १३ जनवरी को जयपुर में एकत्र साठ हजार लोगों के सम्मलेन में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया| साथ ही करणी सेना के नेता लोकेन्द्र सिंह कालवी ने अपनी प्रमुख पांच मांगों में इस प्रकरण को शामिल कर मांगे नहीं माने जाने पर कांग्रेस के चिंतन शिविर में सीधे घुसकर सोनिया गाँधी व प्र.मंत्री से सीधे बात करने की धमकी दी| उनकी इस धमकी के बाद करणी सेना की प्रमुख मांगों में यह प्रकरण भी केन्द्रीय नेताओं तक पहुंचा| जिस पर २० जनवरी को राजपूत सभा भवन में जयपुर में कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने करणी सेना की अन्य कई मांगों का समर्थन करते हुए महाराणा प्रताप की प्रतिमा सम्मान से वापस लगाने की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि इन मांगों के लिए जल्द ही राजपूत समाज के पदाधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री की मुलाक़ात करवाकर विचार विमर्श किया जायेगा|

इस तरह ज्ञान दर्पण पर उठा राष्ट्रीय स्वाभिमान से जुड़ा एक मुद्दा केन्द्र के कानों तक पहुंचा| महाराणा प्रताप की प्रतिमा के सम्मान से जुड़े ज्ञान दर्पण.कॉम के इस मुद्दे को जहाँ करणी सेना ने केन्द्र तक पहुँचाया वहीं देश के कुछ अख़बारों ने इसे प्रमुखता से छापकर जन जन तक पहुंचाकर लोगों को राष्ट्र गौरव के सम्मान के प्रति जागरूक किया| इसके लिए मैं करणी सेना के साथ ही हमारा मेट्रो के संपादक राजकुमार अग्रवाल, भास्कर भूमि की फीचर संपादक निति श्रीवास्तव, दैनिक अंबर के अनिल शर्मा (मिन्तर), दैनिक जागरूक टाइम्स के संपादक रोशन शर्मा, मददगार के भूपेंद्र सिंह चूंडावत व सामाजिक पत्रिका जोग-संजोग के संपादक श्यामप्रताप सिंह राठौड़ को हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आभार व्यक्त करता हूँ |

निष्क्रिय रहे महाराणा का नाम लेकर गाल बजाने वाले

अक्सर महाराणा प्रताप का नाम लेकर अपने आपको राष्ट्रवादी कह गाल फुलाने वाले लोग महाराणा की प्रतिमा के प्रकरण के उजागर होने के बाद भी निष्क्रिय रहे| एक भी कथित राष्ट्रवादी का इस प्रकरण पर विरोध स्वरूप बयान तक नहीं आया| जबकि ये लोग अपने हर सम्मलेन में महाराणा का बखान करते नहीं थकते| महाराणा प्रताप पुरे राष्ट्र के गौरव है पर उनके सम्मान के लिए सिर्फ राजपूत समुदाय के अलावा किसी को चिंता नहीं हुई|

ऐसे ही दिल्ली के जंतर मंतर पर दिसम्बर माह में आयोजित एक धरना व सभा कार्यक्रम में महाराणा के नाम पर हर वक्ता ने गाल बजाये पर आयोजन की पूर्व संध्या पर आयोजकों को इस प्रतिमा प्रकरण की मेरे द्वारा पुरी जानकारी देने के बावजूद आम वक्ता की तो छोड़िये कार्यक्रम के आयोजक तक ने इस मुद्दे पर बोलना जरुरी नहीं समझा जबकि आयोजक महाराणा के जन्म दिन पर राष्ट्रीय अवकाश तक की मांग कर रहे थे| यही नहीं उसी आयोजन के आखिरी वक्ता ठाकुर अमर सिंह जी ने महाराणा के जीवन पर प्रकाश डालते उनसे प्रेरणा लेने पर तो बहुत जोर दिया पर उनके भाषण के दौरान एक पर्ची पर महाराणा की प्रतिमा के अपमान का ब्यौरा उनके हाथों में पहुँचाने के बाद उन्होंने उसे पढ़ा तो जरुर पर इस मुद्दे पर एक शब्द बोलना भी शायद उन्हें जरुरी नहीं लगा|


दिग्विजय सिंह द्वारा इस प्रकरण पर दिया बयान उपरोक्त चित्र पर में पढ़ा जा सकता है|

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9टिप्पणियाँ

  1. ज्ञान दर्पण ने जिस मुद्दे को उठाया उसके लिए , रतन जी आपको बहुत - बहुत बधाई ।
    महाराणा प्रताप के नाम पर झूठी राजनीति करने वाले ,केवल राजनीति के भूखे है और कुछ नहीं ।

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  2. इस प्लेटफार्म का लाभ तो होगा ही, भले देर लगे.

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  3. राष्ट्रीय स्वाभिमान और वीरों का सम्मान हमेशा बना रहे,,,,

    recent post: गुलामी का असर,,,

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  4. "me aapke kisi bhi post ko bina padhe nahi chorta

    gyan darpan ko pichle 3 saal se padh raha hu"

    Thank u so much "Ratan Sa"

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  5. आपका काम हमेशा गंभीर और अनूठा रहा है ...बधाई !
    शुभकामनायें रतनसिंह जी !

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