मुस्कुराहट

pagdandi
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पाँच ही दिन हुए उसे ब्याह कर ……
आज जा रही हे पगफेरे के लिए अपने पीहर …….
गहनों से लदी चुनरी में लिपटी ....
कितनी खुबसूरत लग रही है इसकी मुस्कुराहट होठों पर ….
चली जा रही है सिमटी सी …….
और मैं कर रहा हूं इसका पीछा ..अरे मैं ,,,,,मैं …
मैं इसके सुहाग सेज के कक्ष का सन्नाटा
मैं ही हूं जिसने सब देखा था …चुपके से
ये लो आ गया इसके बाबुल का आँगन ……
ये देखो ये जा लिपटी अपने बाबुल से
लिपट गई अपनी माँ से ..
और ये क्या
भाभियों ने भर लिया अपनी बाहों में ..
में पीछे रह गया सखियाँ पहले पहुच गई …
बाबुल डबडबाई आँखों से निहार रहे है …..
माँ दुलार रही है ,
भाभियाँ गहनों का भार संम्भाल रही है ….
उभरे वक्षो को देख कर सखिया चुटकियां ले रही है ….
अब सब निपट गया ……
अब चली वो स्नानगृह की और ........
में भी चला उसके साथ उसके पीछे …..
और ..और … और ….ये उतार दी उसने अपनी चोली दामन से ….
और ये देख लिया मैने .......सब कुछ ....
जो कोई नहीं देख पाया था …
ये नीली लकीरें उसके बदन पर ………
जिसे छुपा लिया था उसने अपनी मुस्कुराहट की एक लकीर के पीछे …………

केशर क्यारी उषा राठौड

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19टिप्पणियाँ

  1. और..और…और….ये उतार दी उसने अपनी चोली दामन से….और ये देख लिया मैने.......सब कुछ....जो कोई नहीं देख पाया था…ये नीली लकीरे उसके बदन पर………जिसे छुपा लिया था उसने अपनी मुस्कुराहट की एक लकीर के पीछ.kya likhon mein inn lines ke liye i mean no words kitna dard hai inn mein aur yeh wohi samajh sakta hai jo inn se gujra hai ya phir kisi apne ko gujarte dekha hai.Woh kehte haina har chamakti cheez sona nahi hoti waise hi hum insan chahe mard ho ya aurat ho,kitni baar haste haste apne gum chupa lete hai aur akele mein rootien hain.Maine pehle bhi kaha tha aur aaj phir se kahunga u r simply awesome.Kuch purane zakhm taaja ho gaye kisi apne ke saath hua yaad aa gaya,bahut hi saral sabd aur dard bhari prastuti ki hai.maa-baap ki izzat,samajh ka darr,maa-baap ki badnaami ka darr un sab ke baare mein sochkar chup rehtein hain aur sab kuch chup chap sehati hai.Jo log uss par zulm karte hai woh kyun bhul jaate hain ki jaisi karni waisi bharni,aaj usk boora karoge toh kal tumhara bhi boora hoga.bahut khoob Usha Keep Going,Keep It Up.Really Very Proud of You :-) Aankehn nam hogai thi isse padte waqt.Maa ne aapko aashirwad diya hai ki Sadha Sukhi raho zindagi ke har mood mein bhagwan tumhari raksha kare aur tumhari har manokaamna purn kare.once again the images are very nice & matching according to the content of dis poem.Superb :-)

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  2. !! औरत की सहनशक्ति के बारे में बढ़िया पंक्तियाँ उकेरी है आपने !!
    !! बहुत बढ़िया रचना !! शुभकामनाएँ !!

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  3. हमेशा की तरह आज भी बढ़िया रचना

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  4. और मैं कर रहा हूं इसका पीछा ..अरे मैं ,,,,,मैं …
    मैं इसके सुहाग सेज के कक्ष का सन्नाटा
    मैं ही हूं जिसने सब देखा था....

    जब इस सन्नाटे ने पहले ही देख लिया था तो स्नानघर में देखने की क्या ज़रूरत थी ?

    नारी की पीड़ा को अच्छे से उकेरा है ....

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  5. आप की तारीफ क्या व कैसे करें ? आप की लिखी हर कविता मन को छुते हुए दिल में उतरती हैं . मेरी एक रिश्ते में भतीजी है उसकी याद आ गई . उसके साथ तो बहुत ही बुरा हुआ है पर यह भी कुछ कम नहीं . इश्वर ऐसा करने वाले को जरूर फल देता है चाहे देर से सही .' नारी तेरी यही कहानी आँचल में दूध , आँखों में पानी '

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  6. यह कविता समाज की सच्चाई को उकेरती है | यह पुरूष प्रधान समाज है यंहा नारी को भावनाए व्यक्त करना मना है | दर्द को छुपा कर मुस्कराते हुए जीना पड़ता है |

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  7. बहुत ही सशक्त रचना, सत्य को परिभाषित करती हुई.

    रामराम.

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  8. सन्‍नाटे के जरिये सौंदर्य..दर्द और भावों को इस तरह अभिव्‍यक्ति.कमाल कर दिया.

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  9. ये नीली लकीरें, लाल आंखों की वहशी करतूत हैं, इससे कैसे छुटकारा पाया जाये, हर मन को सुंदर बनाया जायेगा। सबको कविता करना-महसूसना सिखाया जाये।

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  10. Wow! what can I say Usha Baisa! All my life I fought for the right of Rajput woman’s in London & in India..aapne un bedard yaado ko fir se jaga diya!!! Very touching and very true!!

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  11. Wow! what can I say Usha Baisa! All my life I fought for the right of Rajput woman’s in London & in India..aapne un bedard yaado ko fir se jaga diya!!! Very touching and very true!!

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  12. .......छुपा लिया था उसने अपनी मुस्कुराहट की एक लकीर के पीछे....बहुत ही सशक्त लेखनी...उषा जी..

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