ये विदेशी मुद्रा भी प्रचलन में थी कभी राजस्थान में

Gyan Darpan
1
साइबेरिया, अल्जीरिया, बहरीन, ईराक, जॉर्डन, कुवैत, लीबिया, Tunisia, Macedonia आदि देशों में चलने वाली मुद्रा दीनार और आर्मेनिया में चलने वाली मुद्रा द्रम्म कभी विश्व के कई देशों के साथ राजस्थान की रियासतों में भी प्रचलन में थी|

राजस्थान में उत्खनन में मुद्रा के रूप में विभिन्न आकृति व चिन्हों वाले सोने, चाँदी, तांबे के पाये गए एक अन्य संज्ञा के सिक्के जिन्हें "आदि वराह द्रम्म" भी कहा गया है, राजस्थान में प्रचालित थे| इतिहासकार ड़ा. गोपीनाथ शर्मा के अनुसार इनके प्रचलन का श्रेय मिहिरभोज व विनायकपाल देव को है जो कन्नौज के सम्राट थे| अल्लाउद्दीन खिलजी की दिल्ली टकसाल के अधिकारी ठक्कर फेरु ने अपनी "द्रव्य परीक्षा" नामक पुस्तक में इन शासकों के सिक्कों को "वराही द्रम्म" और "विनायक द्रम्म" कहा है|

11 वीं से 13 वीं सदी के मध्य के चौहान शासनकाल के चांदी व ताम्बे के सिक्के सांभर-अजमेर, जालौर-नाडौल से प्राप्त हुए है| चौहानों के शिलालेखों में इन सिक्कों के लिए द्रम्म, विंशोपक, रूपक, दीनार आदि नामों का प्रयोग किया गया है|
पारुथ द्र्म्मों को जिनका प्रचलन मालवा के परमारों द्वारा किया गया था, मेवाड़ में प्रचलन थे| चाँदी की यह मुद्रा आठ द्र्म्मों के बराबर मानी जाती थी| तेजसिंह (1261-1270 ई.) के काल में तांबे के द्र्म्मों का मेवाड़ में चलन था|

मारवाड़ में भी जब क्षत्रपों का प्रभाव था तब द्रम्म प्रचलन में थे| द्रम्म के साथ प्रचलन में रही दीनार मुद्रा कभी Bosnia and Herzegovina, Croatia, Republika Srpska, South Yemen, Sudan, Iran, Kingdom of Yugoslavia आदि देशों में भी प्रचलन में थी|

Dram Currency in Rajasthan

एक टिप्पणी भेजें

1टिप्पणियाँ

  1. आपकी सूचना अत्यंत लाभकारी है,आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं
एक टिप्पणी भेजें