Charan kavi

सेर नै लखमण

अश्विनी कुमार जी ! चाटुकारिता नहीं, राजाओं के व्यवहार पर लगाम भी लगाते थे चारण !

महाकवि दुरसा आढ़ा

निर्भीक कवि वीरदास चारण (रंगरेलो) और उनकी रचना "जेसलमेर रो जस "

निर्भीक कवि वीरदास चारण (रंगरेलो) और उनकी रचना "जेसलमेर रो जस "