
राजिया रा सौरठा -१० अंतिम भाग

नैन्हा मिनख नजीक , उमरावां आदर नही | ठकर जिणनै ठीक, रण मे पड़सी राजिया || जो छोटे आदमियों(क्षुद्र विचारो वाले) को सदैव अ…
नैन्हा मिनख नजीक , उमरावां आदर नही | ठकर जिणनै ठीक, रण मे पड़सी राजिया || जो छोटे आदमियों(क्षुद्र विचारो वाले) को सदैव अ…
कवि कृपाराम जी द्वारा लिखित नीति सम्बन्धी राजिया के दोहे भाग-9 आछा है उमराव,हियाफ़ूट ठाकुर हुवै | जड़िया लोह जड़ाव, रतन न …
कवि कृपाराम जी द्वारा लिखित नीति के राजिया के दोहे भाग-8 विष कषाय अन खाय, मोह पाय अळसाय मति | जनम अकारथ जाय, रांम भजन ब…
कवि कृपाराम जी द्वारा लिखित नीति सम्बन्धी राजिया के दोहे भाग- 7 चोर चुगल वाचाळ, ज्यांरी मांनीजे नही | संपडावै घसकाळ ,…
कवि कृपाराम जी द्वारा लिखित नीति सम्बन्धी राजिया के दोहा भाग -6 नहचै रहौ निसंक,मत कीजै चळ विचळ मन | ऐ विधना रा अंक,राई …
कृपाराम पर द्वारा लिखित राजिया के नीति सम्बन्धी दोहे | मानै कर निज मीच, पर संपत देखे अपत | निपट दुखी व्है नीच , रीसां ब…
कवि कृपाराम जी द्वारा लिखित नीति सम्बन्धी राजिया रा दोहा | आवै नही इलोळ बोलण चालण री विवध | टीटोड़यां रा टोळ, राजंहस री…
कवि कृपाराम जी द्वारा लिखित नीति के दोहे देखै नही कदास, नह्चै कर कुनफ़ौ नफ़ौ | रोळां रो इकळास, रौळ मचावै राजिया || जो लो…
अपने सेवक राजिया को संबोधित करते कवि कृपाराम जी द्वारा लिखित नीति सम्बन्धी दोहे | खळ धूंकळ कर खाय, हाथळ बळ मोताहळां |…
पिछले लेख कवि " कृपाराम जी और रजिया के दोहे " पढने के बाद कई बंधुओ ने राजिया के दोहे लिखने का अनुरोध किया था …