मेवाड़ और मारवाड़ राज्य के मध्य बसा है गोडवाड़ प्रदेश, और इसी प्रदेश में है मेड़तिया राठौड़ों का ठिकाना घाणेराव | रियासती काल में कुम्भलगढ़ की सुरक्षा का महत्त्वपूर्ण भार इसी ठिकाने पर था | घाणेराव धार्मिक और सांस्कृतिक मामले में बड़ा समृद्ध है | इस नगर में सनातन और जैन धर्म के कई बड़े व खुबसुरत मंदिर बने है | यहाँ के शासकों ने मेवाड़ और मारवाड़ राज्य की रक्षार्थ जहाँ बलिदान दिए वहीँ जनहित में पेयजल के लिए बावड़ियाँ बनवाई और कृषि को बढ़ावा दिया | पेयजल के लिए वर्षा जल को संग्रहित करने के लिए घानेराओ में लगभग 21 बावड़ियाँ है जो यहाँ की विभिन्न राणियों, शासकों और महाजनों ने बनवाई थी |
इस वीडियो में जानिए घाणेराव ठिकाने का इतिहास
और देखिये घाणेराव के खूबसूरत महल |
इतिहास में लायन ऑफ़ चित्तौड़ के नाम से मशहूर वीरवर जयमल मेड़तिया के छोटे भाई थे प्रतापसिंह | इन्हीं प्रतापसिंह मेड़तिया के वंशजों ने घाणेराव ठिकाने की स्थापना की थी |
ठाकुर प्रतापसिंह जी ने मेवाड़ की रक्षार्थ कई युद्ध लड़े | सन 1537 ई. में चितौड़ को बणबीर से मुक्त कराने के लिए महाराणा उदयसिंहजी ने सेना सहित कूच किया तब प्रतापसिंह जी मेड़तिया भी अपने राठौड़ वीरों के साथ उपस्थित थे, प्रतापसिंह जी द्वारा मेवाड़ को दी गई सेवाओं के बदले महाराणा उदयसिंहजी ने उन्हें नाडोल के पास चाणोद की जागीर दी थी |
इतिहासकार मानते हैं कि सन 1568 ई. में बादशाह अकबर ने जब चितौड़ पर आक्रमण किया, तब प्रतापसिंह जी अपने भाई जयमलजी के साथ थे और चितौड़ की रक्षा करते हुए उन्होंने अपने 400 राठौड़ वीरों के साथ प्राणों का बलिदान दिया था |
ठाकुर प्रतापसिंह जी के बाद उनके पुत्र ठाकुर गोपालदास जी ने भी मेवाड़ को महत्त्वपूर्ण सैनिक सेवाएँ दी | हल्दीघाटी में उनके शरीर पर 27 घाव लगे थे | मुग़ल आक्रमण के समय ठाकुर गोपालदासजी ने कुम्भलगढ़ के निकट और देसूरी की नाल तथा गोडवाड़ परगने में कार्य किया, गोडवाड़ प्रदेश अत्यंत उपजाऊ तथा सम्पन्न था अत: यहाँ से ठाकुर गोपालदासजी ने महाराणा प्रताप की सेना के लिए खाद्य सामग्री की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित की |
चूँकि गोडवाड़ प्रदेश कुम्भलगढ़ की सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण क्षेत्र थे अत: मुग़ल सत्ता से संधि होने के बाद महाराणा अमरसिंहजी ने ठाकुर गोपालदास जी को गोडवाड़ प्रदेश में नाडोल जागीर में दी |
महाराणा अमरसिंहजी ने ठाकुर गोपालदास जी को मेवाड़ के प्रथम श्रेणी सामंतों में जगह दी और दरबार में सलुम्बर के बाद पांचवी बैठक दी | ठाकुर गोपालदासजी ने देसूरी नाल की सैनिक महत्ता समझते हुए उसके पास ही घाणेराव में अपना ठिकना कायम किया | ताकि कुम्भलगढ़ पर होने वाले आक्रमणों को रोका जा सके | कुम्भलगढ़ की सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के कारण मेवाड़ राजदरबार में घाणेराव के शासकों को सम्मान बढ़ा |
घाणेराव ठिकाने में समय समय पर बहुत सारे वीर योद्धा हुए, जिन्होंने मेवाड़ और मारवाड़ को महत्त्वपूर्ण सेवाएँ दी |
मेवाड़ में एक बार गृह कलह हुआ, जिसे सुलझाने में भी यहाँ के शासकों में भूमिका निभाई
इस तरह के यहाँ के शासकों ने मेवाड़ और मारवाड़ राज्य की रक्षार्थ अपनी तलवार के जौहर दिखलाए, पेयजल के लिए कई बावड़ियाँ बनवाई, मंदिर बनवाये, कृषि को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम चलाये | कला और साहित्य, खासकर चित्रकला को प्रश्रय दिया, आज भी घानेराव की चित्रकला विश्व में प्रसिद्ध है | राजस्थान का इतिहास लिखने वाले कर्नल जेम्स टॉड भी मेवाड़ से मारवाड़ जाते समय घाणेराव रुके थे | घाणेराव का नाम पहले घानोरा था...
देश में आजादी के समय यहाँ ठाकुर लक्ष्मणसिंह जी शासक थे | उन्होंने पहले जोधपुर में प्रताप स्कूल और बाद में अजमेर स्थित मेयो कालेज में शिक्षा ग्रहण की | उनके समय में कई बार अकाल पड़े तब उन्होंने अकाल राहत कार्य शुरू किये, पशुओं के लिए चारे-पाने की व्यवस्था करवाई, लोगों को अनाज उपलब्ध कराया और गरीब लोगों के लिए मुफ्त भोजनालय खुलवाये | इन सब व्यवस्थाओं में धन की कमी पड़ने पर अपनी जागीर के अंतर्गत स्थित ओसवाल एजूकेशन फंड से चालीस हजार रूपये कर्ज लिया, लेकिन अपनी प्रजा को अकाल में भूख से नहीं मरने दिया |
ठाकुर लक्ष्मणसिंह जी के शासनकाल में ही देश में आजादी आई और उनकी जागीर भी अन्य देशी रियासतों की भाँती देश में विलय हो गई | देश में जनतंत्रीय व्यवस्था का ठाकुर लक्ष्मणसिंह जी ने स्वागत किया और नयी व्यवस्था में एक जागरूक नागरिक की भांति सक्रीय रहे | राजस्थान में 1955 में जब पहली बार पंचायत चुनाव हुए तब ठाकुर लक्ष्मणसिंह जी सरपंच चुने गए | बाद में 1965 में दुबारा सरपंच चुने गए | आपने अपने कार्यकाल में पंचायत भवन का निर्माण कराया, एक अलग भवन बनाकर वाचनालय बनवाया, गांव की जनता की सुविधा के लिए बैंक की शाखा खुलवाई, बस स्टेण्ड, क्लाक टावर, रेस्ट हॉउस और सार्वजनिक प्याऊ के साथ जनहित में कई कार्य करवाये |
वर्तमान में घाणेराव गढ़ में ठाकुर हिम्मतसिंह जी निवास करते हैं और हैरिटेज चलाते हैं | यहाँ की ठकुरानी साहिबा सरिता कुमारी सोढा कई संस्थाओं के माध्यम से जनसरोकार से जुड़े सामाजिक कार्य करती है, जैसे - क्षेत्र में जैविक खेती को बढ़ावा देने, कृषि में देशी बीज को संरक्षण करने व ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने के लिए प्रेरित करना, घाणेराव की पारम्परिक चित्रकला को बढ़ावा देना और उसका संरक्षण करना जैसे कार्य कर जनसरोकारों के प्रति अपना कर्तव्य निभाती है |
