सीकर भाजपा ने फिर दिखाया राजपूत समाज को ठेंगा

Gyan Darpan
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राजस्थान में भाजपा के पक्के वोट बैंक रहे राजपूत समाज को सीकर भाजपा ने जिला परिषद टिकट वितरण में ठेंगा दिखाया है | पुरे जिले में राजपूत नेताओं को मात्र तीन जगह से टिकट दी गई है | जबकि परिषद के पिछले कार्यकाल में भाजपा से पांच राजपूत सदस्य थे | ध्यान देने वाली बात है कि पिछली बार जिला परिषद चुनाव जीते राजपूत सदस्यों की इस बार टिकट ही काट दी गयी | जो तीन टिकट दी गई उनमें भी दो टिकट एक ही नेता (प्रेमसिंह बाजोर)  के परिजनों को दी गई है मतलब सीकर भाजपा ने राजपूत समाज का पूरा प्रतिनिधित्त्व एक ही परिवार को मान लिया है |

पार्टी के इस कृत्य से राजपूतों में उभरते युवा नेतृत्व की एक तरह से भ्रूण हत्या हुई है | यदि इसी तरह हर छोटे बड़े चुनाव में समाज के नेताओं को दरकिनार कर टिकट काटे गये तो एक समय ऐसा आ जायेगा कि भाजपा में राजपूत, नेता नहीं सिर्फ वोटर ही रह जायेंगे | ज्ञात हो अपनी इसी तरह की उपेक्षा के चलते विधनासभा चुनावों ने राजपूत समाज के जागरूक नेताओं ने “कमल का भूल हमारी भूल” अभियान चलाया था | इस अभियान के बावजूद राजपूतों के एक बहुत बड़े प्रतिशत मतदाताओं ने भाजपा को वोट दिया और लोकसभा चुनावों में समाज ने अपना जातीय स्वार्थ छोड़ देशहित में मोदी सरकार बनाने हेतु भाजपा को एकतरफा समर्थन करते हुए मतदान किया था |

लेकिन ऐसा लगता है मानों सीकर भाजपा द्वारा जिला परिषद  टिकट वितरण में एक बार फिर उपेक्षा कर राजपूत जाति को एक सन्देश दिया है कि  -“भाजपा राजपूतों को सिर्फ अपना मानसिक गुलाम समझती है और वह जानती है कि राजपूत उसे छोड़ कहीं नहीं जा सकते |” यही कारण है कि भाजपा जिस वोट बैंक के की ताकत के बल पर राजस्थान में पली बढ़ी, आज उसी समाज की पूर्ण उपेक्षा कर रही है | चूँकि राजपूत समाज भी आँख मूंदकर भाजपा का समर्थन करता आया है और यही अंध समर्थन आज भाजपा में राजपूत नेताओं की उपेक्षा का कारण बन गया |

यदि उक्त कारण सही नहीं है तो क्या कारण है कि जिले के छ: विधानसभा क्षेत्रों में जिला परिषद के लिए एक भी राजपूत को टिकट नहीं दी गई ?  समाज के युवा नेताओं की टिकट काटकर एक व्यक्ति के परिजनों को दो दो टिकटें देकर क्या भाजपा यह समझती है कि जिले का पूरा राजपूत समाज सिर्फ इसी एक व्यक्ति की जेब में है ?

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